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82क्षितिज के बिंदु पर चल रही उत्सव की जीवन यात्रा को दर्शाता पटल सहसा अदृश्य हो...
अध्याय 34 हां कह देंगे वैसे ही हम ड्यूटी के काम को भी थोड़ा देख लेते हैं।’...
रूचि किचेन के तरफ बढ़ जाती है मिश्रा जी के लिए जूस जो लेना था । फिर उसके दिमाग...
आलिया चेन ला कर नरेश अंकल को देती है और उसे बेचने के लिए बोलती हैं। नरेश अंकल वो...
सुबह का बक्तसूरज की पहली किरण धरती को चूम रही थी। समंदर के किनारे रेत पर एक लड़क...
और वहीं साईना जो आदित्य से डर रही थी ,,,,,,, लेकिन आदित्य की बात सुन, ,,,,,,,,,,...
बुआ जी ने हिम्मत कर दरवाजे को खोला और जैसे ही दोनों आगे बढ़ी और नजर बेड पर लेटे...
स्नेहिल नमस्कार मित्रो आशा है नए वर्ष का स्वागत सबने कई...
नैना कपूर की मौत ने उनके आसपास के सभी लोगों को शक के घेरे में ला दिया था। अर्जुन...
भारत की रचना/ धारावाहिकचौदहवां भागसमय का पंछी लगातार उड़ता ही रहा. रो...
‘इंटरव्यू के हाल में’ खूब भीड़ थी। बहुत सारे नौजवान हट्टे-कट्टे, छोटे- बड़े सुंदर, इंटरव्यू के लिए इंतजार करके खड़े लोगों को देखते हुए कार्तिका ने अंदर प्रवेश किया। ‘कार्तिका इं...
आलिया का आज कॉलेज में आखिरी दिन है। इसलिए आज वो कॉलेज में पार्टी कर रही है सभी के साथ क्योंकि अब वो कॉलेज नही आयेगी। अब वो एग्जाम देगी और उसके बाद कॉलेज से छुट्टी। पार्टी खत्म ह...
मुम्बई होटल रॉयल प्रेसीडेंसी.....मुंबई के एक 7 स्टार होटल के आलीशान कमरे में एक लड़का बेड पर शर्टलेस लेटा हुआ सीलिंग पर लगे झूमर को एक टक देखे जा रहा था। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं...
यह कहानी है जानवी की ,,,,,,जो बहुत ही प्यारी है,,,और अपने घरवालों की लाडली है,,,,,,और साथ में बहुत जिद्दी भी।,,,,,,जो काम एक बार थान ले,,,,,,वो कर के ही रहती है।,,,,,,वो कर बैठी है...
ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है ये कहानी पूरी तरह से मेरी कल्पना पर आधारित है अगर इस कहानी या इसके किसी भी पात्र से आपको भावनात्मक रूप से ठेस पहुंचाती हैं तो मैं क्षम...
मित्रों ! प्रणाम जीवन की गति बहुत अदभुत है | कोई नहीं जानता कब? कहाँ?क्यों? हमारा जीवन अचानक ही बदल जाता है ,कुछ खो जाता है ,कुछ तिरोहित हो जाता है |हम एक आशा की प्रतीक्षा में खड़े...
मुक्तेश्वर। छोटी-सी जगह. भरा पूरा कस्बा। ब्रिटिश शासन में किसी अंग्रेज़ गवर्नर का निवास स्थान होने के कारण यहाँ पर अधिकांशतः इमारतें उसी काल की बनी हुई थीं- लाल और मज़बूत पक्की ईं...
कही से भी शुरू कर लीजिये आप को समझ पड़ जायेगी। ये कोई भी नकल के आधारत नहीं है, मै जिम्मेदारी लेता हुँ कि ये उपन्यास कुछ हट के है, जज्बात और भाबुक से बढ़ के कुछ जो रब करता है, हम हमेश...
...."ॐ वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ"... ..."निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा"....ये मेरी पहली कहानी का पहला भाग है......इसे जी भरकर प्यार दीजिएगा........
दोपहर के तीन बज रहे थे। सूर्य का तेज मध्यम हो चला था। पर सड़कों पर अभी लोगों का आना जाना न के बराबर है। कोई कोई व्यक्ति किसी मजबूरी के चलते ही बाहर निकलने की हिम्मत दिखा पा रहा था।...
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