उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

उजाले की ओर 

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    स्नेहिल नमस्कार मित्रो 

      इस ऋतु में जब मौसम ने चारों ओर हाहाकार की हुई है उस समय स्वयं को व और सबको भी बचाने की कोशिश सबने ज़रूरी है। 

 उस दिन भरी धूप में अनु साक्षात्कार देने गई। सबने उसे समझाने की कोशिश भी की थी कि पहले फ़ोन करके जाना लेकिन वह ज़रूरत से ज़्यादा उत्साहित हो जाती है और उसका परिणाम गड़बड़ ही होता है। 

     अधिक गर्मी के कारण बाॅस बीमार पड़ गए और हो गया कैंसिल इंटरव्यू! अब जब लौटकर आई तब बुरी तरह रुआँसी हो गई थी। गर्मी के कारण बुरा हाल! रात होते होते बुख़ार भी आ गया। न काम हुआ और बीमारी ओढ़ ली वो अलग।

      हर निर्णय विवेक से लेने में ही समझदारी है। जब तीन दिन बाद साक्षात्कार के लिए फ़ोन आया तब बुरी तरह बीमार थी इसीलिए जा ही नहीं सकी। एक बार फ़ोन पर पूछकर जाती तो बेहतर न रहता? 

    जीवन में लोग कुछ ऐसे सपने देखते हैं जो उन्हें न केवल मोटिवेट करते हैं बल्कि उनके जीने का कारण भी बन जाते हैं, लेकिन जब वो सपना टूट जाता है, तो लोग निराशा के सागर में डूब जाते हैं। उनको अपनी जिन्दगी आधारहीन लगने लगती है। वो इस बात को स्वीकार नहीं पाते कि जिस सपने का वो इतने सालों से पीछा कर रहे थे, जिसके लिए इतना प्रयासरत थे, वह पूरा नहीं हो रहा। उनका न केवल खुद से यकीन ख़त्म हो जाता है बल्कि वो निराशा में खुश होना ही भूल जाते हैं। ये मोड़ किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद खतरनाक होता है। 

सपनों को जीवन का आधार बनाना खुद को एक भ्रम की स्थिति में डालने जैसा है। सपने आपके मोटिवेशन का जरिया हो सकते हैं पर आपके जीने की वजह नहीं। खुद को इस भ्रम की स्थिति से बाहर निकालना आवश्यक है, तभी आप जीवन में आगे बढ़ पायेंगे। सपने पूरा नहीं होना आपको दुखी कर सकता है, लेकिन इसे अपने खुशी की वजह मत बनाइये। आप खुद में स्वीकृति का भाव विकसित कीजिये, ताकि आपको असफलताओं को स्वीकारने में मदद मिले। आप सफलता और असफलता को समभाव से ले सकें। बस आप अपनेआप से ये ये सवाल करें क्या आपने पूरा प्रयास किया, इस सवाल का जवाब आपको संतोषि और असंतोष जैसी भावना देता है। 

काफ़ी समय खोने के बाद अनुभव से अनुभव समझ आया कि उसने गलती की है। अधिक उत्साह ने बेकार ही उसे थका दिया।

जब भी हम कोई काम करें समझकर करें और स्वयं को सुरक्षित रखें। 

 

आप सबकी मित्र

डॉ प्रणव भारती