द सिक्स्थ सेंस... - 17 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 17

राजवीर हमेशा से बोर्डिंग स्कूल में रहा था इसलिये स्मार्टनेस तो उसके एटीट्यूड में बहुत थी और पर्सनैलिटी भी ऐसी थी कि कोई उससे एक बार बात करले तो पहली बार मेें ही उसकी तरफ हल्का हल्का सा अटरैक्ट तो होने लगता था और उसके बातचीत के लहजे में तो कमाल की सॉफ्टनेस थी, वो भले एक प्रोफेशनल राइटर और पोयट नहीं था लेकिन जब वो बात करता था तो ऐसा महसूस होता था जैसे वो अपनी बात पोयट्री के लहजे में सामने वाले से कह रहा है, प्यारी सी सधी हुयी स्माइल, सोच समझ के बोली गयीं बातें राजवीर की पर्सनैलिटी को और जादा शार्प बना देते थे!!

जिस इंसान में इतनी सारी खूबियां हों उससे मिलने के बाद सुहासी कैसे ना सोचती उसके बारे में, चूंकि आज पहला ही दिन था कॉलेज का इसलिये अभी तक किसी भी स्टूडेंट को हॉस्टल के कमरे एलॉट नहीं हुये थे इसलिये राजवीर की तरह ही सुहासी और जुबैर भी अभी एक होटल में ही अलग अलग कमरों में रह रहे थे, उसी दिन रात को डिनर करने के लिये जब सुहासी और जुबैर होटल के ही रेस्टोरेंट में खाना खाने गये तो सुहासी के सामने टेबल के दूसरी तरफ जुबैर मुंह फुलाये बैठा था, कुछ बोल ही नहीं रहा था!!

उसे ऐसे मुंह फुलाये बैठे देखकर सुहासी बोली- क्या हुआ ज़ुबी इतना चुप क्यों है?

अपना सिर झुकाकर टेबल पर रखे मैन्यू की तरफ देख रहा जुबैर सिर ऊपर करके सुहासी से बोला- आज तो वो बच गया लेकिन Next time उसने फिर से कुछ किया ना तो I will hit him and hit him so hard!! Huhhh..!!

गोलू मोलू से क्यूट से जुबैर का ये रियेक्शन देखकर सुहासी हंसने लगी और अपनी जगह से उठकर उसके पास जाकर उसके गाल खींचते हुये बोली- तू अभी तक उसके बारे में ही सोच रहा है!!

जुबैर नजाकत भरे अंदाज में बोला- ह.. हां तो!! इंडिया से इतनी दूर तेरा ध्यान मैं नहीं रखुंगा तो कौन रखेगा, U know na कि मुझे कितना गुस्सा आता है वो तो मैं तेरे सामने गुस्सा करता नहीं हूं ये सोचकर कि कहीं तू ना डर जाये बाकि U know na कि मैं कितना हॉट हूं!!

"U mean short tempered!! Haha!!" हंसते हुये सुहासी बोली..

जुबैर ने कहा- हां हां वही... तू समझ गयी ना??

जुबैर की हॉट वाली बात सुनकर सुहासी हंस हंस के पागल हुयी जा रही थी, असल में वैसे तो जुबैर की इंग्लिश ठीक ठाक थी लेकिन वो कभी कभी अंग्रेजी के शब्दों की vocabulary में कंफ्यूज हो जाता था और फिर... कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानमति ने कुनबा जोड़ा!!

जुबैर की जबरदस्त अंग्रेजी सुनकर सुहासी हंसे जा रही थी, उसे ऐसे हंसते देख जुबैर थोड़े नॉटी अंदाज में बोला- हा हा हा और हा!!

हंसते हंसते सुहासी की आंखों में आंसू आ गये थे और वो अपने आंसू पोंछते हुये अपनी जगह पर बैठकर जुबैर से बोली- नहीं यार वैसे वो इतना बुरा भी नहीं लगा और आज हम पहली बार ही तो मिले हैं उससे, हमें उसका नाम तक नहीं पता तो हम कैसे डिसाइड कर सकते हैं कि वो अच्छा है या बुरा ह्म्म्म्म्!!

जुबैर बोला- No no no no Suhasi..!! मैं भी एक लड़का हूं मुझे पता है खूबसूरत लड़कियों को देखने के बाद की एक लड़के की साइकोलॉजी, मैं रिस्क नहीं ले सकता तुझे याद है ना एयरपोर्ट पर अंकल और आंटी ने कहा था कि "जुबैर तुम दोनों एक दूसरे का ख्याल रखना" तो मुझे उनकी बात माननी ही होगी..!!

सुहासी बोली- अच्छा बाबा ठीक है जैसा तू बोले वही सही, अब खुश!!

जहां एक तरफ सुहासी राजवीर के लिये जुबैर को समझा रही थी वहीं दूसरी तरफ अपने होटल के कमरे में बैठा राजवीर सुहासी के बारे में ये सोच रहा था कि "यार मेरी ना जाने कितनी फीमेल फ्रेंड्स हैं और बोर्डिंग में भी एक से एक क्यूट लड़कियां थीं मेरे साथ पर... सुहासी में कुछ तो ऐसा है जो बाकी लड़कियों से उसे अलग करता है, उसकी आवाज, उसकी स्माइल और उसका बेबाक अंदाज बहुत क्यूट है सीधे दिल में उतर गया पर इस छोटे हाथी का क्या करूं!! खैर अभी तो कॉलेज शुरू ही हुआ है अभी तो काफी टाइम है, देखते हैं आगे क्या होता है!! "

एक चिंगारी थी जो दोनों तरफ भड़क चुकी थी, पहली ही मुलाकात में सुहासी और राजवीर के दिलों ने एक दूसरे को अपने अंदर जादा नहीं.. हल्की सी जगह तो दे दी थी!!

क्रमशः