अनोखी दुनिया - भाग 4 Ziya Bagde द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अनोखी दुनिया - भाग 4

महल आने के बाद भी महारानी यकछीका के दिमाग मे यही सब बाते चल रही होती हैं। और उसे समझ नहीं आता की महागुरू ने पहले तो कभी धरती लोक की बाते नही की फिर अचानक से इस तरह क्यों जरूर कोई बात होंगी तभी महागुरू ने ऐसा कहा है सोच कर वो आँखें बन्द कर मन मे कुछ मंत्रो को पढ़ती हैं और फिर एक बड़ा सा दर्पण दीवार पर दिखाई देता हैं जिससे वह एक एक कर सभी लोको को देखने लगती हैं फिर उनकी नजर एक लोक मे आकर डेहर जाती है।

ये था धरती लोक वो उसे देखने लगती हैं रात का समय होता है जिससे धरती लोक रात की चांदनी मे और भी सुंदर दिखाई देने लगता हैं।

थोड़ी देर देख कर अपने मन मे ( हजारो वर्ष पहले मे भी एक साधारण इंशान थी जिसने भगवान शिव और विष्णु भगवान की कड़ी तपस्या करके वरदान पायी थी और अपनी एक अलग ही दुनिया बशाई थी। ) हम कैसे संझाये अपनी प्रजा को की धरती लोक के निवासी किस तरह के होते है उनकी रगो मे छल, कपट, लालच, मोह, माया, अहंकार, घ्रना ना जाने क्या क्या होता है इन सब मे बह अपने सम्बन्धी यो को भी भूल कर उनकी हत्त्या कर ने से पीछे नही हटते और हम ऐसी जगह नही जा सकते ना ही अपनी प्रजा मे किसीको बह जाने की अनुमति दे सकते है।


ये सब सिर्फ हमारी प्रजा ही नही अपितु हमारी संताने है जिन्हे जरा सा भी कष्ट हो ये हमे बरदश नही होगा और ये सभी धरती लोक मे रहने बाले इंशानो की कुटिलता से बिल्कुल अंजान है। वो ये सब सोच ही रही होती हैं कि तभी बह पर शिवांगी, कोकिला और मयुरी आ जाती हैं।

और अपनी महारानी को इस तरह से कही देखते हुए देख कर उनके पास आकर खड़ी हो जाती है और देखने लगती हैं महारानी यकछीका ये आप किस लोक को देख रही हैं हमे भी बताये ये धरती लोक है जहा पर मनुष्य रहते है

महारानी बेसे धरती लोक तो सच मे ही बहुत खूबसूरत है इतनी बड़ी - बढ़ी इमारते है यहाँ पर और कितना बड़ा है ये तो हमारे लोक से भी अधिक बड़ा

ह्म्म सत्य कहा शिवांगी तुमने ये सच मे सुंदर और बड़ा है क्या महारानी हम यहाँ जा सकते है क्या हमे भी इसे देखना है ना जाने कितने ही बरसो से हम यहाँ से कही बाहर नही गये है क्या हम जा सकते है कुछ दिनों के लिए फिर हम बापस आ जायेंगे ,

नही कोई कही नही जा रहा जब धरती लोक मे रहने बाला कोई व्यक्ति हमे पुकारेगा तभी तुम मे से कोई जा सकता हैं बरना कोई नही और बेसे भी जब तक हम ना कहे कोई यहाँ से ना कही जा सकता है और ना आ सकता हैं तो सब अपने दीमक से ये निकाल दो

अभी वो सब बाते कर ही रहे होते है कि तभी उनकी नजर एक दृश्य को देख कर रुक जाती हैं सभी बही पर देखने लगते है धरती लोक मे रात का समय था।

धरती लोक रात के समय में सुन शान सड़क पर एक लड़की अकेली डरी सहमी सी चली जा रही थी उसे डर भी लग रहा था वो खुद से बोलती हैं आज ऑफिस में काम करते हुए समय का पता ही नही चला और बस भी छुट गयी कोई ऑटो या रिक्शा भी नही मिला घर में मा पापा भी परेसान होते होंगे क्या करू और मोबाइल में बेटरी भी नही है आज का दिन ही खराब है बस किसी भी तरह घर पहुँच जाऊ भगवान जी मदद करदो कल से टाइम का पुरा ध्यान रखुंगी अभी बह इतना ही बोल कर जा रही थी की तभी बह पर कुछ शराबी लोग बैठे होते है जो उस लड़की को देख उसके पीछे जाने लगते है और अचानक से


तो आगे क्या हुआ उस लड़की के साथ और क्या यकछीका या फिर कोई और यमन लोक का आके उसकी मदद करेगा या नही जानने के लिए पढ़िये मेरी कहानी अनोखी दुनिया

अगले भाग मे जारी है,,,,,,,,