इश्क तो होना ही था - 6 Manshi K द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क तो होना ही था - 6

घर के बाहर ...... तेज गरज के साथ मूसलाधार बारिश होने लगी .... जिससे अगस्त्य भींग जाता है जो गाड़ी से फाइल्स लेने गया था ।

फाइल्स को कैसे भी बचा कर ले आया ....

आरोही किचेन में थी ....डिनर की तैयारी कर रही थी ।
लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या बनाऊं ?
क्योंकि आरोही को अभी ज्यादा कुछ बनाने नही आता है । फिर सोचने लगती हैं क्या बनाऊं ??

अगस्त्य अपने ऊपर से पानी को अपनी हाथों की मदद से हटा रहा था । लेकिन बारिश की वजह से वो भींग चुका था तो कपड़े गीले हो चुके थे .... अगस्त्य की कोशिश बेकार ही हुई ।।

भींगे कपड़ों में वो शर्मा जी के कमरे में पहुंचा ...

शर्मा जी अगस्त्य को गीले कपड़ों में देखकर " तुम तो पूरा भींग चुके हो बेटा ..... जल्दी से कपड़े बदल लो वर्ना तुम्हे शर्दी लग जायेगी । "

अगस्त्य: नही .. नही अंकल मैं ठीक हूं । कपड़े बदलने की जरूरत नहीं है ज्यादा गीले नही हुए हैं ।

शर्मा जी : अगस्त्य के माना करने पर भी शर्मा जी आरोही को आवाज दिए .....
पापा के आवाज सुनते ही आरोही किचेन से दौड़ती हुई चली आई ।

" जी पापा कहिए हांफते हुए बोली "

शर्मा जी : दौड़ कर आने की क्या जरूरत थी ? देखो कैसे हांफने लगी तुम .... जरा सी मेरी आवाज तुम्हे मिली नही की दौड़ती हुई भागी चली आती हो .....

आरोही : खुद को शांत करते हुए , " अब बोलिए पापा आपने मुझे क्यों याद किया तहजीब से बोली बिल्कुल छोटी बच्ची की तरह । "

उसकी भोलापन को देखकर शर्मा जी के चेहरे पर मुस्कुराहट लौट आती है जो कुछ देर पहले आरोही को डांट रहे थे लेकिन उनके डांट में आरोही के लिए प्यार और फिक्र दोनो साफ साफ झलक रही थी ।

अगस्त्य : आरोही और शर्मा जी के बीच प्यार को देख कर अगस्त्य अपने पिता को याद करने लगता है । वो भी मेरे क्या दिन थे ? जब मैं कॉलेज से आने के बाद पापा के साथ बैठ कर अपनी सारी बातें शेयर करता था ।
अब तो उनकी यादों से ही सिर्फ बातें होती है ।।
" हकीकत में वो अब कहां मिलने वाले है ? " खुद से बड़बड़ाया।

शर्मा जी : अगस्त्य की ओर इशारा करते हुए , " बेटा कोई एक कमरे में ले जाओ और मेरे कबर्ड से एक कुर्ता और पजामा निकाल कर दे दो ..... देखो कितना भींग गया है। "
सर्दी लग गई तो बहुत मुसीबत हो जायेगी और कल इसे पटना भी निकलना है ।

आरोही : जी पापा , कहकर शर्मा जी के कबर्ड के तरफ बढ़ गई । एक जोड़ा कुर्ता पजामा निकाल कर अपने हाथ में ले ली ।

अगस्त्य से नजरे चुराते हुए " आईए मेरे साथ ... कहने के बाद आरोही जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाने लगती है । "

अगस्त्य : मन ही मन " हेय भगवान मेरी रक्षा करना इस भोली भाली खूबसूरत सुंदरी से , कही मेरे साथ फिर से कुछ शरारत न कर दे । "

आरोही एक कमरे के सामने रुकती है और दरवाजा को खोलकर अंदर की ओर धक्का देती है ।
अंदर कुछ कदम जाने के बाद कमरे का लाइट्स ऑन करती है वैसे ही उसकी नजर एक छिपकली पर गई
आरोही " छिपकली चिल्लाते हुए दौड़ती हुई बाहर की ओर भागी ..... अगस्त्य जो अंदर आने के लिए एक कदम बढ़ा था भागने के दौरान अगस्त्य से टकरा जाती है । "

अगस्त्य से टकरा कर नीचे गिरने वाली ही होती है लेकिन अगस्त्य अपना हाथ आगे बढ़ा झटके में आरोही को अपनी ओर खींचा जिससे आरोही अगस्त्य के सीने से लग जाती है । यह घटना कुछ ही सेकेंट्स में हो जाती है ।

आरोही इस वक्त अगस्त्य के दिल की धड़कनों को महसूस कर रही थी जो शायद एक मिटन में 72 बार से ज्यादा धड़क चुके थे। और अगस्त्य आरोही को महसूस करने की कोशिश कर रहा था ।

उसी दौरान अगस्त्य को छींक आया जो उस वक्त दोनो के बीच " कबाब में हड्डी बन गया ।"
अगस्त्य को छींक आने के बाद आरोही खुद को अगस्त्य से अलग की और एक नजर अगस्त्य को देखने के बाद
" Thank you मुझे गिरने से बचाने के लिए "

दोस्ती में no sorry और no thank you अगस्त्य तब तक बोल पड़ा ।

आरोही : लेकिन हम दोनो दोस्त कब बने सोचते हुए बोली !

अगस्त्य : नही बने है तो अब बन जायेंगे या यूं कहूं जब आप नमक वाली चाय मेरे लिए लाई थी उस वक्त बन गए थे हल्की सी मुस्कान के साथ आरोही को तीरछी निगाहों से देखते हुए बोला । जो आरोही अपनी नजरे झुकाए उसके सामने खड़ी थी ।

आरोही अपने जीभ को दांतों तले दबा लेती है ।
उसके लिए " कान पकड़ कर I am really sorry"
उस वक्त आरोही बिल्कुल 10 साल की छोटी बच्ची लग रही थी ।

अगस्त्य जो कुछ घंटे पहले आरोही को अपनी नजरे उठा कर देखने से घबरा रहा था .... आरोही के सॉरी मांगने के तरीके पर खुल कर हंसने लगा ।

आरोही भी कम थोड़ी थी अपना पैर पटकते हुए गुस्से में चली गई .....।।।।

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