ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 19 astha singhal द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 19

भाग 19

“इस मनोज को ढूंढना पड़ेगा विक्रम।”

“मैं तिहाड़ जेल में इंस्पेक्टर रावत को जानता हूँ। उससे मालूमात हासिल करता हूँ। फिलहाल, कल विपुल से दोबारा से पूछताछ करनी पड़ेगी।”

कविता कुछ सोच में बैठ गई। विक्रम ने उसके गले में अपनी बाहों का घेरा डालते हुए कहा,
“क्यों इतना सोच रही हो कविता?”

“विक्रम, एक अजीब सी फीलिंग हो रही है। ऐसा लग रहा है कि कहीं हमें देर तो नहीं हो गई? कहीं नीलम के साथ कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई?”

“कविता, हमने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर ली है। शहर के सभी हॉस्पिटल में पता कर लिया, सभी पुलिस थानों में फोन कर और वॉट्स ऐप के ज़रिए फोटो भेज कर पता करा लिया, पर कुछ मालूम नहीं चला। तुम्हें याद है उस दिन पार्टी से अमोल घर ना जाकर जी. बी. रोड के पास उतरा था, मैंने भिड़े और चौहान दोनों को सादे कपड़ों में वहां की हर रंगीन गली को तलाशने के लिए कहा था। दो दिन लगे उन्हें, पर कुछ हाथ नहीं लगा।” विक्रम ने कहा।

“तुम्हें लगा कि…”

“क्योंकि अमोल वहां उतरा तो मुझे लगा कि कहीं नीलम यहां ना हो, या अमोल के बारे में कुछ पता चल जाए। पर कुछ हासिल नहीं हुआ। अपनी तरफ से पुलिस पूरी कोशिश कर चुकी है। अब हमें उन लोगों पर फोकस करना है जिनसे नीलम का कभी कोई भी मनमुटाव हुआ था।”

“हमें इन सबकी दो महीने तक की कॉल डिटेल भी देखनी पड़ेंगी विक्रम। ये देखो मैंने एक लिस्ट तैयार की है। इन सबकी कॉल डीटेल्स मंगवा दो।” कविता ने बैग से एक लिस्ट निकाल कर देते हुए कहा।

विक्रम ने लिस्ट को गौर से देखते हुए कहा, “मोनिका और शरद के नाम भी हैं इसमें? क्यों? तुम्हें शक है उन दोनों पर?”

“विक्रम शक करना हमारा काम है। शक नहीं करेंगे तो गुनहगार कैसे हाथ आएगा।” कविता ने अलमारी से कपड़े निकालते हुए कहा।

“बताओ, शक भी कितने तरह का होता है। अमोल का शक उसे नीलम से दूर ले गया। उसके शक ने नीलम का जीना हराम कर रखा था और दूसरी तरफ हमारा शक हमें गुनहगार से मिलवाता है।” विक्रम ने माहौल को हल्का करते हुए कहा।

“बस मज़ाक करवा लो जनाब से! देर हो गई है सो जाइए अब।” कविता ने विक्रम पर तकिया फेंकते हुए कहा।

******************

“सर, मुझे अपनी सफाई में जो कहना था मैं कह चुका हूँ। आप इस तरह मुझे तहकीकात के लिए क्यों बुलवा रहे हैं? आप जानते नहीं मेरे फादर कौन हैं?” विपुल ने घबराते हुए कहा।

विपुल के इस प्रश्न पर विक्रम समेत वहाँ खड़े हवलदार ज़ोर से हँस पड़े। विक्रम ने अपना डंडा टेबल पर रखा और विपुल के करीब आकर बोला,
“क्यों, तुझे नहीं पता तेरा बाप कौन है?” और ये कह वो ज़ोर से हँसने लगा।

“सर, नीलम ने मेरे खिलाफ रिपोर्ट करवाई है क्या? मैं देख सकता हूँ उसने ऐसा क्या लिखवाया है कि आप लोग मेरे पीछे हाथ धो कर पड़ गए हैं।” विपुल ने हिम्मत जुटा कर बोला।

विपुल की इस बात पर विक्रम को गुस्सा आ गया और उसने विपुल का कॉलर पकड़कर गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा, “16 जुलाई से नीलम गायब है। क्या किया तूने उसके साथ सच बता। वरना इतना पीटूंगा, कि बोलने की हालत में नहीं रहेगा।”

विक्रम की बात सुन विपुल हैरान हो गया। उसने विक्रम को उसका कॉलर छोड़ने का आग्रह करते हुए कहा, “सर, सच कह रहा हूँ, मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता। मैं तो ये भी नहीं जानता कि नीलम लापता है। सर, उस दिन उसने जो हंगामा किया, वो…बताया था ना मैंने आपको, उसके बाद मैंने उसे कभी नहीं देखा। कसम से सर। और वैसे भी ऐसी औरतों को क्या भरोसा। चली गई होगी अपने किसी यार के…” विपुल अपनी ज़ुबान से कुछ और बोलता इससे पहले विक्रम ने उसके गाल पर खींच कर एक थप्पड़ रसीद कर दिया।

“अपने आपको बहुत बड़ा संत बताता है। तेरी सारी करतूत हमारे सामने है। सुनना चाहता है। ले सुन।” ये कह विक्रम ने माधवी से मिली रिकार्डिंग विपुल को सुनाई। रिकार्डिंग सुन विपुल का चेहरा सफेद पड़ गया। पर उसने तुरंत अपने चेहरे के भाव बदले और बोला, “सर, इस बात का क्या प्रमाण है कि नीलम सच कह रही है और मैं झूठ?”

“पता था मुझे बेटा, कि तू ऐसा ही दांव खेलेगा। नीलम झूठ बोल रही है तो क्या तेरी बीवी की बहन भी झूठ बोल रही है।” विक्रम ने कविता द्वारा माधवी की चुपके से की रिकार्डिंग भी सुनाई जिसमें माधवी ने साफ कहा कि विपुल अय्याश किस्म का इंसान हैं। और माधवी की शादी से पहले उसने माधवी से भी छेड़छाड़ की थी।

“सर, ये सब मेरे खिलाफ साज़िश है। ये दोनों औरतें सहेलियां हैं तो…मिलकर मुझे फंसा रही हैं। सर आप मेरा यकीन कीजिए। मैं बिल्कुल निर्दोष हूँ।” विपुल ने हाथ जोड़ते हुए कहा।

“हमारे देश की औरतें यहीं मात खा जाती हैं। घरवाले क्या सोचेंगे? बहन का घर टूट जाएगा! बिरादरी हमें ही दोषी मानेगी! चुप कर जाओ, सहन कर लो, उस आदमी को एक और मौका दे देते हैं, वगैरह वगैरह। औरतें ये भूल जातीं हैं कि उनके सम्मान, मान, प्रतिष्ठा को हाथ लगाने वालों के हाथ काट देने चाहिएं। औरतें चुप हैं, इसलिए तुम जैसे हवस के भूखे खुले सांड की तरह घूम रहे हैं। अब बता, क्या किया नीलम के साथ?” विक्रम ने चिल्लाते हुए पूछा।

विपुल सहम गया और रोते हुए बोला, “सर, ये सच है कि मैं…मतलब नीलम के साथ…मैं उसकी मजबूरी का फायदा उठाना चाहता था। मुझे लगा कि उसे पैसों की ज़रूरत है तो शायद वो मेरे जाल में फंसे जाएगी। पर, वो ऐसी नहीं थी। पर यकीन मानिए सर, उस दिन के बाद मैं नीलम से नहीं मिला।”

“तो तुमने उसे धमकी नहीं दी थी कि तुम उसके पति को सच्चाई बता दोगे?” विक्रम गुस्से से बोला।

“हाँ सर दी थी, पर जब माधवी ने मुझे फोन करके कहा कि नीलम चुप रहने को तैयार है, वो मेरी पत्नी को कुछ नहीं बताएगी, तब मैंने भी माधवी से वादा किया कि अगर वो चुप रहेगी तो मैं भी चुप रहूँगा। सर, आप ही सोचिए ना सर, मेरे फादर मिनाक्षी के फादर की वजह से इस साल इलेक्शन में खड़े होने वाले हैं, मैं भला ऐसे पचड़ों में क्यों पडूँगा? पापा की इज्ज़त खराब क्यों करूँगा?” विपुल ने विक्रम को समझाते हुए कहा।

विक्रम को भी विपुल की बातों में सच्चाई नज़र आई। तभी एक हवलदार विपुल के कॉल रिकॉर्ड लेकर आया। विक्रम ने उसे बारीकी से चैक किया। विपुल ने दोबारा नीलम को कभी संपर्क करने की कोशिश नहीं की थी। विक्रम ने विपुल को छोड़ दिया और अपने केबिन में चला गया। वहाँ कविता उसका इंतज़ार कर रही थी।

“उसका कोई हाथ नहीं है नीलम के गायब होने में। अब? इंवेस्टिगेशन को किस तरफ मोड़ें?” विक्रम बोला।

कविता ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेफेयर नर्सिंग होम की तरफ मोड़ देते हैं। नीलम के दोनों बच्चे मेरठ में हुए थे। फिर मेफेयर नर्सिंग होम से उसका क्या लेना-देना था? पता करना पड़ेगा। तुम चलोगे?”

विक्रम ने अपनी जीप की चाबी उठाई और बोला,
“बिल्कुल। इंवेस्टिगेशन की इंवेस्टिगेशन हो जाएगी और…रोमांस भी हो जाएगा!”

“बस! आ गए जनाब अपनी हरकतों पर। अभी आप ड्यूटी पर हैं जनाब, तो सिर्फ इंवेस्टिगेशन होगी। चलो अब।” कविता ने विक्रम के सिर पर प्यार भरी चपत लगाते हुए कहा।

और दोनों निकल पड़े एक और सबूत ढूंढने।‌

क्रमशः
आस्था सिंघल