ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 20 astha singhal द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 20

भाग 20

मेफेयर नर्सिंग होम
******************

“नमस्ते डॉक्टर चंद्रा। मैं इंस्पेक्टर विक्रम राठोर और ये मेरी पत्नी कविता राठोर। ये एक प्राइवेट डिटेक्टिव भी हैं और बहुत से केस में हमारे डिपार्टमेंट की मदद भी कर चुकी हैं।”

“हैलो सर, प्लीज़ बैठिए। आप दोनों…यहाँ
चेकअप के लिए आए हैं या…?” डॉक्टर चंद्रा ने पूछा।

“वो दिन भी ज़रूर आएगा डॉक्टर, पर फिलहाल हम यहाँ एक केस के सिलसिले में आए हैं।” विक्रम ने मुस्कुराते हुए कहा।

“जी कहिए मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं?”

कविता ने अपने पर्स से नीलम की तस्वीर निकाल कर उनको दिखाते हुए पूछा, “आप इसे जानती हैं?”

डॉक्टर चंद्रा कुछ देर तस्वीर को देखती रहीं फिर बोली, “हाँ ये दो महीने पहले हमारे क्लीनिक में आईं थीं। अगर मैं ग़लत नहीं हूँ तो इनका नाम..
नीलम है। क्या हुआ है इंस्पेक्टर?” डॉक्टर चंद्रा ने डरते हुए पूछा।

“अ…मैम प्लीज़ आप बता सकती हैं कि ये किसलिए यहाँ आईं थीं?” विक्रम ने पूछा।

“देखिए, पेशेंट की कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट देना रूल्स के अगेंस्ट है।”

“मैम बहुत ज़रूरी है हमारे लिए ये जानना।” कविता बोली।

“डॉक्टर चंद्रा, 16 जुलाई से नीलम लापता है। प्लीज़ सपोर्ट कीजिए।” विक्रम ने उन्हें बताया।

“ओह! सर दरअसल ये यहाँ…अबॉर्शन के लिए आईं थीं।” डॉक्टर चंद्रा ने बताया।

ये सुनते ही विक्रम और कविता दोनों एक स्वर में बोले, “क्या? एबॉर्शन?”

“मैम, क्या इनके पति भी इनके साथ थे?” विक्रम ने पूछा।

डॉक्टर चंद्रा ने कुछ देर सोचते हुए कहा, “नहीं, मुझे याद है कि ये दोनों टाइम अकेले ही आईं थीं। मतलब, मेरे केबिन में तो अकेले ही आईं थीं।”

“दोनों बार? मतलब?” विक्रम ने पूछा।

“मतलब, पहली बार ये चेक अप के लिए आईं थीं फिर उस दिन जिस दिन अबॉर्शन करना था उस दिन भी अकेले ही थीं।”

“मैम, क्या आप नीलम को पहले से जानती थीं?” विक्रम ने प्रश्न किया।

“नहीं सर, मैं उन्हें नहीं जानती थी।”

“तो फिर उनकी सिफारिश पर आपने नर्सिंग होम के लिए सफाई कर्मचारी कैसे रख लिया?” कविता बोली।

“सफाई कर्मचारी? कौन? मुझे कुछ नहीं पता।” डॉक्टर चंद्रा हैरान थीं।

“सावित्री, आपके यहां झाड़ू लगाती है। आप नहीं जानतीं उसे?” कविता ने व्यंग्यात्मक लहज़े में कहा।

“सावित्री, हाँ वो कुछ एक-दो महीने पहले ही आई है। उसे नीलम ने लगवाया था?” डॉक्टर चंद्रा ने अपनी नर्स की तरफ देखते हुए कहा।

“आपके नर्सिंग होम में कौन काम करेगा ये आप डिसाइड नहीं करते डॉक्टर चंद्रा?” विक्रम ने हैरानी जताई।

“दरअसल, ये छोटे - मोटे अपॉइंटमेंट जैसे कचरा उठाने वाले, वॉर्ड बॉय, झाड़ू लगाने वाले, ये सब हमारी सीनियर नर्स माधुरी और रंजना देखती हैं।” ये कह डॉक्टर ने अपनी नर्स को उन्हें बुलाने को कहा।

“जी मैम, आपने बुलाया।” नर्स माधुरी ने अंदर आते हुए कहा।

“हाँ, आप दोनों से इंस्पेक्टर राठोर कुछ सवाल पूछना चाहते हैं।” डॉक्टर चंद्रा बोलीं।

“माधुरी जी, ये तस्वीर देखें, क्या आप इस औरत को जानती हैं?” विक्रम ने पूछा।

“हाँ ये तो मैडम के पास आई थी अबॉ…” ये कहते ही वो चुप हो गई।

“हमें पता है कि ये अबॉर्शन के लिए आईं थीं। आप जानती हैं इन्हें?” कविता ने पूछा।

“मैम मैं इन्हें पर्सनली नहीं जानती। इनका नाम नीलम है शायद।” माधुरी ने कहा।

“पर्सनली नहीं जानती तो सावित्री को इनके कहने पर काम पर कैसे रखा?” विक्रम ने सवाल उठाया।

“सर, उस दिन हमारी पुरानी सफाई वाली बाई गाँव चली गई। हमें अर्जेंट कोई चाहिए थी। तो हम आपस में बात कर रहे थे। ये नीलम मैडम वहीं बैठी थीं, इन्होंने हमें बताया कि इनकी नजर में कोई है। तो हमने उसको बुलवाने को कहा। तो ये मैडम ने किसी को तो फोन किया…कोई स से नाम था उस आदमी का। सावित्री उसकी बीवी है। अभी नाम याद नहीं आ रहा। तो वो सावित्री को बुलवा लिया। पर सर, हमने उसका पूरा पुलिस वैरिफिकेशन करवाया है साहब। तभी काम पर रखा।” नर्स रंजना ने सारा मामला समझाया।

“हम्मम…सावित्री को बुलाओ।” विक्रम ने कहा।

“सर, आज नहीं आई वो। तबियत खराब है ऐसा बोली थी कल।” नर्स माधुरी ने कहा।

“ठीक है।” कविता ने कहा और डॉक्टर चंद्रा की तरफ मुड़ते हुए बोली, “डॉक्टर, एक बात पूछनी थी, नीलम ने एबॉर्शन की पेमेंट कैसे की?”

“मैं चेक करती हूँ। रंजना रजिस्टर लाओ।”

“आपकी फीस और एबॉर्शन की फीस कितनी है?” कविता ने पूछा।

“लगभग पंद्रह हज़ार, पर नीलम का केस कॉम्प्लिकेटेड था, तो उसकी फीस थोड़ी ज़्यादा थी। ये लीजिए रजिस्टर आ गया। मैं बताती हूँ देखकर।”

डॉक्टर चंद्रा ने रजिस्टर खोल सारी जानकारी कविता को दिखाते हुए कहा, “ये देखिए, नीलम से हमने पच्चीस हजार रुपए लिए थे, जो उसने कैश पेमेंट करी थी।”

“कैश पेमेंट? कुछ अजीब है।” कविता बोली।

“क्यों इसमें क्या अजीब है? हमें बहुत से पेशेंट कैश पेमेंट करते हैं।” डॉक्टर चंद्रा ने कहा।

“वो बात आपकी सही है। लेकिन नीलम का मामला थोड़ा अलग है। पहली बात, नीलम ने आपको क्यों चुना अबॉर्शन करवाने के लिए? वो किसी और डॉक्टर के पास भी तो जा सकती थी?” कविता कुछ सोचते हुए बोली।

“मैम मैं बहुत काबिल और फेमस गाएनेक्लोजिस्ट हूँ।” डॉक्टर चंद्रा थोड़ा रुष्ट होकर बोलीं।

“अरे! मैम आप बुरा मान गए। मेरे कहने का वो मतलब नहीं था। आपको कौन नहीं जानता! मैं तो बस ये कह रही थी कि चूंकी नीलम के पास पैसों की तंगी थी, इसलिए वो सस्ते हॉस्पिटल में भी तो जा सकती थी?” कविता ने कहा।

“दरअसल नीलम का केस बहुत जटिल था। ऐसे अबॉर्शन के लिए कुछ लेटेस्ट मशीनों की ज़रूरत होती हैं जो हर हॉस्पिटल में मौजूद नहीं होती। और‌ नीलम मुझसे पहले काफी डॉक्टरों से मिल चुकी थी। कोई उसका केस नहीं ले रहा था। क्योंकि अबॉर्शन से उसकी जान को खतरा हो सकता था। मेरे पास भी वो किसी की रिकमेंडेशन से आई थी।” डॉक्टर चंद्रा ने बताया।

“क्या? किसी की सिफारिश से आई थी? किसकी?” कविता हैरान होकर पूछती है।

“मेरी बहुत अच्छी सहेली हैं डॉक्टर अपर्णा घई, उन्होंने ही मुझे नीलम का केस लेने के लिए कहा था। वो मेरी बहुत घनिष्ठ सहेली हैं, इसलिए मैंने मना नहीं किया।”

“आप उनका ऐड्रेस दे दीजिए। हम उनसे भी मिलना चाहेंगे।” विक्रम ने कहा।

“नर्स माधुरी क्या नीलम के साथ कोई था?” कविता ने पूछा।

“नहीं मैडम, ये हॉस्पिटल में तोअकेले आईं थीं। पर इन्हें बाहर तक सावित्री छोड़ने गयी थी। शायद उसको मालूम हो कुछ।”

“आप सावित्री का फोन नंबर दीजिए। हम उससे बात कर लेंगे।” विक्रम ने कहा।

“डॉक्टर चंद्रा आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपने अपना कीमती समय हमें दिया।” कविता ने हाथ जोड़कर धन्यवाद करते हुए कहा।

“कानून की मदद करना हमारा कर्तव्य है। आगे भी आपको कोई सहयोग चाहिए होगा तो आप ज़रूर बताएं।” डॉक्टर चंद्रा ने कहा।

कविता और विक्रम दोनों वहाँ से सीधा डॉक्टर अपर्णा घई के क्लिनिक की तरफ बढ़ गए।

क्रमशः

आस्था सिंघल