Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

माफियाओं की दुनिया में इनोसेंट गर्ल - 3 - मानुषी भाटी

ऐसे ही थोड़ी देर ओर वो लड़की दुआ मांगती हे तभी उस लड़की को कोई आवाज लगता हे :– वंशिका।





वो लड़की यानी की वंशिका पीछे मुड़ कर देखती है हल्की कत्तई बड़ी बड़ी आंखे जिनका रंग गोर से देखने पर ही दिखती हैं। गोरा रंग, गालों में पढ़ते डिंपल, गुलाबी पंखुड़ी जैसे हॉट, खड़ी नाक।
5 फीट 5 इंच , पतली सी, चेहरे पर मासूमियत एक छोटे बच्चे जैसी।





वंशिका जब देखती है तो उसके सामने एक लड़की खड़ी हुई थी जिसकी बड़ी बड़ी आंखे आंसुओ से लाल हो गई थी उसके कपड़ों पर खून लगा हुआ था गोरा रंग एक दम गोल चेहरा जिसपर मिट्टी लगी हुई थी उस लड़की के हाथ में दो बैग थे।





उस लड़की को वहां इस हालत में देख कर वंशिका चीखते हुए उसके पास आती हे :– मन्नू दी ( उसकी हालत देख कर कपकपे हाथो को उसके चेहरे पर लगाते हुए ) ये.. ये.. क्या है आप ऐसे कैसे बड़ी मम्मा और बड़े पापा कहा है आप को फिर से उस जालिम इंसान ने छेड़ा क्या कुछ तो बोलिए क्या हुआ हे मेरे दिल बहुत घबरा रहा है।





मानुषी उसके हाथो को अपने हाथ में लेते हुए कहती हैं :– वंशु उसने.. उसने..( रोते हुए) मम्मी पापा को मार दिया वो तुझे.. तुझे.. भी मार देगा हमे यहां से अभी के अभी निकालना होगा ( बैग्स की तरफ इशारा करते हुए) देख में बैग भी ले आई पापा ने कहां था की 1:5 पर ट्रेन आ जायेगी अभी गाड़ी आने में आधा घंटा बाकी है हम अभी निकलेंगे तो अजमेर जंक्शन पहुंच जायेंगे। चल... चल...





वंशिका उसे रोकते हुए:– मगर हम जायेंगे कहां हमारा तो कोई है भी नही।






मानुषि :– और हम घर भी नही का सकते हैं अभी दिल्ली की ट्रेन आने वाली हे हम उसी में बैठ कर दिल्ली जा रहे हे वैसे भी नंबर आने के बाद हम वही जाने वाले थे वाहन हमे कोई नही डूंड सकता हम वही जाने वाले है ok।






वंशिका :– ok। अब आप पहले मुझे ये बताए ये सब कुछ उसने ही किया हे ना।






मानुषि ( रोते हुए) :– हां बच्चा। चल हम चलते है वरना वो यहां भी पहुंच जाएगा मैं बड़ी मुश्किल से वहां से निकल कर आई हु।






दोनो बहने 1 बजे तक अजमेर जंक्शन पहुंच जाती है ट्रेन आने में सिर्फ 5 मिनट रह गए थे तभी वहा पर एक आदमी की आवाज आती है :– मैडम चलिए सर आपको बुला रहे हैं।





मानुषि वो वंशिका जब पीछे मुड़ कर देखती हे तो वहां एक हट्टा कट्टा बॉडी गार्ड काले कपड़े पहने हुए हाथ में एक राइफल लिए खड़ा था। उसे देख कर मानुषी और वंशिका डर जाते है।







मानुषि:– मैं तुम्हारे साथ नही जाऊंगी कह देना तुम्हारे सर से।







गार्ड :– मैम आप नही गई तो आपकी यह बहन भी आपकी आंखों के सामने मारी जायेगी।






वंशिका :– चाहे तुम मुझे ही मर दो मगर मेरी दी नही जायेगी तुम्हारे साथ।






वंशिका की बात सुनकर मानुषी की आंखो मे आंसू आ जाते हैं मगर जैसे ही वो गार्ड की तरफ देखती है तो वो वंशिका पर ही अपनी गन प्वाइंट करके खड़ा था और उस गार्ड ने ट्रिगेट दबा दिया तभी वहां मानुषि की चिल्लाने की आवाज आई:– वंशिका......






वंशिका की बात सुनकर मानुषी की आंखे नम हो गई और वो उसे नम आंखों से ही देखने लगी लेकिन तभी उसकी निगाह गार्ड पर गई जो उस पर ही गन पॉइंट करके खड़ा था फिर वो मानुषि की तरफ देख कर कहता है….….....................





गार्ड :– शायद तुम्हे अपनी बहन की जान प्यारी नही है तभी तो अभी तक चलने के लिए हां नही बोली। लेकिन कोई बात नही अगर तुम चाहती हो की मैं तुम्हारी बहन को भी मार दू और तुम्हे भी बॉस के कदमों ले जा कर फेक दू तो कोई बात नहीं।






यह कह कर वो गार्ड वंशिका की तरफ वापस गन प्वाइंट करके खड़ा हो जाता है और ट्रिगेट दबा देता है जिससे मानुषि की आवाज पूरे जंक्शन में गूंज उठती है :– वंशिका........





लेकिन गोली वंशिका को लगती उससे पहले ही मानुषी चिल्लाते हुए उसके सामने खड़ी हो जाती हे और गोली मानुषि को लग जाती हैं गार्ड ये सब देख कर डर जाता अब तो उसे इस बात का डर था की उसके साथ अब न जाने क्या क्या होने वाला है।






वंशिका मानुषी को लेकर नीचे बैठ जाती हैं जहां वंशिका के चेहरे पर असहनीय दर्द था वही मानुषी के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान थी जिससे वो वंशिका को देख रही थी उसे दर्द तो बहुत हो रहा था मगर वो उस शख्स के पास नही जाना चाहती थी उससे बेहतर उसने अपने लिए मौत को चुना वो जीत गई थी भले ही उसके बदले उसे जान देना पढ़े।







मानुषी वंशिका को समझाते हुए ;– वंशिका ट्रेन आ गई है तू जा तू मेरी फिक्र मत कर तू जा अगर वो आ गया न तो मेरी कुर्बानी वेस्ट जायेगी क्या तू यही चाहती है की तेरी बहन की कुर्बानी वेस्ट हो।






वंशिका रोते हुए:– नही मन्नू दी।





मानुषी:– तो तू जा और मेरी बात ध्यान से सुन अगर कोई तुझसे कोई अच्छा इंसान मिले तो तू क्यू उसी से ही बात करना दिल्ली में बहुत बुरे लोग भी रहते हैं तो तू उनसे दूर रहना और अपना हमेशा अपना ख्याल रखना हम्म्।






तभी वहां एक साथ बहुत सारे लोगो के चलने की आवाज आने लगती है जिसे सुन कर मानुषी वंशिका से कहती है ;– वंशू तू भाग जा यहां से तू जा अगर उसने तुझे यहां देख लिया न तो वो तुझे भी मार देगा और मैं कभी खुद को माफ नही कर पाऊंगी।





वंशिका :– मगर मैं आपको इस हालत में कैसे छोड़ के जा सकती हु।





मानुषि :– तू मेरी फिक्र मत कर वैसे भी अब ये लोग मेरा कुछ नही बिगाड़ सकते। बस तू जा अब देख वो यही आ रहा है वंशु जा....




continue........

क्या होगा अब वंशिका का ?

कोन हे वो लवकुश जिसे ढूंढने के लिए राठौड़ ब्रदर्स और वियांश इतने सालो मे मेहनत कर रहे है

पार्ट कैसा लगा समीक्षा और रेटिंग दे कर जरूर बताना और मुझे फॉलो करना बिल्कुल भी मत भूलना 😁। और मुझे प्रोहत्सन देना भी मत भूलना।