द सिक्स्थ सेंस... - 20 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 20

आज का दिन--

मौसम अभी भी बहुत खराब हो रहा था, आंखो को बेचैन कर देने वाली तेज रोशनी के साथ तेज तेज कड़कती आसमानी बिजली ऐसी लग रही थी जैसे वो आसमान में नहीं बल्कि ठीक राजवीर के कमरे के बाहर ही कौंध रही हो लेकिन सुहासी को अपने सामने देखने के बाद और उसकी प्यारी सी आवाज फिर से सुनने के बाद राजवीर को जैसे आसमान में हो रही इस तूफानी हलचल से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था!!

ऐसा लग रहा था जैसे सुहासी के मुंह से अपने पास्ट के बारे में सुनकर राजवीर को कुछ कुछ बातें याद आने लगी थीं, सुहासी के नोटिस बोर्ड वाली बात बताते ही उसे बीच में टोकते हुये राजवीर हल्का सा हंसते हुये बोला- हां वो बहुत क्यूट था, वो ज...जुबैर!!

राजवीर की ये बात सुनकर सुहासी खुश होते हुये बोली- तुम्हे जुबैर याद आ रहा है ना राजवीर!!

राजवीर अपने माथे को सहलाते हुये बोला- हम्म्म्.. हां हल्का हल्का याद आ रहा है, उसके बाद उसकी तबियत भी कुछ बिगड़ी थी शायद!!

सुहासी बोली- हां.. जिस दिन हम सबको हॉस्टल के रूम्स एलॉट हुये थे उसी दिन मैं गर्ल्स हॉस्टल के अपने कमरे में और तुम दोनों बॉयज हॉस्टल के अपने कमरे में शिफ्ट हो गये थे और उसके अगले दिन जुबैर की तबियत खराब हुयी थी और उस दिन...!!

सुहासी को बीच में ही टोकते हुये राजवीर एकदम से बोला- हां उस दिन रात में मेरा कुछ खाने का मन नहीं था इसलिये मैं रूम में बैठा अपनी डायरी में कुछ लिख रहा था कि तभी जुबैर मैस से खाना खाकर आया और चुपचाप लेट गया!!

अपनी बात कहते कहते राजवीर अपने दिमाग पर जोर डालते हुये फिर से अपना माथा सहलाने लगा और दिमाग पर जोर डालते हुये परेशान सा होकर बोला- मैं क्या लिख रहा था, कुछ तो ऐसा लिख रहा था जो मेरे दिमाग पर जोर डाल रहा है पर क्या लिख रहा था ये याद नहीं आ रहा है!!

अपनी बात कहकर फिर से अपना माथा सहलाते सहलाते राजवीर नीचे की तरफ देखने लगा कि तभी सुहासी बोली- तुम इंडिया से लेकर उस दिन तक के सफर की बातें लिख रहे थे जिस दिन हम पहली बार मिले थे और तुमने लिखा था कि "आज मैं पहली बार सुहासी से मिला, क्यूट सी स्माइल, प्यारी सी आवाज, नादान सा शरारती अंदाज और सबसे जादा प्यारी उसकी स्माइल देखकर मेरा मन पता नहीं क्यों हर पल उसी के बारे में सोच रहा है, पहली बार में ही वो बिल्कुल ऐसे लगने लगी है जैसे मेरा उसके साथ कोई पुराना कनेक्शन है बिल्कुल ऐसा जैसा दो सोल मेट्स के बीच में होना चाहिये, आंखे बंद करता हूं तो उसकी शरारत से भरी मुस्कुराहट से भरा चेहरा आंखो के सामने नाचने लगता है और आंखो से नींद बिल्कुल गायब हो जाती है और फिर ऐसा लगता है कि बस जागता रहूं और इंतजार करता रहूं सुबह होने का, उस सुबह का जिसमें मैं उसे फिर से एक बार देेख पाऊं, फिर से उसकी प्यारी सी आवाज को सुन पाऊं और फिर से उसे और जादा अपने दिल में उतार पाऊं, शायद मुझे सुहासी से पहली नजर में ही प्यार हो गया है पता नहीं क्यों मन करता है कि उसके सामने अपना दिल खोलकर रख दूं!!"

सुहासी के मुंह से ये बात सुनकर राजवीर खुश होते हुये बोला- हां और ये बात अगले दिन तूने पढ़ ली थी जब तू जुबैर से मिलने आयी थी जब तुझे पता चला था कि जुबैर की तबियत खराब है तब!!

6 साल पहले हुआ कुछ यूं था--

राजवीर हॉस्टल के कमरे में बैठा अपनी डायरी में अपने इंडिया से लेकर अमेरिका पंहुचने तक के सफर और उसके बाद सुहासी और जुबैर से हुयी खट्टी मुलाकात के बारे में लिख ही रहा था कि तभी जुबैर हॉस्टल के मैस से डिनर करके रूम में आया और वैसे ही झल्लाये हुये से लहजे में राजवीर से बोला- तू डिनर करने नहीं आया?

राजवीर ने कहा- हां यार भूख नहीं है, कुछ फ्रूट्स ले आया था वही खाकर सो जाउंगा!!

जुबैर एक नंबर का भुक्कड़ था फ्रूट्स के बारे में सुनकर ललचाते हुये राजवीर से बोला- अम्म् फ्रूट्स!! गुड.. अहम् क.. कौन सा फ्रूट है!!

जुबैर ने जिस तरह से अपनी बात कही वो सुनकर राजवीर समझ गया कि ये फ्रूट्स में इतना इंटरेस्ट क्यों ले रहा है और डायरी में अपनी बात लिखते लिखते मुस्कुराने लगा, मुस्कुराते हुये वो डायरी साइड में रखकर उठा और कमरे में पहले से रखे फ्रिज से दो सेब और कुछ केले एक प्लेट में रखकर ले आया और टेबल पर वो प्लेट रखकर जुबैर से बोला- चल आ जा खाते हैं!!

राजवीर की ये बात सुनकर जुबैर की आंखो मे तो जैसे चमक आ गयी थी वो यही तो चाहता था, राजवीर ने एक सेब काटकर उसको दिया और खुद भी उसका दूसरा टुकड़ा खाने लगा, अपना पूरा टुकड़ा खाने के बाद पता नहीं क्यों अचानक से जुबैर जोर जोर से डकार लेने लगा और अपनी छाती पर हाथ फेरने लगा, उसे ऐसा करते देख राजवीर अपना सेब खाते खाते रुक गया और उसकी तरफ देखने लगा कि तभी इससे पहले राजवीर उससे कुछ कह पाता... जुबैर ने अपना मुंह जोर से अपनी हथेली से दबा लिया और उसे जोर से उल्टी होने लगी!!

क्रमशः