उन परछाइयों ने एक-दूसरे को देखा और उनमें से एक ने कहा "मैं तो वो कहानी नहीं दोहरा पाऊँगी गुड्डो, तुम्हारे बाबूजी ही सुनाएंगे।"
दूसरी परछाई ने एक नज़र अमारा पर डाली और कहना शुरू किया "ये तब की बात है जब तुम एक साल की थी। हम खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ यहीं पास के गांव में रहते थे।
फिर एक दिन अचानक गांव से छोटे बच्चे गायब होने लगे। हम सब दहशत में आ गए थे। हमने पुलिस से भी मदद मांगी लेकिन कोई पता नहीं लगा सका कि बच्चे कैसे गायब हो रहे थे।
दो-तीन पुलिसवालों की भी जब लाश मिली तो सब और भी ज्यादा डर गए।
अब सब लोग मिलकर समूहों में गांव की पहरेदारी करने लगे ताकि इस घटना की तह तक पहुँचा जा सके।
एक रात जब मैं अपने घर के बाहर पहरा दे रहा था तब मैंने देखा एक काला साया तेज़ी से इसी तरफ आ रहा था।
वो इतना भयानक था कि मुझे लगा मैं बेहोश हो जाऊंगा। मैं उसे रोकना चाहता था लेकिन रोक नहीं पाया।
जब वो तुम्हें लेकर जंगल की तरफ चला गया तब मुझे होश आया।
मैं और तुम्हारी अम्मा जंगल में पहुँचे और तुम्हारे रोने की आवाज़ का पीछा करके उसकी गुफा तक पहुँचे।
हमारे साथ कुछ और गांववाले भी थे। उसने गांववालों से कहा कि उसे इक्यावन घर से एक-एक बच्चे की जरूरत थी और तुम उसका इक्यावनवां अर्थात अंतिम शिकार थी।
इसलिए अब अगर किसी ने उसका विरोध करने की सोची तो वो बाकी बचे हुए बच्चों को भी मार देगा।
ये सुनकर सब गाँववाले वापस लौट गए। हमने उसके आगे बहुत-हाथ पैर जोड़े की हमारी बेटी वापस कर दे लेकिन उसने हमारी बात नहीं सुनी।
तभी हमें वहाँ पेड़ों के झुरमुट में छुपा हुआ एक छोटा सा मन्दिर दिखा।
हम उसकी तरफ बढ़ ही रहे थे कि उसने अपनी शक्तियों से हम पर वार कर दिया।
हम दर्द से चीखते हुए ज़मीन पर गिर पड़े। तुम्हारी माँ ने किसी तरह घिसटते हुए मन्दिर की चौखट को छू लिया और उसे छूते हुए बोली "अगर कहीं ईश्वर का अस्तित्व है तो तू मेरी बच्ची की बलि नहीं दे पाएगा। वो यहाँ से बचकर जाएगी और यहाँ तभी आएगी जब स्वयं आना चाहे।"
उसी पल ना जाने क्या हुआ कि तेज़ आँधी चलने लगी। तुम उसकी गोद से छूटकर जंगल के बाहर की तरफ उड़ने लगी।
इधर हमारे प्राण निकल रहे थे, उधर वो शैतान चीखता हुआ तुम्हारे पीछे भाग रहा था।
जब हम अपने शरीर से मुक्त हो गए तब हमने पाया कि हम प्रेतयोनि में चले गए थे, लेकिन उस शैतान के अत्यंत शक्तिशाली मंत्र के प्रहार से मृत्यु प्राप्त करने की वजह से हमारे पास कोई शक्ति नहीं थी।
हम भी तुम्हारे और उस शैतान के पीछे पहुँचे जहाँ हमने देखा कि एक औरत तुम्हें अपनी गोद में उठा चुकी थी।
शैतान की चेतावनी के बावजूद वो औरत और उसके पति ने तुम्हें उसके हवाले नहीं किया और चूँकि उन्होंने मुड़कर उस शैतान की तरफ नहीं देखा था इसलिए वो उसके सम्मोहन से बच गए और तुम उनके पास सुरक्षित चली गई।
हम उनकी गाड़ी के पीछे जाना चाहते थे लेकिन तब हमने पाया कि हम इस जंगल की सीमा से बंधकर रह गए थे।
उस शैतान ने हमारी तरफ देखा और फिर कहा कि वो भविष्य देख सकता है और दस साल बाद अपनी इक्यावनवीं बलि वो तुम्हारे ही रूप में देगा और हमारे सामने देगा। हम या कोई और तुम्हें तब उससे बचा नहीं पाएगा क्योंकि उसने अपनी मौत के सारे रास्ते तुम्हारी मॉं को मारकर बन्द कर दिए हैं।
उसने हमारे लिए एक सीमारेखा भी खींच दी जिसकी वजह से हम यहीं गुफा के आस-पास मंडराते रहते हैं।
और आज आख़िरकार उसकी भविष्यवाणी सच हो गई।
हम चाहकर भी आज अपनी बच्ची को नहीं बचा पा रहे हैं।"
कहानी के खत्म होते ही उन परछाइयों का रूदन एक बार फिर शुरू हो चुका था।
सारी कहानी सुनकर अमारा का दिल और ज़ोर से धड़कने लगा था, साथ ही उसे संजीव और पायल के प्यार की और ज्यादा याद आने लगी थी।
थोड़ी देर में उसने देखा कि दोनों परछाइयों का कद सिमटने लगा था और इसके साथ ही गुफा के प्रवेश-द्वार पर आते हुए उस काले साये की तरफ अमारा की नज़र पड़ी।
अंदर आकर उस शैतान ने अमारा के बंधनों पर एक दृष्टि डाली और कहा "सुन लड़की आज की रात तेरे जीवन की आखिरी रात है क्योंकि कल का दिन बीतने के पश्चात आधी रात में जैसे ही अमावस्या तिथि का प्रारंभ होगा मैं तेरी बली देकर अपने वर्षों पुराने अधूरे रह गए कार्य को सम्पूर्ण कर लूँगा।
इसलिए जिसे-जिसे याद करना है उसे सपने में याद करके जी भरकर सो ले क्योंकि यहाँ तो तुझे बचाने कोई आने वाला है नहीं।"
अमारा की हिचकियाँ एक बार फिर बंध चुकी थीं। उसे बार-बार बस संजीव और पायल की याद आ रही थी।
उसे सहसा याद आया कि उसके असली माता-पिता जो अब प्रेत बन चुके थे, उन्होंने उसे बताया था कि यहीं कहीं पेड़ों के झुरमुट में एक छोटा सा मन्दिर है।
उस मंदिर को मन ही मन प्रणाम करते हुए अमारा ने कुछ तेज़ स्वर में कहा "भगवानजी, मम्मा हमेशा कहती है कि आपसे ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं है। फिर मेरी मम्मा को अपनी थोड़ी सी ताकत देकर यहाँ भेज दीजिये ना।"
अमारा की ये प्रार्थना सुनकर शैतान ने कहकहा सा लगाया और फिर बोला "इस जंगल में अभी कुछ ही देर में आधी रात का घुप्प-घना अँधेरा छा जाएगा। यहाँ तेरी माँ तो क्या उसकी परछाई भी नहीं आ सकती है। भूल जा अब इस दुनिया को और इस दुनिया के लोगों को और अब अपनी बकबक से मेरी साधना में विघ्न मत डालना।
गुफा के अंदर एक बार फिर अग्नि प्रज्ज्वलित हो चुकी थी और शैतान उसमें रक्त की आहुति देता जा रहा था।
अपनी सिसकियों को अपने अंदर समेटने की कोशिश करती हुई अमारा बंद आँखों से बस पायल और संजीव के चेहरे को देखकर स्वयं को दिलासा देने की कोशिश कर रही थी।
लगभग आठ घण्टे की लगातार ड्राइव के बाद आखिरकार संजीव और पायल जंगल की सीमा पर पहुँच चुके थे।
क्रमशः