बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 5 Rituraj Joshi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 5

बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज
" एक श्राप से घिरी राजकुमारी
"
Episode - 05

Episode 05 बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज (Beast: A Tale of Love and Revenge) : " एक श्राप से घिरी राजकुमारी "

अब तक अपने पढ़ा---------------------


महाराज भानु प्रताप सिंह और महारानी मैनावती अपने सारे राज - पाठ को अपने छोटे बेट देवांश प्रताप सिंह के हाथों में छोड़कर हमेशा - हमेशा के लिए सन्यासी जीवन को अपना कर , अपने किए पाप का प्रायश्चित करने के लिए राजपाट छोड़कर चले गए .
तो वहीं दूसरी ओर सुधीर प्रताप सिंह जो कि अभी भी घमंड में चूर था , वह भी वहां से निकाल कर कहीं चला गया था . पर कहां गया था ?
आईये जानते हैं ......!

अब आगे-----------------


धीरे-धीरे समय बिता गया . सुधीर प्रताप सिंह जो की अवंतिका की श्राप देने के बाद भी संभाल नहीं पाया था , वह आज भी उतना ही क्रूर बना हुआ था . उसे अवंतिका के श्राप से कोई मतलब नहीं था . उसे अभी भी यही लगता था , कि अवंतिका ने वह जो श्राप उसे दिया था , उसका कोई मतलब नहीं है . वह इस बात पर अटल था की अगर उसे श्राप लगना होता , तो कब का लग चुका होता . लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि श्राप की शुरुआत हो चुकी है .

सुधीर ने जिस राजा को मार कर उसके सिंहासन पर अपना कब्जा किया था . उस राजा की इकलौती पुत्री से शादी करके सुधीर उस राज्य का राजा बन चुका था , लेकिन अवंतिका का श्राप तो टाले नहीं डाला जा सकता था . शादी करते ही सुधीर पर अवंतिका के श्राप ने अपना असर दिखना शुरू कर दिया था .

शादी की रात ही सुधीर ने सुहाग की सेज पर जब अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने का प्रयास किया , तो उसे अचानक से ही दौरे पड़ने लगे . सुधीर को वैद्य ने जब देखा तो उन्हें सुधीर में कोई बीमारी नजर नहीं आ रही थी . सुधीर अभी भी यही मानने से इनकार कर रहा था , कि श्राप - व्राप कुछ नहीं होता है . उसे यह लग रहा था , की थकान के वजह से शायद उसे यह दौरे पड़े हो . कुछ दिनों बाद उसने जब दोबारा अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने का प्रयास किया तो इस समय वह सफल तो हुआ , लेकिन जो परिणाम वह चाहता था वह उसे नहीं मिले .

धीरे-धीरे समय निकलता जा रहा था वह अपनी पत्नी के साथ वंश बढ़ाने के लिए संबंध बनाता , तो उसकी पत्नी उसके वंश के बीज को फलित नहीं कर पा रही थी . सुधीर को यह लगने लगा शायद उसकी पत्नी में ही खोट है . इस वजह से उसने दूसरी शादी करी .
दूसरी शादी होने के कुछ समय बाद जब सुधीर की दूसरी पत्नी भी किसी कारणवश माँ नहीं बन पाई , तो सुधीर में अभी भी यह मानने से इनकार कर दिया था , कि खोट उसके अंदर है . अब तो उसने तीसरी शादी की योजना बना ली थी .

तीसरी शादी होते हैं तीसरी पत्नी के साथ संबंध बनाकर शादी के 3 महीने बाद ही सुधीर की तीसरी पत्नी गर्भ से हो गई . अपनी तीसरी पत्नी के गर्भ से होते ही सुधीर में तो मानो एक अलग ही घमंड आ गया था . वह सबको यही जता रहा था , कि खोट उसमें नहीं , बल्कि उसकी पहली दो पत्नियों में है . लेकिन अभी तो वह इस सच से अनजान था , की अवंतिका के श्राप कभी भी डाला नहीं जा सकता .

धीरे-धीरे दिन बीत रहे थे . सुधीर अपने वंश के कुल दीपक के आने के इंतजार में घड़ियां गिन रहा था . देखते ही देखते 9 महीने गुजर गए , लेकिन जिस रात सुधीर की तीसरी पत्नी वैभवी को प्रसव दर्द शुरू हुआ . उस रात तो सुधीर की खुशी का ठिकाना नहीं था . सुधीर ने जैसे ही दाई मा को बुलाया और अपनी पत्नी के प्रसव को पूरा करने के लिए कहा . तो दायमा ने ठीक वैसा ही करके , थोड़ी देर में रानी वैभवी के प्रसव का जन्म अपने कंधे पर ले लिया .

रानी वैभवी ने कुछ ही देर में एक बेटे को जन्म दिया . जैसे यह खबर सुधीर के कानों तक पहुंची , उसके तो पैर जमीन पर पड़ ही नहीं रहे थे . वह खुशी से उछलता हुआ दसियों पर अपने जेवर और मालाओं को निरछावर करने लगा . थोड़ी ही देर में दाई माँ उस बच्चे को लेकर प्रसव कक्ष से बाहर आई . और उन्होंने उसे बच्चे को जैसे ही सुधीर के हाथों में दिया , वैसे ही उसे बच्चों ने रोना बंद कर दिया .

सुधीर को अभी यही लग रहा था , कि शायद उसके हाथों में आते ही बच्चा शांत हो गया है . लेकिन उस बच्चे को कोई हलचल ना करता देख , सुधीर ने उसे बच्चे को दाई माँ को दिया . तो दाई माँ यह देखकर हैरान थी , कि आखिर जो बच्चा भी तक उसकी गोद में जोर-जोर से किलकारियां मार रहा था . वह अचानक चुप कैसे हो गया . दाई माँ ने उसे बच्चे को चेक किया , तो उनके होश उड़ गए .

वह सुधीर की तरफ देख रही थी . सुधीर ने दायमा का चेहरा देखा , तो वह कुछ समझ पाता , उससे पहले ही दाई माँ ने सुधीर की तरफ देखते हुए कहा .
दाई माँ बोली------------ महाराज आपका पुत्र इस दुनिया में नहीं रहा . आपके हाथों में आते हैं आपके पुत्र ने दम तोड़ दिया .

जैसे ही सुधीर ने यह सुना , उसके तो पैरों तले जमीन निकल गई . वह जोर से चिल्लाते हुए दाई माँ का गला पकड़ने लगा .
सुधीर बोला------------ ऐसे कैसे मर सकता है मेरा बच्चा . तुम झूठ बोल रही हो , तुम ही ने जरूर कुछ ना कुछ किया है .

तो वहीं सुधीर को सभी सिपाही संभाल रहे थे . सुधीर को दाई माँ से अलग किया . तो दाई माँ हांफते हुए बोली .
दाई माँ बोली------------ माफ करिएगा महाराज लेकिन बच्चा बिल्कुल तंदुरुस्त पैदा हुआ था . आपके हाथों में आते ही बच्चे ने दम तोड़ दिया .

दाई माँ सुधीर से बात कर ही रही थी , कि तभी एक दासी प्रसव कक्ष से दौड़ते - दौड़ते उसे तरफ आई जहां सुधीर और दाई माँ खड़े थे . तभी उसने दाई माँ और सुधीर को कुछ ऐसा बताया , जिसे सुनकर उन दोनों के ही होश उड़ गए . और वह दौड़ते भागते उसे कमरे की तरफ गए जहां रानी वैभवी थी .


लो जी शुरू हो गया अवंतिका का श्राप . क्या सुधीर समझ पाएगा की अवंतिका के श्राप के कारण ही उसका यह हस्र हुआ है ?
क्या उसे कभी अपनी गलती समझ आएगी ? यह तो आने वाला वक्त बताएगा .
फिलहाल कमेंट सेक्शन में यह बताना ना भूलिएगा की आपको कहानी का यह भाग कैसा लगा ?
!!..... धन्यवाद .....!!