फागुन के मौसम - भाग 22 शिखा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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फागुन के मौसम - भाग 22

देर रात बनारस पहुँचने के कारण अगले दिन सुबह तारा की नींद भी देर से टूटी।
वो अभी भी उठने के मूड में नहीं थी कि तभी अंजली ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए कहा, "तारा बाहर आओ, यश का असिस्टेंट नितिन तुमसे मिलने आया है।"

यश का नाम सुनते ही तारा चौंककर उठी। जब उसकी नज़र घड़ी पर पड़ी तब उसने देखा सुबह के साढ़े दस बजने जा रहे थे।

"हे भगवान, राघव तो आज मुझे कच्चा चबा जायेगा।" तारा ने बिस्तर से बाहर निकलते हुए कहा और तेज़ी से वो बाहर ड्राइंग-रूम की तरफ भागी जहाँ नितिन उसकी प्रतीक्षा कर रहा था।

नितिन ने तारा को नमस्ते कहते हुए एक लिफ़ाफ़ा उसे देकर कहा, "मैम, ये यश सर ने आपके लिए भेजा है और आपका मोबाइल बंद था इसलिए उन्होंने कहा है कि मैं आपको बता दूँ वो आज सुबह ही दिल्ली चले गये हैं और अब अगले वीकेंड पर ही वो आयेंगे।"

"ठीक है, धन्यवाद नितिन जी। आप चाय पीकर जाइयेगा मैं अभी भिजवाती हूँ।"

"चाय तो भाभीजी ने पिला दी है मैम, इसलिए अब मैं चलता हूँ।"

"ठीक है।" तारा ने लिफ़ाफ़े को देखते हुए कहा और नितिन के जाने के बाद अपने कमरे में आकर जब उसने लिफ़ाफ़ा खोला तो उसमें वैदेही के सारे ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स थे जिनके अनुसार अब उसकी पहचान जानकी के रूप में थी।

यश ने तारा के एजुकेशनल डॉक्यूमेंट्स में उसकी डिग्री वही रहने दी थी, बस फॉरेन यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर उसने इन कागज़ातों में तारा को दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट दिखा दिया था।

इन सारे पेपर्स को देखते हुए तारा ने ख़ुशी से चहकते हुए कहा, "वाह यश, मान गये तुम्हें। अब राघव मुझ पर या वैदेही पर ऊँगली नहीं उठा पायेगा।"

फिर उसने अपने माथे पर चपत लगाते हुए कहा, "वैदेही नहीं जानकी, आज से दफ़्तर के बाहर भी हर जगह वो बस जानकी है।"

तारा ने अब अपना मोबाइल ऑन किया और सबसे पहले यश को थैंक्यू का एक मैसेज भेजने के बाद उसने वैदेही के लिए भी मैसेज छोड़ दिया कि वो आधे घंटे में दफ़्तर आ जाये।

कुछ देर के बाद जब तारा तैयार होकर दफ़्तर जाने के लिए निकली तब अंजली ने उससे नाश्ते के लिए पूछा लेकिन घड़ी की तरफ संकेत करते हुए तारा तेज़ी से अपनी कार की तरफ चल पड़ी।

दफ़्तर की पार्किंग में अपनी गाड़ी लगाकर तारा जैसे ही अंदर पहुँची, मंजीत ने उससे कहा, "मैम, आज बॉस के केबिन में काफ़ी गर्मी है। उन्होंने आपको आते ही तुरंत मिलने के लिए बुलाया है। ज़रा बर्फ-वर्फ लेकर ही जाइयेगा।"

"हम्म... थैंक्स फॉर द कन्सर्न मंजीत।" तारा ने मुस्कुराने की कोशिश करते हुए कहा और राघव के केबिन की तरफ बढ़ गयी।

राघव, जो इस समय अपने केबिन में चहलकदमी कर रहा था उसके चेहरे पर स्पष्ट रूप से बेचैनी की रेखाएं नज़र आ रही थीं।

तारा को देखते ही अपनी कुर्सी पर बैठते हुए उसने उससे भी अपने सामने की कुर्सी पर बैठने का संकेत करते हुए कहा, "मिस मैनेज़र, क्या आज आपके घर की सारी घड़ियां बंद हो गयी थीं?"

"सॉरी सर, वो दरअसल कल घर लौटने में मुझे देर हो गयी बस इसलिए...।"

"इसलिए आपने सोचा कि ये तो आपका दफ़्तर है ही नहीं, मौज-मस्ती करने की जगह है जहाँ आप कभी भी टहलते हुए आ सकती हैं, जा सकती हैं।"

"नो सर, आई एम रियली वेरी सॉरी। अब ऐसा कभी नहीं होगा।"

"गुड और आप अपना ये कमिटमेंट याद रखें इसलिए आज आपकी ड्यूटी हाफ डे ही काउंट होगी और आपकी सैलरी भी काटी जायेगी।"

"एज योर विश सर, क्या अब मैं जाऊँ?"

"जाऊँ? आर यू आउट ऑफ योर माइंड मिस तारा? आज हमें अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए मीटिंग करनी है। आपको याद है या ये भी आप अपने नये दोस्तों की संगत में भूल गयी हैं?"

"मुझे सब याद है सर, आप बस मुझे एक घंटे का समय दीजिये। फिर मैं सबको कांफ्रेंस रूम में बुलाकर आपको इनफॉर्म कर दूँगी।"

"ये एक घंटे का समय आपको क्यों चाहिए?"

"क्योंकि अभी मैंने फर्नीचर वाले को बुलाया है जो यहाँ आपके केबिन के एक कोने में जानकी के बैठने के लिए कुर्सी-मेज़ लगायेगा।
जानकी भी बस आती ही होगी।"

"लेकिन वो मेरे केबिन में क्यों बैठेगी?" राघव अपना गुस्सा भूलकर परेशान होते हुए बोला तो तारा ने कहा, "क्योंकि वो आपकी असिस्टेंट है। अगर वो यहाँ रहेगी तो आप दोनों को एक साथ काम करने में सुविधा होगी।"

"और मेरी प्राइवेसी का क्या होगा?"

"सॉरी सर, ये दफ़्तर है घर नहीं जहाँ आप प्राइवेसी की डिमांड करें।
अब मैं चलती हूँ।"

तारा ने दृढ़ता से कहा और राघव के उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना वो उठकर अपने केबिन की तरफ बढ़ गयी।

जब वो अपने केबिन में पहुँची तब जानकी बनी वैदेही वहाँ उसी की राह देख रही थी।

तारा के आते ही जानकी ने उससे पूछा, "मैं इस दफ़्तर में कहाँ बैठूँगी?"

"बॉस के केबिन में। बस थोड़ी देर रुको तुम्हारी कुर्सी वहाँ सेट हो जायेगी।"

हामी भरते हुए जानकी अपने वो डॉक्यूमेंट्स देखने लगी जिन्हें यश ने उसके लिए बनवाया था।

दस मिनट बाद ही मंजीत ने आकर तारा से कहा कि फर्नीचर वाला आ गया है तो वो राघव के केबिन में जाकर सारा सेटअप करवा दे।

तारा जब फर्नीचर वाले के साथ राघव के केबिन में पहुँची तब उसने देखा राघव अपने लैपटॉप पर काम करने में व्यस्त था।

उससे परमिशन लेकर तारा ने ऐसी जगह जानकी के लिए मेज़ और कुर्सी लगवायी जहाँ राघव उसे आसानी से देख सकता था।

फर्नीचर वाले के जाने के बाद तारा ने राघव से कहा, "सर, आपकी असिस्टेंट आ गयी है। आपको अगर अपने नये प्रोजेक्ट के लिए कुछ नोट्स बनवाने हों तो उससे बनवाकर आप हमें इनफॉर्म कर दीजिये। हम सब कांफ्रेंस रूम में जा रहे हैं।"

राघव ने बस हामी भरी और एक बार फिर उसने लैपटॉप की स्क्रीन पर अपनी नज़रें जमा लीं।

कुछ ही मिनटों में जब जानकी ने राघव के केबिन का दरवाजा खटखटाया तब उसे अंदर आने के लिए कहते हुए राघव की आवाज़ जैसे काँप सी गयी।

राघव के सामने आने के बाद जानकी ने उससे पूछा, "सर, आज मुझे क्या काम करना है?"

राघव ने एक पेन-ड्राइव उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा, "मैंने हमारे नये प्रोजेक्ट के लिए कुछ जानकारी निकाली है जो इसमें सेव है। आप इसे लेकर कांफ्रेंस रूम में चलिये और वहाँ प्रोजेक्टर पर आप इसे चलाइयेगा ताकि मैं सारी टीम से इसके विषय में डिस्कस कर सकूँ।
आप प्रोजेक्टर तो हैंडल कर लेंगी न?"

"जी सर, बिल्कुल। आप निश्चिंत रहिये। क्या उससे पहले एक बार मैं ये पेन-ड्राइव देख सकती हूँ?"

"हाँ श्योर।"

"लेकिन आज मैं अपना लैपटॉप नहीं लायी हूँ।"

"कोई बात नहीं, आप मेरा लैपटॉप इस्तेमाल कर सकती हैं।" कहते हुए राघव ने अपना लैपटॉप उसकी तरफ घुमाया तो जानकी उसे लेकर अपनी मेज़ पर चली गयी।

अपने काम की गंभीरता समझते हुए जानकी बहुत ध्यान से पेन-ड्राइव में सेव फाइल को पढ़ रही थी और अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ राघव उसकी तरफ देखने से ख़ुद को रोक नहीं पा रहा था।

जानकी को इतनी तल्लीनता से काम करते हुए देखकर उसे महसूस हो रहा था कि शायद उसे इस दफ़्तर में जानकी के साथ एडजस्ट करने में इतनी समस्या भी नहीं होगी जितनी उसने कल्पना कर ली थी।

जब जानकी ने लैपटॉप बंद किया तब राघव ने तारा को फ़ोन करके कहा, "मिस मैनेज़र, हम मीटिंग के लिए तैयार हैं।"

"हम?"

"हाँ, मैं और मिस जानकी।"

"ओके बॉस। हम सब पहुँच रहे हैं।" कहकर तारा ने फ़ोन रख दिया।

जब राघव और जानकी कांफ्रेंस हॉल में पहुँचे तब तारा समेत हर्षित, राहुल और विकास ने ताली बजाकर जानकी का दफ़्तर में स्वागत किया।

सब लोगों के अपनी-अपनी जगह पर बैठने के बाद राघव के संकेत पर जानकी ने प्रोजेक्टर ऑन किया।

अब स्क्रीन पर सबको लुंबिनी के वो भव्य ऐतिहासिक चित्र नजर आ रहे थे जिनके आधार पर राघव ने नये वीडियो गेम की रूपरेखा बनाई थी।

मीटिंग आगे बढ़ाते हुए राघव ने अपनी टीम को संबोधित करते हुए कहा, "मैं सोच रहा हूँ कि अगर हम अपना नया गेम किसी हिस्टोरिकल प्लेस को केंद्र में रखकर डिज़ाइन करें तो कैसा रहेगा?"

"आई थिंक ये बहुत ही यूनिक कांसेप्ट होगा।" विकास ने कहा तो बाकी सबने भी अपनी सहमति जतायी।

"तो मैंने इस गेम के लिए लुंबिनी और कपिलवस्तु का चुनाव किया है जहाँ का इतिहास हम अपने गेम में शामिल करेंगे।
वैसे आप लोगों के ज़हन में अगर कोई और स्थान हो तो आप मुझे बता सकते हैं।" राघव ने जब कहा तो हर्षित बोला, "मेरे विचार से ये दोनों ही जगह परफेक्ट हैं।"

"तो हम आगे डिस्कस करें?" राघव ने पूछा तो सारी टीम हामी भरते हुए प्रोजेक्टर की तरफ देखने लगी।

जानकी अब एक-एक करके प्रोजेक्टर की स्क्रीन पर स्लाइड्स आगे बढ़ाने लगी और राघव उन स्लाइड्स को एक्सप्लेन करके सबको अपनी योजना बताता रहा।

प्रोजेक्टर बंद होने के बाद तारा ने कहा, "बॉस, वैसे तो आपकी रिसर्च काफी अच्छी है लेकिन मुझे लगता है हमें गेम की डिज़ाइन को फाइनल करने से पहले एक बार प्रत्यक्ष रूप से इन दोनों जगहों को देखकर आना चाहिए ताकि गेम में रीयल इफेक्ट आ सके।"

"हम्म...ठीक है। मुझे कोई समस्या नहीं है। आप और विकास मेरे साथ इस ट्रिप पर चलने की तैयारी कर लीजिये।" राघव ने तारा का सुझाव मानते हुए कहा तो तारा बोली, "सॉरी सर बट मैं नहीं जा पाऊँगी क्योंकि मुझे अभी अपने परिवार के साथ अपनी सगाई की भी तैयारी करनी है।"

"ठीक है, फिर मैं और विकास चले जायेंगे।"

विकास हामी भरता उससे पहले ही तारा ने उसे इशारा किया जिसके बाद विकास ने सिर झुकाकर कुछ उदास लहजे में कहा, "सॉरी सर लेकिन मैं भी आपके साथ नहीं जा पाऊँगा।"

"क्यों? आप हमारे मुख्य डिज़ाइनर्स में से एक हैं मिस्टर विकास।" राघव ने कुछ हैरत से कहा तो विकास बोला, "सर आप डिज़ाइन की फ़िक्र मत कीजिये वो मैं आपकी लायी हुई रियल तस्वीरों और अनुभव के आधार पर आपके साथ मिलकर बना लूँगा पर इस समय मेरी वाइफ प्रेगनेंट है तो मैं उसे अकेला छोड़कर शहर से बाहर नहीं जाना चाहता हूँ।"

"ठीक है तो हर्षित और राहुल मेरे साथ जायेंगे।" राघव ने अब कहा तो तारा के इशारे पर उन दोनों ने भी अपनी ऐसी पारिवारिक मजबूरी बतायी कि राघव चाहकर भी उनसे कुछ नहीं कह पाया।

"फिर ठीक है, मैं अकेला ही इस ट्रिप पर जाऊँगा।" राघव ने अपनी कुर्सी से उठते हुए कहा तो तारा बोली, "सर, आप भूल रहे हैं कि इस दफ़्तर में अब आपकी एक असिस्टेंट भी है। वो आपके साथ जायेगी ताकि आपको अकेले नोट्स बनाने में समस्या न हो और सबसे अच्छी बात ये है कि मिस जानकी ने 'भारतीय इतिहास' में ही अपनी बैचलर और मास्टर्स डिग्री ली है तो उनकी नॉलेज आपके और हमारे इस प्रोजेक्ट के बहुत काम आयेगी।"

"मिस तारा, आपको पता भी है आप क्या बोल रही हैं? मैं और मिस जानकी अकेले कैसे जा सकते हैं? आपकी बात और है।" राघव ने हैरत से कहा तो तारा बोली, "जब आप दोनों साथ जायेंगे तो अकेले कैसे हुए?"

फिर उसने अपनी पूरी टीम को संबोधित करते हुए कहा, "क्या आप सबको लगता है कि हमारे बॉस का कैरेक्टर ऐसा है कि उनकी असिस्टेंट का इस ट्रिप पर उनके साथ जाना सही नहीं होगा या फिर ये किसी गॉसिप का सब्जेक्ट बन सकता है?"

"बिल्कुल नहीं।" जब सभी लोगों ने समवेत स्वर में कहा तब तारा ने जानकी से कहा, "मिस जानकी, क्या आप बॉस के साथ इस ट्रिप पर जाने में सहज हैं? अगर आपको कोई समस्या है तो आप खुलकर बोल सकती हैं डोंट वरी। फिर हम कोई और विकल्प तलाश करेंगे।"

"नो मैम, मैं बिल्कुल कंफर्टेबल हूँ। अपने काम के लिए मुझे कहीं भी जाने से परहेज़ नहीं है और लोगों की इतनी समझ तो अब मुझे हो चुकी है कि मैं ख़ुद को किसी समस्या में घिरने से बचा सकती हूँ।" जानकी ने आत्मविश्वास भरे स्वर में कहा तो तारा राघव से बोली, "बॉस, फिर तय रहा कि आप दोनों इस नये प्रोजेक्ट के लिए बेसिक डिटेल्स लेकर आयेंगे। जब आप ये ट्रिप फाइनल कर लें तो जानकी को बता दीजियेगा कि उसे आपके साथ कब और कितने बजे जाना है।"

"ठीक है।" इतना कहकर जब राघव अपने केबिन की तरफ गया तब जानकी भी उसके पीछे-पीछे चली गयी।

उन दोनों के जाने के बाद हर्षित, विकास और राहुल तारा को घेरते हुए बोले, "मैम ये चक्कर क्या है? पहले उस दिन आश्रम की वर्षगाँठ में यश जी ने हमसे कहा कि हम इस लड़की का असली नाम बॉस के सामने न लें, फिर आप इस लड़की को बदले हुए नाम के साथ हमारे दफ़्तर में ले आयीं और अब आपने बॉस के साथ इस ट्रिप पर जाने से ख़ुद भी मना कर दिया और हमें भी रोक दिया।"

"पहले मुझे एक बात बताइये कि आप सबका घर तो बस चुका है लेकिन क्या आप सब नहीं चाहते हैं कि आपके बॉस का घर भी बस जाये?" तारा के इस प्रश्न पर सबने समवेत स्वर में कहा, "बिल्कुल चाहते हैं।"

"तो फिर हम सबको मिलकर ये कोशिश करनी है कि बॉस और जानकी ज़्यादा से ज़्यादा समय साथ में गुज़ारें और बाकी जो प्रश्न जानकी की असली पहचान से है तो अभी बॉस को उसके विषय में पता नहीं चलना चाहिए क्योंकि जानकी, जो हमारे बॉस से बहुत प्यार करती है दरअसल एक नृत्यांगना है और बॉस को तो नृत्य से नफ़रत है।
इसलिए जानकी की इच्छा है कि वो पहले बॉस के दिल से इस नफ़रत को मिटा दे और तब अपने दिल की बात उनके सामने रखे।
तो हम सबको इसमें उसका साथ देना है और सही समय आने तक बॉस के सामने उसका ये राज़, राज़ बनाये रखने में साथ देना है।"

"आप जानकी से कह दीजियेगा हम सब उसके साथ हैं।" राहुल ने कहा तो हर्षित भी मुस्कुराते हुए बोला, "हाँ वो दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं।"

"मेड फॉर ईच अदर टाइप।" विकास ने भी कहा तो तारा ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया जिस पर हर्षित, राहुल और विकास ने अपना हाथ रखते हुए राघव के संग जानकी की जोड़ी बनाने के लिए अपने इरादे को पक्का कर लिया।
क्रमश: