poems by Urvi Vaghela. All poems are written by poetess herself. It's not copy from any sources. These poems are beginning of her journey.
1.भोलापन
उस दिन धूप में
स्कूल में
नए स्टूडेंट के रूप में
आया कोई मित्र
नहीं जाना वह
किसका है सुपुत्र
नहीं पूछी उनकी जाति
मुझे कहा काम आती
सिर्फ मेरे पास दो चीज थी
मेरे भूखे पेट की रोटी
और सामने मेरा भूखा मित्र
और क्या कर लिया बटवारा
खा लिया आधा आधा
क्योंकि नही थे फसे हम
लोभ, भेदभाव और अहम
के जाल में क्योंकि हम
भोले थे बच्चे थे ।
- उर्वी वाघेला
फुटबॉल का गम
एक कोने में पड़ा है फुटबॉल
नहीं खेलता उसे कोई खेल
बेजान सा पड़ा है अलमारी में
नहीं देखा सूरज की रोशनी दिन में
जाना चाहता हुं ताज़ी हवा में
लेना चाहता खुली हवा मे
पर कोई दया नही खाता मुझ पर
यहां सिर्फ धूल जम गई मुझ पर
नहीं छुआ कई दिनों से कोमल घास
नहीं हुआ किसी के पैर छूने का एहसास
नहीं उछला विशाल गगन में
नहीं देखा वह खुला आसमान
जब से देखा है मालिक
के हाथ में फोन ।
- उर्वी वाघेला
2. स्कूल के पल
एक दिन था जब मैं स्कूल जाया करता था ।
भारी-भारी बेग उठाकर जाता था ।
तब मज़दूर से कम न लगता था ।
फिर भी रोज जाना अच्छा लगता था।
टीचर्स की डाट खाना जैसे खुराक था।
उसका प्यार जैसे प्यासे का पानी था ।
होमवर्क से पीछा छूडाना जैसे मिशन था।
एक दिन था जब मैं स्कूल जाया करता था ।
दोस्तों के साथ बिना भेदभाव खाना था।
अगर कोई भूल जाए तो निस्वार्थ खिलाना था।
खेलने के लिए टीचर्स को मुश्किल से मनाना था।
खेल के साथ सारे टेंशन छोड़ता और खुशियों को भरता था ।
एक दिन था जब मैं स्कूल जाया करता था ।
ज़िंदगी तो सिर्फ उन पलों में थी ।
जब हर पल खुशियों से भरा था ।
अब तो सिर्फ साँसे है ।
जो सिर्फ आती जाती है
- उर्वी वाघेला
3. आँसू
मुझे याद है वो दिन जब आपके
आँखोमे से पानी बह रहा था
मानो पूरा संसार डूब रहा था
मुझे याद है आपकी वो मुस्कान
जो हर पल मेरे साथ रहती थी
न जाने उस पल कहा को गई थी
मुझे याद है वो दिन जब आपके दिल मे दर्द था
खुशियो के चांद में मानो दाग लगा था
वो दर्द आपके पास फिर कभी ना आए
यही दुआ है मेरी
आप खुश रहे ज़िन्दगी भर
यही ख्वाइश है मेरी
मुझे याद है वो दिन जब आपकी
आंखो में आँसू बह रहे थे
मानो पूरा संसार डूब रहा था
- उर्वी वाघेला
4. कोरोना
कोरोना आ गया दुनिया में
दुनिया आ गई हॉस्पिटल में
स्कूल आ गई मोबाईल में
स्टूडेंट्स आ गए स्ट्रेस में
लोग आ गए घर में
लाइफ आ गई मुसीबत में
अब तो हे ईश्वर! हे खुदा!
तू आ इस जहां में
- उर्वी वाघेला
5. शक्ति
आपमें बहुत शक्ति है,
केवल आप ही अज्ञानी हैं.
उस शक्ति को बाहर लाने के लिए,
यही एकमात्र प्रयास है.
आप अपने अंदर कुछ नया पाएंगे।
आपको बस प्रयास करने की जरूरत है।
आपको ऐसे लोग मिल जायेंगे,
तुम अपने आप से मिलोगे.
आपको अपनी खुद की कला मिलेगी,
बस आपके प्रयास की जरूरत है।
आस्था आपकी पूंजी है
तब सफलता आपका इंतजार करेगी
आप जो कुछ भी करते हैं,
सराहना जरूरी नहीं है.
आपको कहाँ सब कुछ पसंद है?
प्रशंसा योग्यता के समान नहीं है.
- उर्वी वाघेला