द सिक्स्थ सेंस... - 18 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 18

पहले दिन तो राजवीर, सुहासी और जुबैर तीनों बहुत जल्दबाजी में कॉलेज पंहुचे थे लेकिन आज दूसरा दिन था इसलिये वो तीनों ही अपने अपने होटलों से क्लास शुरू होने से पहले ही कॉलेज पंहुच गये थे!!

कॉलेज में अंदर जाकर राजवीर ने जब दूर खड़े बात कर रहे सुहासी और जुबैर को देखा तो वो दूर से ही हाथ हिलाकर बोला- हाय गाइज़!!

राजवीर की आवाज सुनकर सुहासी ने तो उसकी तरफ नॉर्मल नजरों से ही देखा लेकिन जुबैर... जुबैर उसकी आवाज सुनकर सुहासी से बोला- आ गया विलेन, अब तू देख सुहासी मैं क्या करता हूं!!

अपना बैग अपने एक कंधे पर टांगे हुये राजवीर अपने अंदाज में हंसता हुआ जैसे ही उन दोनों के पास पंहुचा वैसे ही जुबैर ने बॉक्सिंग करते समय का जेस्चर बनाया और उसको ललकारता हुआ सा बोला- पास मत आना!!

मोटे से जुबैर का बॉक्सिंग जेस्चर देखकर राजवीर तो क्या सुहासी की भी हंसी छूट गयी फिर अपनी हंसी पर कंट्रोल करते हुये राजवीर बोला- अरे पर क्यों पास ना आना?

जुबैर बहुत फनी तरीके से बोला- मैं मार दूंगा!! पास नहीं.. नहीं नहीं... पास नहीं!!

राजवीर हंसते हुये बोला- अरे पर क्यों मार देगा?

राजवीर के ऐसा बोलने पर सुहासी भी जुबैर से बोली- रहने दे ना जुबैर ये क्या कर रहा है, छोड़ ना!!

जुबैर बोला- नहीं सुहासी तू मुझे हैंडल करने दे मैं देखता हूं कि ये कैसे तंग करता है तुझे!! शक्ल से ही छिछोरा लग रहा है!!

जुबैर की ये बात सुनकर राजवीर हंसते हंसते रुक गया और अपने दांत भींचकर उसे घूरते हुये उसकी तरफ बढ़ने लगा, उसे अपनी तरफ आते देख जुबैर हकलाते हुये से लहजे में बोला- र.. रुक रुक तू वहीं रुक... मैं मार दूंगा, मैं सच कह रहा हूं मैं मार दूंगा!!

और ऐसा कहते हुये जुबैर ने राजवीर की तरफ एक पंच मारा, उसका ये पंच और राजवीर को इतने गुस्से में उसकी तरफ बढ़ते देखकर सुहासी समझ गयी कि अब राजवीर इसे मारेगा इसलिये वो जुबैर को रोकने लगी ये कहते हुये कि "जुबैर क्या कर रहा है क्यों बेकार में लड़ाई कर रहा है!!" लेकिन जुबैर कहां सुनने वाला था उसने दूसरा पंच भी राजवीर के ठीक सामने हवा में मार दिया, सुहासी को लगा अब तो लड़ाई हो गयी लेकिन ये क्या... राजवीर ने जुबैर की पंच वाली मुट्ठी पकड़ी और उसका हाथ घुमा दिया जिससे जुबैर पीछे की तरफ घूम गया!!

सुहासी को लगा कि अब तो राजवीर इसे पक्का मारेगा कि तभी... राजवीर ने जुबैर को मारने के लिये जैसे ही अपना हाथ हवा में उठाया वैसे ही सुहासी ने "नो नो नो नो प्लीज!" बोलते हुये अपनी आंखे बंद करलीं, आंखे बंद करके वो ये सोच ही रही थी कि "जुबैर के चिल्लाने की आवाज अभी आयी कि तभी!" लेकिन ये क्या सुहासी के आंख बंद करते ही जुबैर की आवाज तो आयी लेकिन चिल्लाते हुये नहीं बल्कि "ऐइईईई.. ऐईईईई हाहा मत कर मैं कह रहा हूं मत कर ऐईईईई आहाहाहा ऐईईईई मत कर!!" की आवाज..

सुहासी ने जब आंखे खोलकर देखा तो वो जोर से ठहाका लगाकर हंसने लगी क्योंकि राजवीर जुबैर का हाथ मोड़ने के बाद उसे मार नहीं रहा था बल्कि उसके गुदगुदी कर रहा था और जुबैर हंसे जा रहा था और उसकी पकड़ से छूटने के लिये छटपटाया जा रहा था लेकिन राजवीर "अब बोल मारेगा? बोल... कल से कह रहा हूं मेरी बात तो सुन लो मेरी बात तो सुन लो पर नहीं.. सुपरमैन बना जा रहा है.. अब बोल मारेगा? अब लड़ेगा फालतू में!!" हंसते हुये कहे जा रहा था!!

और जुबैर "ऐईईईई बस कर प्लीज बस कर अब नहीं लड़ूंगा पक्का नहीं लड़ूंगा प्रॉमिस!! हाहा मत कर मत कर प्लीज मत कर!!" चिल्लाये जा रहा था और उसे देखकर सुहासी का हंस हंस कर बुरा हाल हो रहा था!!

इसके बाद राजवीर, सुहासी और जुबैर तीनों बुरी तरह हांफने लगे, हंसते हुये राजवीर बोला- हम एक दूसरे के बारे में जानते नहीं, ठीक से पहचानते नहीं बेकार में ही लड़े जा रहा है कल से... अरे मुझे लड़ना ही नहीं है यार!!

इसके बाद हंसते हंसते राजवीर ने अपना बैग अपने कंधे पर ठीक से पहना और सुहासी की तरफ देखते हुये पीछे मुड़ा और वहां से जाने लगा, उसके थोड़ा दूर जाते ही सुहासी उसे आवाज लगाते हुये बोली- Amm... Excuse me!! क्या मैं आपका नाम जान सकती हूं??

सुहासी की आवाज सुनकर राजवीर उसकी तरफ मुड़ा और मुस्कुराते हुये उसकी तरफ देखकर अपना गॉगल पहनते हुये उससे बोला-

अजी आज तो कॉलेज का दूसरा ही दिन है,
क्या करोगे नाम जानकर वैसे दिल में जो छुपा है वो बताऊं क्या!!
अच्छा छोड़ो जान लो, मेरा नाम है.. राजवीर सिंघानिया!!

क्रमशः