द सिक्स्थ सेंस... - 31 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 31

उस दिन के बाद एक एक दिन करके वक्त गुजरने लगा और हर गुजरते दिन के साथ राजवीर और सुहासी का प्यार गहरा, गहरा और.. और जादा गहरा होने लगा और प्यार की इस गहराई की वजह शायद ये भी थी कि राजवीर और सुहासी के प्यार के बीच में जिस्मानी जरूरतें कभी नहीं आयीं, वो दोनों एक दूसरे के प्यार में इतना खुश थे कि ऐसा लगता था जैसे उन्हे पता ही नहीं है कि जिस्मानी जरूरतें, इंटिमेट होना.. क्या होता है!!

साल दर साल गुजरते गुजरते वक्त कितनी तेज बीता... पता ही नहीं चला!!

ग्रेजुएशन के तीन साल और एमबीए के दो साल पूरे हो चुके थे, इस बीच वैकेशन्स में एक दो बार सुहासी और जुबैर दोनों इंडिया भी आये लेकिन राजवीर कभी इंडिया नहीं गया, सुहासी उससे जब भी पूछती कि वो घर क्यों नहीं जाता है तो वो कुछ ना कुछ बहाना बनाकर बात को टाल दिया करता था, कॉलेज खत्म होने को था कैंपस सेलेक्शन के लिये कई कंपनियों ने फ्रेशर्स की जॉब के लिये इंटरव्यू लेने भी शुरू कर दिये थे और इत्तेफाक से सुहासी का सेलेक्शन एक दो इंटरव्यू के बाद ही एक बहुत बड़ी कंपनी में ट्रेनी एचआर की पोस्ट के लिये हो भी गया था!!

सुहासी के सेलेक्शन के बाद एक दिन राजवीर ने उससे कहा- सुहासी मुझे कुछ दिनों के लिये इंडिया जाना होगा, मॉम डैड बहुत फोर्स कर रहे हैं, मैं उनसे मिलकर जल्दी वापस आ जाउंगा |

राजवीर के इंडिया जाने की बात सुनकर सुहासी उदास हो गयी और उससे बोली- राजवीर पिछले पांच सालों में तुम्हारी आदत सी हो गयी है मुझे, तुम इंडिया जा रहे हो ये बात सुनकर मुझे पता नहीं क्यों अजीब सी घबराहट हो रही है, एक अजीब सी बेचैनी सी होने लगी है!!

सुहासी की ये बात सुनकर राजवीर ने बड़े प्यार से उसका चेहरा अपनी हथेलियों में भरा और उसका माथा चूमते हुये उससे बोला- किस बात की चिंता हम्म्? मैं बस कुछ दिनों में वापस आ जाउंगा फिर...!!

सुहासी उसे बीच में टोकते हुये बोली- फिर क्या राजवीर?

राजवीर भावुक सा होते हुये सुहासी का चेहरा सहलाते हुये बोला- फिर... हम शादी कर लेंगे!!

शादी की बात सुनकर सुहासी भी भावुक हो गयी और "ओह राजवीर... आई लव यू सो मच, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, हां हम शादी कर लेंगे!!" बोलते हुये राजवीर के सीने से लग गयी!!

राजवीर ने कहा- सुहासी तुम्हारी आज से तीन दिन बाद से ज्वाइनिंग है, मैं तुम्हे तुम्हारी जॉब के पहले दिन गुडलक विश करके ही अगले दिन इंडिया चला जाउंगा इसलिये मैं चाहता हूं कि मेरे इंडिया जाने से पहले पूरा एक दिन हम साथ बितायें!!

सुहासी बोली- हां राजवीर मैं भी यही चाहती हूं, तुम जहां ले चलो मैं वहां तुम्हारे साथ चलने के लिये तैयार हूं, तुम्हारे इंडिया जाने से पहले मैं तुम्हें जी भर के देखना चाहती हूं!!

राजवीर ने कहा - ठीक है फिर हम कल सुबह न्यूयॉर्क सिटी चलेंगे, वहां पूरे दिन साथ रहेंगे और शाम को वापस आ जायेंगे !!

अपनी बात कहने के बाद राजवीर ने सुहासी को कसकर अपने सीने से लगा लिया इस बात से अंजान कि कोई है जो थोड़ा दूर खड़ा उन दोनों के इस प्रेमालाप को देख रहा है!!

अगले दिन सुबह से ही आसमान में काले बादल छाये हुये थे, हवायें भी तेज चल रही थीं ऐसा लग रहा था जैसे बारिश होने वाली है लेकिन सुहासी और राजवीर दोनों जानते थे कि अगर वो आज कहीं घूमने नहीं गये तो फिर सीधे तब ही जा पायेंगे जब राजवीर इंडिया से वापस आ जायेगा इसलिये मौसम की परवाह किये बगैर वो दोनों टैक्सी से न्यूयार्क सिटी के लिये निकल गये!!

सुहासी और राजवीर का खराब हो रहे मौसम में भी न्यूयॉर्क सिटी जाने का निर्णय तब सही साबित हो गया जब न्यूयॉर्क पंहुचते पंहुचते आसमान में छाये काले बादल छंटने लगे और खिली खिली धूप निकलने लगी|

वैसे तो राजवीर और सुहासी दोनों पहले भी कई बार अकेले में समय बिता चुके थे लेकिन आज का दिन इसलिये भी खास था क्योंकि राजवीर कुछ दिनों के लिये सुहासी से दूर जा रहा था, सुहासी भले दो तीन बार वैकेशन्स में इंडिया गयी थी लेकिन राजवीर का ये पहला मौका था इसलिये उसे अपने से इतनी दूर जाने का सोचकर ही सुहासी बार बार इमोशनल हो रही थी और वो दोनों जानते थे कि कॉलेज खत्म होने के बाद अब वो पहले जैसा रोज रोज मिलना, दिन भर साथ रहना.. वो सब कुछ बदलने वाला था, चीजें अब पहले जैसी नहीं रहने वाली थीं!!

सुहासी और राजवीर एक दूसरे के साथ बिताये जाने वाले एक एक पल को पूरी तरह से जी लेना चाहते थे, धीरे धीरे करके घड़ी की सुइयों ने शाम के करीब पांच बजा दिये थे, शाम होते देख राजवीर ने सुहासी से कहा- सुहासी शाम हो चुकी है, चलो कॉफी पीते हैं फिर हम कॉलेज के लिये निकलेंगे!!

उसकी इस बात पर सुहासी ने भी हामी भर दी और फिर वो दोनों कॉफी पीने के लिये एक कॉफी हाउस में चले गये, वहां गये हुये पंद्रह बीस मिनट ही बीते थे कि तभी राजवीर से बात करते करते सुहासी एकदम से चौंकते हुये उससे बोली- ओ गॉड राजवीर.. बाहर देखो!!

राजवीर ने जब पलट कर बाहर की तरफ देखा तो वो भी बुरी तरह चौंक गया, उन दोनों ने देखा कि शाम के सवा पांच बजे ही बाहर अंधेरा सा छाने लगा था, बाहर देखने के बाद सुहासी और राजवीर दोनों अपनी जगह से उठे और हैरान से हुये बाहर आ गये, बाहर आकर उन्होंने देखा कि जो आसमान अभी तक साफ था अब उसे फिर से सुबह की तरह ही काले घने बादलों ने अपने आगोश में ले लिया था और इस बार बादल बहुत जादा घने थे... इतने घने कि शाम के पांच सवा पांच बजे ही हर तरफ अंधेरा सा छा गया था, काले घने बादलों को देखकर सुहासी राजवीर से बोली- यार राजवीर लग रहा है तूफान आने वाला है, हमें अब चलना चाहिये!!

राजवीर ने कहा - हां सुहासी हमें चलना चाहिये, तुम रुको मैं बिल पे करके आता हूं!!

अपनी बात कहकर राजवीर जैसे ही अंदर जाने के लिये मुड़ा वैसे ही आसमान में बहुत तेज चमक के साथ जोर से बिजली गड़गड़ायी, वो आवाज सुनकर सुहासी बहुत डर गयी और जोर से चिल्लाकर "राजवीर!!" राजवीर के सीने से चिपक गयी और हड़बड़ायी हुयी बोली- मुझे लाइटनिंग से बहुत डर लगता है राजवीर, अभी मत चलो प्लीज, मौसम ठीक हो जाने दो तब चलेंगे, मुझसे बिजली की ये चमक और ये गड़गड़ाहट बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होती!!

सुहासी को डरा हुआ देखकर राजवीर ने कोई सवाल नहीं किया बस अपने सीने से चिपका कर उसे अंदर कॉफी शॉप में ले गया, अंदर जाकर डरी हुयी सुहासी बोली- यार ऐसी किसी जगह बैठते हैं जहां से ये लाइटनिंग ना दिखे और ना आवाज ही आये!!

इसके बाद राजवीर सुहासी को लेकर एक ऐसी जगह जाकर बैठ गया जहां से बाहर की ना तो आवाजें आयें और ना ही उसे कुछ सुनाई ही दे |

समय बीतता जा रहा था और एक बार बारिश जो शुरू हुयी वो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, धीरे धीरे करके रात के आठ बज गये थे सुहासी और राजवीर दोनों अब वापस हॉस्टल जाने के लिये परेशान हो रहे थे कि तभी राजवीर ने बाहर निकलकर देखा कि बारिश अब हल्की हो चुकी है लेकिन रेस्टोरेंट के बाहर बहुत भीषण जाम लगा हुआ है शायद सड़क में आगे कहीं कोई एक्सीडेंट हो गया था, राजवीर ने फिर भी हॉस्टल की लोकेशन फीड करके टैक्सी बुक करने की कोशिश करी लेकिन इस तूफानी बारिश के बाद कोई टैक्सी वाला ऐप के जरिये बुकिंग एक्सेप्ट ही नहीं कर रहा था, काफी देर तक भी जब टैक्सी बुक नहीं हुयी तो थक हार कर राजवीर सुहासी के पास गया और बोला- यार सुहासी टैक्सी बुक ही नहीं हो रही है, कोई भी टैक्सी वाला बुकिंग एक्सेप्ट ही नहीं कर रहा है!!

सुहासी ने कहा- हमारा कॉलेज यहां से पचास किलोमीटर दूर है इसलिये हो सकता है तूफान और बारिश की वजह से कोई वहां ना जा रहा हो!!

राजवीर ने कहा- अब क्या करें?

सुहासी बोली- क्या कर सकते हैं यार इस रेस्टोरेंट के होटल में ही एक रूम बुक कर लेते हैं, अब सुबह ही चलेंगे क्योंकि रात बहुत हो गयी है कॉलेज का गेट भी बंद हो गया होगा और कॉलेज के बाहर उस जंगल में हम रात कैसे बितायेंगे!!

इसके बाद सुहासी के कहने पर राजवीर ने उसी रेस्टोरेंट के होटल में एक रूम बुक कर लिया और फिर वो दोनों रेस्टोरेंट से रूम में चले गये!!

क्रमशः