डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 27 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 27

अब आगे,

रूही के पिता अमर जल्दी से तैयार होकर फोन पर बताई हुई जगह पर पहुंचने के लिए निकल जाते है और रूही की सौतेली मां कुसुम उन्हे शर्मा निवास के दरवाजे तक छोड़ने के लिए आती हैं।

और रूही के पिता अमर के जाने के बाद, रूही की सौतेली मां कुसुम दनदनाते हुए रूही के कमरे में पहुंच जाती है और उस के बाल पकड़ते हुए उस से कहती हैं, " क्यू री करमजली बाप के आते ही पर निकल आए हैं तेरे जो हमारे लिए बनी मटर पनीर की सब्जी और परांठे चटकारे लेते हुए खा रही थी...!"

अपनी सौतेली मां कुसुम के ऐसे बालो से पकड़ने से रूही को बहुत ज्यादा ही दर्द होता है क्योंकि उस के बाल अभी गीले ही थे और वो रोते हुए अपनी सौतेली मां कुसुम से कहती है, " मां, वो तो पापा ने कहा कि आप ने दिए हैं इसलिए खा लिए थे मैने...!"

रूही की बात सुन, उस की सौतेली मां कुसुम उस से कहती हैं, " अच्छा, तू तो ऐसे कह रही है जैसे मै तुझे मटर पनीर की सब्जी रोज खिलाती हु, तुझे याद है या भूल गई कि तू जब पांच साल की थी तब मै इस घर में आई थी जब से तुझे तेरे पसंद की कोई चीज दी है जो अब दे दूंगी...!"

फिर रूही की सौतेली मां कुसुम, रूही को जमीन पर धाका देती हैं और उस से कहती है," जा जाके छत से कपड़े लेकर आ आज तेरी वजह से मेरी फूल सी बच्ची रीना को इतने सारे कपड़ो को छत पर सुखाने जाना पड़ा उस से तो चला तक नही जा रहा है, हल्दी वाला दूध दिया तब जाके सोई है मेरी बच्ची, और ये सब सिर्फ तेरी वजह से हुआ है...!"

और अपनी बात कहकर रूही की सौतेली मां कुसुम, रूही के हाथ की हथेली पर अपने पैर की चप्पल रख कर उस का हाथ दबाने लगती हैं जिस से रूही के आंखो से अंशू बहने लगते है और वो रोते हुए, अपनी सौतेली मां कुसुम से कहती है, " मां, मुझे दर्द हो रहा है...!"

रूही की बात सुन, रूही की सौतेली मां कुसुम उस से कहती हैं," अच्छी बात है होना भी चाहिए क्योंकि आज तेरी वजह से मेरी कमर में लचक आ गाई है तो तुझे इतनी आसानी से तो नहीं छोड़ सकती हूं जब तक तेरे से अपना हिसाब पूरा न कर लू...!"

और फिर थोड़ी देर बाद, रूही की सौतेली मां कुसुम अपना पैर, रूही के हाथ से हटा लेती है और उस से कहती हैं, " जा अब जल्दी से घर के सारे काम निपटाने में लग जा और फिर मेरे और मेरी फूल सी बच्ची रीना के लिए कुछ अच्छा सा बना, चल जल्दी से काम पर लग ....!"

अपनी बात कह कर रूही की सौतेली मां कुसुम, रूही के कमरे से निकल जाती हैं और रूही को बहुत रोना आ रहा होता है वो अपने अंशु पोश लेती है पर क्या करे दर्द बहुत ज्यादा ही हो रहा होता है और ऊपर से सारे काम भी उस को ही करने है जबकि जिस हाथ पर चोट लगी है वो उस का सीधा ही हाथ है...!

रूही जैसे तैसे कर के छत पर से सारे कपड़े ले आती हैं और कुछ की तह बना के रख देती हैं और बाकी प्रेस वाले अलग कर के रख देती हैं और उस के बाद घर सारे काम निपटाने के बाद अब रसोई घर में जाकर पहले बर्तन के ढेर को निपटाती है फिर एक कप चाय बनाकर अपनी सौतेली मां कुसुम को देकर आती हैं।

फिर रसोई में दुबारा जाकर आटा मलने के लिए जैसे ही डब्बे को खोलती हैं तो उस मे आटा नही होती है और न ही चावल बचे हुए होते है तो वो डरते डरते अपने सौतेली मां के पास जाती हैं।

रूही की सौतेली मां कुसुम, रूही को बिना खाना बनाये ही आता देख उस से गुस्से से कहती है, " क्यू री करमजली अब तक खाना क्यू नही बनाया है और यहां क्यू आ गाई है...!"

अपनी सौतेली मां कुसुम की बात सुन, रूही उन से कहती हैं, " वो...वो आटा खत्म हो गया है और चावल भी नही बचे हैं...!"

रूही की बात सुन, रूही की सौतेली मां कुसुम उस से कहती है, " वो तो होगा ही जब तू हमारे हिस्से का खाना भी खा लेगी तो...!"

अब रूही, अपनी सौतेली मां कुसुम से डरते हुए कहती हैं, " मां आप राशन ला दो...!"

रूही की सौतेली मां कुसुम, उस के एक खीच के चाटा मार देती हैं जिस से रूही जमीन पर गिर जाती हैं और उस से कहती हैं, " एक तो करामजली ने आज मेरी कमर ही तोड़ दी और ऊपर से मेरी फूल सी बच्ची रीना के पूरे शरीर में दर्द हो रहा है, राजू भी घर पर नही है और तेरा बाप भी रात तक घर आएगा और मैने सुबह से कुछ नही खाया है और तू कह रही हैं कि मै 2 घंटे लाइन मे भूखे प्यासे खड़े होकर राशन लेकर आऊ...!"

अब रूही की सौतेली मां कुसुम, रूही से कहती है, " जा जाकर अपना हुलिया ठीक कर के आ और राशन वाली दुकान से राशन लेकर आ और हां राशन लेकर ही आना चाहे कितना भी समय लग जाए, समझ में आया तुझे...!"

अपनी सौतेली मां कुसुम की बात सुन, रूही रोते हुए अपना सिर हां मे हिला देती हैं और अपने कमरे में चली जाती हैं।

To be Continued......❤️✍️

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