Shyambabu And SeX - 42 Swati द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Shyambabu And SeX - 42

42

पुरुष

 

आप मुझसे अफेयर करकर सिर्फ नाटक करना चाहती है या सचमुच ऐसा कुछ सीरियस करने का इरादा है। उसने उसे छेड़ते हुए कहा। नहीं, श्याम जी मैं बिल्कुल सीरियस हूँ,  आपसे अफेयर करन चाहती हूँ और उसे अफेयर में  चाहे तो हदे पार हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता और मुझे उसका मलाल भी नहीं होगा। कुसुम के मुँह से यह बात सुनकर श्याम भी खुश हो गया। अब उसने कुसुम मैडम से पूछा,

 

 

आप एक दिन बता रही थी कि आपके पति फट्टू, बेकार और पता नहीं, क्या क्या है!!!

 

मैं सही कह रही  थी,  इन्हे कुछ नहीं आता था., इन्हे आदमी मैंने बनाया, घर कैसे चलाते है,  दुनियादारी सब मैंने सिखाई।

 

और ???

 

और?? अब कुसुम धीरे से बोली,  “अपनी बीवी  को कैसे खुश रखते है यह भी मैंने सिखाया।“

 

अच्छा!!!

 

जी!!! सारे  टैक्टिस मैंने बताए,  मगर अब देखो,  मेरा कुत्ता किसी और के तलवे चाट रहा है।

 

सही कह रही है,  आप?? वफ़ा के बदले बेवफाई बिलकुल भी उचित नहीं है। उसने चाय पीते  हुए ज़वाब  दिया।

 

 

इमरती ने बबलू को बताया कि क्लॉस का टाइम अबसे बदल गया है,  अब क्लॉस दो बजे की बजाय, बारह बजे शुरू होगी। वह अब मनोहर की शिफ्ट शुरू होने से पहले दो बजे तक उसके साथ घूमती फिर अपनी क्लास में चली जाती। एक दिन मनोहर उसे अपने किराए के घर में ले गया। दोनों को इसी एकांत का इंतज़ार था,  इसलिए मौके का फायदा उठाते हुए दोनों एक दूसरे के नज़दीक आते गए। इमरती मनोहर के साथ ख़ुश  होती तो वहीं  मनोहर भी उसे भरपूर प्यार करता। कितनी ही बार, वे लोग हम बिस्तर हो चुके हैं। इन सब बातो से अनजान बबलू यह सोच रहा है कि  कब मेरे बुरे दिन कटेंगे और अच्छे दिन आएंगे और उसे भी उसके हिस्से का केक खाने को मिलेगा।

 

गायत्री और विकास भी अपने भविष्य को लेकर नए सपने देख रहें हैं, गायत्री ने यह मान लिया है कि उसे विकास की बिज़नेस में मदद करनी ही है और विकास भी उसे समझा रहा है कि एक बार गायत्री उसकी मदद कर दें तो वह अपना जिम खोल लेगा और उसे फिर गायत्री से पैसे लेने की आवश्यकता  नहीं पड़ेगी। गायत्री के पापा ने भी अपने हिसाब से शादी की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।

 

 

एक दिन गायत्री अपने डिपार्टमेंट में अकेली बैठे कोर्स की किताबें पढ़ रही है कि तभी राजीव उसके पास बैठते हुए बोला, “ मैंने सुना है कि तुमने अपनी मंगनी तोड़ दी है? “

 

आपको क्या करना है? उसने मुँह बना लिया।

 

अगर तुम्हें कोई एतराज न हो तो मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।

 

आपका दिमाग ठीक है?

 

देखो!!! मेरी बीवी किसी और को पसंद करती थी, इसलिए मैंने उसे आज़ाद कर दिया। अब मुझे भी किसी साथी की ज़रूरत है। पैसो की कोई कमी नहीं है। कॉलेज के पास मेरे कोठी है, एक माँ है, वो भी चंडीगढ़ रहती है। हमारे खेतों से भी बहुत कमाई आती है।

 

फिर आप किसी और को ढूंढ लें? मेरे  पीछे क्यों पड़े है?

 

तुम मुझे शुरू से ही गलत समझ रही हो,  दरअसल तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो।

 

मैं आपको अच्छी लगी? अब गायत्री हैरान है।

 

“हाँ, क्योंकि मैंने तुम्हारा मन देखा है और जो दिल के सच्चे होते है, वह दूसरे को दुःख नहीं दे सकते। मुझे तुम्हारे जवाब का इंतज़ार रहेगा।“ उसके जाने के बाद, गायत्री सोचने लगी  कि पहली बार किसी पुरुष ने उसका मन देखा है,  अब किसी की बीवी छोड़कर चली जाए तो इसमें हमेशा पति की गलती तो नहीं हो सकती। तभी उसे विकास का मैसेज आया तो उसे याद आया कि वह पहले ही एक फैसला ले चुकी है पर ‘क्या वो फैसला बदल नहीं सकता?’  यह उसकी अंतर्मन की आवाज है।