अनोखी दुनिया - भाग 6 Ziya Bagde द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अनोखी दुनिया - भाग 6

शिवांगी सभी शराबियों को अच्छा मजा चखा कर ( मतलब सभी की जमकर पिटाई 😃 कर उन्हे बही पर फेक देती हैं ) फिर उस लड़की के पास जाकर उसे उठाती है वो लड़की जैसे ही शिवांगी को देखती है उससे डरने लगती।

तो शिवांगी उसे समझाते हुये तुम्हे मुझसे डरने की आवश्यकता नहीं है मे तुम्हारी मदद के लिए आई हु

वो लड़की अटकते हुए शिवांगी से तु तु तुम न ना नागिन हो ह्म् मै नागिन हु और तुम्हारी सहायता करने आई हु अब तुम सुरक्षित हो अब अपने घर जा सकती हो वो लड़की अपनी नम आँखों से उसकी तरफ देखते हुए बोलती हैं मेरा नाम राधिका है और आज आपने जो मेरी मदद की है उसका एहसान मे कभी नही चुका पाऊँगी बहुत बहुत शुक्रिया अगर आप सही समय पर नही आती तो ना जाने मेरे साथ क्या हो जाता ( ये सब राधिका रोते हुए बोलती है और अपने हाथ जोर लेती हैं )

मैने तुम पर कोई एहशान नही किया अगर महारानी मुझे आने की आज्ञा नही देती तो मे भी नही आ पाती और एक बात हमेसा याद रखना भगवान भी उसी की मदद करते है जो अपनी मदद खुद करे तो कभी भी अगर ऐसी स्थिति आये तो डट कर उसका सामना करना बोल सांत हो जाती फिर वो राधिका भी अपने घर के लिए निकल जाती है।

उसके जाने के बाद उसे यकछीका की आवाज सुनाई देती है शिवांगी तुम्हारा कार्य पूर्ण हुआ तो अब तुम बापिस आ जाऊँ।

जी महारानी यकछीका वो जैसे ही जाने को होती हैं तभी उसके ऊपर एक जाल आकर गिर जाता है जिससे वह उसमे फस जाती हैं उसे कुछ समझ ही नही आता की क्या हुआ है तभी वह पर कुछ काले कपड़े पहने हुए कुछ सपेरे आ जाते है ( दरसल जब वो नागिन से इंशान बनती हैं उसी समय बह से कुछ सपेरे जा रहे होते है और उसे इक्छाधारी नागिन समझ कर नांग मनी के लालच मे उसे पकड़ लेते है)

और उसे पकड़ कर अपने साथ ले जाने लगते है कौन हो तुम लोग और मुझे क्यों पकड़ा है छोड़ दो वरना तुम लोगो के लिए अच्छा नही होंगा तभी उन मे से एक चुप कर नागिन तु जानती नही है हमारे गुरु भैरब नाथ को उनके पास कितनी शक्ति है वो चाहे तो तुझे एक पल नही लगेगा। भस्म करने मे ( फिर खुद से आज तो भेरब बाबा खुश हो जायेगे, ना जाने कितने सालों से नागमणी के लिए इक्छाधारी नाग नागिन की तलास मे है जो आज पूरी हुई) बोल कर वे लोग उसे एक पुराने मंदिर ( जो देखने मे खंडर सा होता है) मे ले आते है और उसे एक खम्बे से खड़े कर बाँध देते है।

बहा पर एक आदमी किसी साधना मे मग्न होता है, तभी उनी मे से एक आदमी आके बाबा भैरब नाथ के पास जाकर भैरब बाबा आँखे खोलिए देखिये, हमने आज क्या लाये है।

उसकी आवाज से भैरव बाबा अपनी आँखे खोल देते है, और पूछते है, क्या हुआ है कौन सा खजाना हाथ लग गया तुम्हारे जो इतना शोर मचा रखा है।

खजाना नही बाबा उससे भी कीमती कुछ मिल गया है हमने अपनी आँखों से इक्छाधारी नागिन देखा है,

क्या बोल रहे हो तुम बटुक क्या सच मे तुमने इक्छाधारी नागिन देखा है, कहा पर देखा जल्दी बताओ मूर्ख बरना हम तुम्हे भस्म कर देगे ।

वो रही नागिन भैरब बाबा हमने उसे पकड़ कर लाया है, ( वो बटुक जैसे ही शिवांगी की तरफ इशारा करता है)
बेसे ही भैरव नाथ उसके पास जाकर उसे गोर से देखता है फिर उसकी खुशबु शुन्घ कर नागिन हा हा हा आखिर मुझे इक्छाधारी नागिन मिल ही गई इतने सालों की मेरी मेहनत सफल हुई अब मुझे नागमणी लेने से कोई नही रोक सकता कोई नही बोल कर वह जोर जोर से हँसने लगता हैं, और उसी के साथ उसके सभी साथी भी हँसने लगते है।

शिवांगी - तु जो कोई भी है छोड़ दे मुझे बरना तेरे लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होंगा। तु जानता नही है मुझे अभी जिस दिन जान जायेगा उस दिन इस दुनिया में तेरा आखरी दिन होंगा । देख छोड़ दे मुझे बरना,

बटुक - बरना क्या तेरे सर पर मौत खड़ी है , और तु हमसे डरने की जगह हमे धमकी दे रही हैं , लगता हैं तुझे अपनी जान प्यारी नही है, तभी ऐसा बोल रही है ।

भैरव नाथ - शांत हो जाओ बटुक इसे हम देख लेंगे बहुत ही शुभ दिन है आज पूनम की रात और पूनम की रात में इक्छाधारी नागिन का मिलना। हमारे लिए खुशी की बात है, नागमणी पाने के लिए हमे पूजा शुरू कर देना चाहिए। बोलकर बो लोग पूजा की तेयारी करने लगते है, ( अब कोनसी पूजा की जाती है ये तो हमे नही पता इस लिए पूजा ही लिख दिये)

यमन लोक - महारानी ये क्या हो गया शिवांगी तो सहायता करने गई थी और खुद ही फँस गई इन दुष्ट मनुष्य यो के बीच हमे उसे बचाना होंगा महारानी वो जैसे ही यकछीका के तरफ देखती है तो डर से कांप जाती हैं क्युकी आज पहली बार उन सभी ने अपनी महारानी को इतने क्रोध में देखा था। उसकी आँखे पूरी गुस्से से लाल हो गयी थी और चेहरा एक दम क्रोध से लाल,


यकछीका - इन लोगो की इतनी हिम्मत हम इन्हे छोड़ेंगे नहीं , ये लोग अभी हमारे क्रोध को नही जानते यदि शिवांगी को इनके कारण एक खरोंच भी आई तो हम इनकी पूरी दुनिया ही मिटा देंगे।

पर महारानी हमे लगता हैं की हमे वह पर जाना चाहिए , शिवांगी को हमारी सहायता की आवश्यकता है, ह्म्म सही कहा तुमने अब इस बार हम जायेंगे और हम शिवांगी को सही सलामत लेकर आएँगे।


धरती लोक - शिवांगी खुद को उस जाल से निकालने की कोशीश करती हैं मगर छुट नही पाती , ( वो लोग उसे जाल सहिद ही बाँध देते है ताकि वह निकल ना पाये ) , जैसे ही उन लोगों की पूजा खत्म होती हैं वो सभी शिवांगी को की रसिया छोड़ देते है, और बिन लेकर सभी बजाने लगते है। ( इन सबको लगता हैं की इनके बिन बजाने से वो नागिन रूप ले लेंगी और नागिन डांस करके 🤣 इनको नागमणी दे देंगी मगर इनको क्या पता की इनकी बिन का असर तो शिवांगी पर नही होंगा, मगर जब यकछीका आयगी तो उसके गुस्से से कैसे बचेंगे 😆)