Shyambabu And SeX - 4 Swati द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Shyambabu And SeX - 4

4

डर

 

 

श्याम  माधुरी को लेकर धीरे कदमों से अपने कमरे में गयाI  “आवाज़ मत करना, अम्मा सो रही है,” “तुम्हारी अम्मा तो हमेशा सोती रहती है I”  माधुरी ने धीरे से ज़वाब दियाI  अंदर जाते ही माधुरी धम्म से उसके पलंग पर गिर गईI  वह उसके सामने रखी कुर्सी पर बैठते हुए पूछने लगा, 

 

पिंकी चली गई,  मनीष के साथ?

 

हम्म !! दोनों  बहुत ख़ुश  थेंI   उसने लेटे-लेटे ही ज़वाब दियाI

 

तुम्हें यहाँ  देखकर मैं भी बहुत ख़ुश हूँ I  उसके चेहरे पर मुस्कान हैI

 

तुम्हारे पैसे, मैं कल लौटा दूँगीI   

 

अपने पास रखो  और चाहिए तो बता देनाI  

 

तुम मुझे क्या समझ रहें तो श्याम?? वह गुस्सा हो गईI   

 

अरे !!! नहीं माधुरी हम दोस्त भी तो हैI    तुमने मुझसे पैसे ले भी लिए तो कौन सी आफत आ गईI   अब वह मुस्कुराने लगी I   

 

फिर दोनों एक दूसरे को देखते रहेंI फिर माधुरी ने उसे आँख मारी तो वह शरमा गयाI “ क्या श्याम !!! तुम तो बिल्कुल चोमू हूँ I” अब वह झेंप गयाI  

 

 

“अरे !!! मेरे भोले श्याम यहाँ तो आओ,  वह उठा और मुस्कुराते हुए उसके सामने आकर बैठ गयाI”  माधुरी अपनी ऊंगलियां, उसके पैरो पर फिराने लगी, फिर उसके हाथ, पैरो से उसकी जांघ पर आ गएI  श्याम ने अपनी आँखे बंद कर लींI  अब उसने अपने सूट से चुन्नी को हटाकर एक तरफ किया, फिर श्याम के करीब आकर उसके होंठो को हल्का सा चूम लिया,  एक ख़ुशी उसके चेहरे पर उभर आईI अब वह उसे लगातार चूमती जा रही हैI  तभी अम्मा की आवाज़ ने माधुरी को चौंका  दियाI 

 

अरे !!! श्याम!  श्याम बाबू!  ज़रा नीचे तो आ??

 

“इस बुढ़िया को चैन नहीं है, “ उसने चिढ़ते हुए कहाI  मैं अभी आया,  माधुरी,    ज़रा इसे ठिकाने लगाकर आता हूँI  वह ज़ोर से हँसीI 

 

क्या है? अम्माI 

 

कमर में बहुत दर्द हो रहा हैI  

 

तो मैं क्या करो??

 

तेल लगा दे तो आराम आ जाएI

 

मुझसे नहीं होगा, एक पेनकिलर दे देता हूँI   वह फ्रिज के ऊपर रखी गोली लेकर आ गयाI  दमयंती तो खाना ही नहीं चाहती थीं, मगर उसने ज़बरदस्ती उसके मुँह  में डाल दी और पानी पिला दियाI 

 

हाय !!! यह लड़का तो मुझे मार डालेगाI  वह बिफरते हुए बोलीI  

 

ज़हर नहीं दिया है,  दर्द की गोली दी हैI  अब सो जा I  

 

 

उसने अपना चश्मा  ठीक कियाI   फिर बरामदे की लाइट बंद की और अपने कमरे में  चला गयाI   वहाँ जाकर देखा  तो हैरान  हो गया, माधुरी अपने कपड़े उतार, एक तौलिया लपेटकर पलंग पर बैठी हुई हैI  उसने चश्मा उतारकर देखा तो भी दृश्य नहीं बदला I “ तुम्हें चश्मे के बिना  दिखाई नहीं देता क्या!!!” “नहीं ऐसा नहीं I”  उसने चश्मा  हटाते  हुए कहाI 

 

वह धीरे कदमो से उसकी तरफ बढ़ रहा है,  अब माधुरी ने लपककर उसका हाथ पकड़ लिया और बिस्तर पर धक्का देकर लिटा दियाI  अब वह उसका कुरता उतारने लगी,  वह थोड़ा सकपकाया,  मगर साथ ही ख़ुश भी हो गयाI   फिर माधुरी उसके ऊपर सवार हो गई,  अब उसने अपना तौलियाँ अपने बदन से हटाया तो वह उसकी छाती देखने लगा,  तभी उसे चांदनी की याद आ गईI  वह अपने मन में दोनों के शरीर की बनावट की तुलना करने लगा,  अब माधुरी ने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दियाI   उसके तो अंग-अंग  में बिजलियाँ कौंधने लगीI

 अब उसने उसके पजामे पर हाथ फेरा और उसे उतारने लगी, "आज तो मैं धन्य  होने वाला हूँI' तभी माधुरी ने उसके कानों के पास आकर कहा,  “मैं तुम्हें तुम्हारे डर से आज़ाद करने आई हूँI”  फिर उसके होंठो को काटा,  तभी फिर अम्मा की आवाज़ आई,  “श्याम! श्यामबाबूI   श्याम बाबू !!!” अब अम्मा दरवाजा पीटने लगीI   “दफा हो जाओ, अम्माI”   उसने माधुरी की तरफ देखते हुए कहा, तो वह खिलखिलाकर हँस पड़ीI