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फेस्ट
गायत्री के पापा गिरीश मिश्रा ने टी.वी. देखती गायत्री से पूछा, “बेटा, शादी की डेट नवंबर में रख लेते हैं। अक्टूबर में तेरी माँ को मरे हुए एक साल भी हो जायेग और मौसम भी ठीक होगा। “पापा बिल्कुल ठीक कह रहें हैं,” अब उसका भाई सुनील भी बोल पड़ा। तेरी शादी हो तो मैं अपना नंबर लगाओ।“ तो तू पहले कर लें, “ अरे !! बड़ी तो तू है। मैं कैसे कर लो।“ “क्या नाम है, तेरी गलफ्रेंड का?” “ दीदी,कुछ भी!!” वह तो वहाँ से उठकर चला गया, मगर उसे पता है कि उसने पापा का लिहाज करते हुए नहीं बताया कि उसने अपने लिए एक एक लड़की ढूंढ ली है।
श्याम कुछ सेकण्ड्स तक नित्या को देखता रहा, फिर बोला, बिल्कुल कर सकती हो।
सर. बताए मुझे ख़ुशी होगी।
आज नहीं, कल बात करेंगे।
अच्छा सर, आपने फीस नहीं बताई।
वह सोचते हुए बोला, “तुम्हारे पापा क्या करते है?”
“सर, एक एक्सीडेंट में पापा की पिछले साल ही डेथ हो गई थीं। मम्मी उनकी दुकान में बैठ जाती है। बहन अभी स्कूल में है। मैं कॉलेज से आकर ट्यूशन पढ़ाती हूँ। यहाँ से पढ़ने के बाद एक घंटा एक कैफ़े में काम करूँगी।“ उसने बिना पूछे ही सारी कहानी सुना दी।
ठीक है, 200 रुपए दे देना ।
सर !!! मुझे लगा 1000 रुपए फीस है।
नहीं 200 ठीक है। अब वह कृतज्ञता से उसे देखकर वहाँ से चल दीं।
रात को अपनी दुकान पर श्याम को आया देखकर बबलू ने कहा, “और मेरे शेर सब ठीक है?” “हम्म !!! वो ट्यूशन वाली आई थीं?” “ उसका नाम नित्या है, “ नाम में क्या रखा है, काम बता, मदद करेगी??” बबलू अब उत्साहित होकर उसके पास आकर बैठ गया।
वो तो करेगी, मगर मुझे नहीं लेनी।
क्यों ??? वह हैरान है।
अब उसने उसे, नित्या की घर की कहानी बताई। “मैं ज़िम्मेदारी से दबे बच्चों का बोझ समझता हूँ। उनके पास किसी को देने के लिए कुछ नहीं होता।“ बबलू ने श्याम की पीठ थपथपाई, “शाबाश मेरे शेर!! देखियो जल्द ही तेरे दिल का बोझ भी हल्का होगा।“ “ऐसी तेरे यार की दुआ है।“ अब श्याम हँसने लग गया। “भाभी कहा हैं?” अब उसने इमरती की बीमार होने वाली बात उसे बता दी।
गायत्री फ़ोन पर विकास से चैट कर रही है। तभी उसे एक अनजाने नंबर से मैसेज आया। “पंद्रह मई को स्कूल का रीयूनियन है, तुम्हारा क्लासमेट आकाश !!!” उसने अब उसका नंबर सेव कर उससे बात करनी शुरू की।
वहीं दूसरी तरफ बबलू और श्याम को भी वहीं मैसेज आया। बबलू ने श्याम को कहा, “भाई चलेंगे।“ “मेरा मुश्किल है।“ वह उसकी दुकान से निकलता हुआ बोला।
अगली सुबह गायत्री ऑटो को रोक रही है, तभी श्याम ने उसके पास आकर गाड़ी रोक दी।
आओ न, साथ चलते है?
नहीं, मैं चली जाऊँगी।
नाराज हो?
नहीं तो.....
फिर ?? बैठ जाओ। अब गायत्री उसकी गाड़ी में बैठ गई। बातों-बातों में उसे पता चला कि उसे भी रीयूनियन का मैसेज आया है। “ तुम तो जाओंगे?” “नहीं मेरा मुश्किल और तुम?” “ मेरा तो न ही है।“ उसने मुँह बनाते हुए कहा।
अब दोनों अपने-अपने कॉलेज पहुंच गए। प्रिंसिपल ने मीटिंग में बताया कि इस बार दोनों कॉलेज का फेस्ट एक साथ होगा, इसका मतलब, जय आज़ाद और हिमगिरि कॉलेज एक ही ग्राउंड में फेस्ट बनायेगे। सभी स्टूडेंट्स को प्रोफेसर ने यह खबर दी तो वह ख़ुशी से उत्साहित हो गए।
लंच ब्रेक में आकाश का फ़ोन श्याम को आया।
और मास्टर आ रहा है न ??
नहीं यार मुश्किल है?
क्यों यार सब तुझे मिस करेंगे।
“यह रीयूनियन यह जानने के लिए होते हैं कि आपने अपनी ज़िन्दगी में कितनी तरक्की कर ली है।“ उसने चिढ़कर कहा।
बकवास बंद कर !! आजा यार । ।
नहीं, उस दिन मेरा फेस्ट है।
“फिर तो और भी बढ़िया है, तेरे फेस्ट में ही सब आजाते हैं। मज़ा आ जायेगा।“ पागल हो गया है, क्या!!!!” “नहीं, अब तो वेन्यू तेरा फेस्ट ही होगा।“ श्याम उसे रोकता रहा गया, मगर उसने फ़ोन काटकर सभी दोस्तों को मैसेज कर दिया। ‘अब पता नहीं कौन सी आफत आने वाली है।‘ श्याम सोचने लगा।