विहान बोला- " आप फिक्र मत करो में अपने फैमिली से परमिशन ले लूंगा। और हा आप भी अपने परिवार से एक बार बात कर लेना हमारे बारे में भी ताकि उनको कोई तकलीफ ना रहे। किसी भी तरह की ठीक है। "
जीया बोली - " हा ठीक है ये में पूछ लूंगी। आप बस तैयारी कर लीजिए कही शाम को लेट ना हो जाए। जल्दी निकल ना होगा हमे। "
विहान बोला - " हा चलो वैसे भी 3 तो बज गए है। अभी 5 घंटे है हमारे पास इस लिए आप सारी तैयारी कर लीजिए। "
जीया बोली - " हा चलो अब हम भी जाते है। और घर वालो से बात करते है। "
कुछ देर बाद।
[ मेरा नाम है सचिन। करता हु सारे सोच के काम। और अब तक मेने जितना भी सोचा है। वो कर के बताया है। और आगे भी सोचता रहूंगा और सोच कर करता रहूंगा। भले मुझे इस के लिए कुछ भी करना पड़े वो में करूंगा। ]
सचिन बोला - " अरे बिल्लू ये हमारे छोकरे लोग भाग कर क्यू आ रहे है। "
बिल्लू बोला - " अरे हा भाई ये लोग भाग कर क्यू आ रहे है। रे रुको सब लोग क्या क्या हुआ क्या है! इतना भाग भाग कर क्यू जा रहे हो सब लोग! बल्लू बताओ क्या हुआ है। "
बल्लू बोला - " यार भाई क्या बताए एक लड़का था। उसने हमे बहुत मारा भगा भगा कर। माफ करना मालिक हम आपका काम कर नही पाए। हम उस लड़की को लेकर आने ही वाले थे। पर एंड वक्त में वो लड़का आ गया। और फिर वो चला गया ये बोल कर। की अपने बोल देना अपने मालिक को की फिर ऐसी हरकत की तो ठीक नही होगा। "
सचिन बोला - " उसकी ये मजाल हमारे छोकरे लोगों को मारा। अब उस छोकरे की खैर नहीं। बल्लू नाम बता कौन था वो छोकरा। "
बल्लू बोला - " हा भाई उसका नाम महेश है. और धमकी दी गई है. की फिर से तुम लोग ये करते हुए दिख गए। तो अच्छा नहीं होगा ऐसा कहा। "
सचिन बोला - " ऐसे बेवकूफ लोग का ना मन भर चुका है। अपनी जिंदगी से इस लिए ऐसी हरकतें कर रहे है। लेकिन अब इन लोगो को बताना पड़ेगा। की इस सचिन से टक्कर लेने का क्या नतीजा होता है। "
बल्लू बोला - " हा भाई हमे मारा है। उसका बदला हम घाव का गिन गिन कर लेंगे। "
बिल्लू बोला - " हा चलो रे लड़के लोग अभी जाते है। और उस लड़के को उठा लाते है। फिर उसको बताते है। हम से उलझने का क्या अंजाम होता है। "
सचिन बोला - " अरे नही रुको रुको इतनी भी क्या जल्दी है। अभी तो ट्रेलर शुरू हुआ है। पिचर तो अभी बाकी है। मेरे दोस्त आगे आगे देखो होता है क्या! बिल्लू बात सुनो अभी ना कुछ नही करना है हमे। कुछ करने के लिए ना कुछ सोचना पड़ता है। और सोचने के लिए ना कुछ वक्त की जरूरत पड़ती है। और अगर सब हो जाने के बाद भी अगर हम लगता है। कुछ वक्त और ठहर जाना चाहिए। तो ठहर जाना ही सही सोच की पहचान है। "
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