डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 20 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 20

अब आगे,

अपनी मां की बात सुन, रीना उन से कहती हैं, "तो क्या हुआ वो बदनसीब रूही की यही औकात है तो वही पहनेगी न और अगर कुछ कहे तो कह देना की घर के काम करने के लिए ये पहन लिए थे और बाद में अच्छे वाले कपड़े पहने लेगी...!"

अपनी बेटी रीना की बात सुन, कुसुम उस से कहती है, "ये सही कहा तूने..!" और रीना की अलमारी से एक अच्छा सा सूट निकल लेती है और उस से कमरे से जाने लगती हैं।

जब रीना ये देखती है तो अपनी मां कुसुम से कहती हैं, "अरे मेरा नया सूट लेकर कहा जा रही हो...?"

अपनी बेटी रीना की बात सुन, कुसुम उस से कहती है, "उस करमजली रूही को देने नही तो उस का बाप मुझे सुनने लग जायेगा कि उस के जो कपड़े थे वो कहा गए...!"

अपनी मां कुसुम की बात सुन, रीना उन से कहती हैं, " ये वाला मत लेकर जाओ इसे तो मैने अभी तक पहना भी नही है, ये तो बिलकुल नया है और उस बदनसीब रूही के लिए कोई और ले लो....!"

अपनी बेटी रीना की बात सुन, कुसुम उस से कहती है, " पागल हो गई हैं क्या और वैसे भी तेरी अलमारी सारे एक से एक अच्छे कपड़े है तो एक कपडा उस करमजली रूही को दे भी दूंगी तो क्या ही हो जायेगा बता मुझे...?"

कुसुम और रीना आपस मे बात कर ही रहे थे तभी वहा रूही के पिता अमर, रीना के कमरे में आ जाते है और वही खड़े होकर अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से पूछते है, " कुसुम मै एक हफ्ता पहले ही तो रूही के लिए दो जोड़ी कपड़े लाया था और हर बार लाता हु तो वो कपड़े कहा है क्योंकि मैंने उस की अलमारी में भी देखा वहा पर भी फटे पुराने ही कपड़े रखे हुए है...?"

कुसुम और रीना को जब रूही के पिता अमर की आवाज सुनाई देती हैं तो दोनो के होश ही उड़ जाते है पर उन दोनो की पीठ अमर के सामने होने की वजह से अमर उनका असल चेहरा नही देख पाते हैं साथ में वो उन से दुबारा पूछते है, " मैने कुछ कहा है कुसुम, उस बात का जवाब दो...?"

रूही के पिता अमर की आवाज दुबारा सुनने से वो दोनो अपने होश में वापस आते हैं और अपने आप को नॉर्मल कर लेते है और कुसुम पीछे मुड़ कर अमर से कहती हैं, " वो क्या है ना अमर, मेरी फूल सी बच्ची अब बड़ी हो रही हैं तो आगे जाके उस की शादी भी करनी है तो उस को घर के थोड़े थोड़े काम सीखा रही हु, जिससे शादी तक सब सीख जायेगी तो ससुराल में कोई परेशानी नही होगी...!"

रूही की सौतेली मां कुसुम की बात सुन, रूही के पिता अमर उन से कहते है, " वो सब तो ठीक है पर रूही के पास ढंग के कपड़े क्यू नही है और आज इतनी फटे पुराने कपड़े क्यू पहने हुए थे उस ने....?"

रूही के पिता अमर की बात सुन, कुसुम उन से कहती है, " अरे अभी कहा तो मैंने आप से उस को घर के काम सीखा रही हु साथ में खाना बनाते समय वो बहुत सी चीजे अपने नए नए सूट पर लगा लेती है जिस से वो खराब हो जाते है अब आप इतनी मेहनत करके रुपए कमाते हैं और मेरी फूल सी बच्ची अपनी नादानी में नए से नए कपड़े खराब कर लेती हैं बस इसलिए ही मैने उस के ही खराब हुए कपड़ो को काम करते समय पहने को बोल दिया है और बाकी समय अच्छे से तैयार होकर रह लेती है...!"

कुसुम की बात सुन, रूही के पिता को लगता है कि उन की दूसरी पत्नी कुसुम उन की बेटी रूही का कितना ख्याल रखती हैं। और वो अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कहते है, " बहुत अच्छा किया तुम ने और अब मुझे उस के अच्छे वाले कपड़े दे दो, वो नहाने के बाद पहन लेगी, अभी उस की तबीयत खराब है तो फिर कभी सीखा लेना तुम उस को घर के काम अभी के लिए जो कपड़े छत पर पड़े हैं वो रीना सुखा लेगी...!"

रूही के पिता अमर की बात सुन, रीना का मुंह बिगड़ जाता है पर उस की मां कुसुम उस को इशारों से कुछ न बोलने को कहती है जिस से रीना कुछ नही कहती है और अपने हाथ में पकड़े हुए नए सूट रूही के पिता अमर को देते हुए कहती हैं, " आप को क्या लगता है मुझे अपनी फूल सी बच्ची का ख्याल नही है, बल्कि मै तो आप से पहले ही रूही के लिए उस का नया सूट लेने आ गई थी...!"

To be Continued......❤️✍️

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