गुरु Urvi Vaghela द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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गुरु

 मेरे….

 

   इस जगह में नहीं कुछ नही लिख सका क्योंकी आप तो जानते ही है मेने आपको स्कूल में कभी नहीं माना जो आप थे l शायद आप इस वर्णन से ही जान जायेंगे की में कोन हूं l


      नमस्ते सर यह ‘सर’ शब्द तो मैंने कभी आपको कहा ही नहीं, और नही कहा आपको ‘आप’ l आज मुझे समझ में आया जब मुझे मेरे स्टूडेंट ‘सर’ कहकर बुलाते हैं l इस शब्द के लिए शायद आप तरस भी गए हो पर मैंने आपको कभी भी ना टीचर माना ना सर कहा l  इसलिए मैं बहुत ही शर्मिंदा हूं l


    सर, हमारा रिलेशन काफी अलग है  दूसरे बच्चों से l मैंने कभी आपको सर माना और ना ही आपने मुझ स्टूडेंट l इस तरह की बॉन्डिंग तो शायद किसी की ना हो l जो भी स्टूडेंट आपको लेटर लिख रहे होंगे, वह लिखेंगे कि आप मेरे सबसे प्रिय टीचर हो पर मेरे स्कूल में तो ना आप मेरे प्रिय थे और ना ही मेरे टीचर फिर भी आप ऐसी चीज सीखा गए है जिससे मैं आज आप ही की जैसे टीचर हूं l आपको यह जानकर खुशी होगी कि मैं आपकी बात मानकर भी बी.एड करके एक गवर्नमेंट स्कूल में जॉब कर रहा हूं l यह सब केवल आप ही के कारण है अगर आप ना मिले होते, अगर आप वापस मेरे पास नहीं आए होते तो आज में किसी जेल में होता l 


    सर, मुझे याद है जब आप पहली बार गायत्री ट्रस्ट स्कूल में आए थे तभी मैंने अपने पापा, जो एक ट्रस्टी थे उसको  बता दिया था कि यह टीचर नहीं चाहिए l दिखने में ही इतने स्ट्रिक्ट है तो यहां मेरी तो नहीं चलने देंगे l जब आपने सच में मेरी नहीं चलने दी तो मेरा गुस्सा बहुत बढ़ गया l मुझे याद है कि जब मेने उस राकेश के 750 रुपए चुराए थे तब मेरे लिए यह कीमत बहुत ही छोटी थी l इतनी बड़ी कीमत नहीं थी मैं तो इससे कुछ खरीद कर उड़ा देने वाला था पर तभी आप आ गए और आपने मुझे इतना मारा कि मैं समझ ही नहीं पाया कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं इतनी बड़ी तो गलती नही थी मेरे हिसाब से l शायद उस राकेश के आंसुओं ने आपका खून को खोल दिया l वह पैसे राकेश के पापा ने कितनी खून पसीने से कमाई होगी जो राकेश के फीस के लिए उसको दिए थे l आज मैं जान पाया की खून पसीने की कमाई क्या होती है l 


   सर, आपको शायद याद होगा कि मेने स्कूल के बाहर दो-चार लड़कियों को सीटी बजाकर और गाना सुनाकर उसको परेशान करने की कोशिश की थी तब आपने ऐसी सजा दी थी जो कभी कोई भी शिक्षक अपने स्टूडेंट को नहीं देता और  में स्टूडेंट भी नहीं था l मुझे बदले की भावना थी l में आपके गुस्से को बढ़ाना चाहता था l इसीलिए मैंने ऐसा काम तब किया जब आप आ रहे थे और आपने  ऐसी सज़ा दे दी जो कोई नहीं देता l आपने मुझे ऐसा बोर्ड लगाकर पूरे मोहल्ले में घुमाया कि ‘ मैं महिलाओं का सम्मान करना नहीं जानता , कृपया मुझे सिखाए l ’

  

       मेरी चोरी वाली बात भी आपने सभी को बता दी , ना की स्कूल में बल्कि सभी स्कूल में ताकि मुझे समझ में आए कि यह कितना बड़ा है परंतु इस बात से मेरा खून बहुत खोल गया और मुझे लगा कि आपको स्कूल से हटाना है जैसे मैंने आगे के सभी टीचर्स को हटाया था l मेरे लिए दाएं हाथ का खेल था सिर्फ मेरे पापा, जो ट्रस्टी थे उसे बताना था की वह आपको निकाल दे और निकाल भी देते पर आपके प्यारे  स्टूडेंट ज्यादा थे l सब  बगावत पर आए कि अगर आप निकल जाएंगे तो हम भी स्कूल छोड़ देंगे l अब मेरे पापा तो ट्रस्टी थे वह तो स्कूल की इमेज को या फिर अपने आप को लॉस तो नहीं करवाएंगे l चाहे मेरा जो कुछ भी हो l पापाने ना तब मुझे समझाया और ना ही मुझे कुछ कहा l वह बस वही करते गए जो मैं कहता गया और जो उसके बस में ना हो वह मेरे लिए छोड़ देते थे l में जो चाहूं कर सकता था l ना कोई रोकने वाला ना कोई टोकने वाला और मेरी मां तो पहेली ही मुझे छोड़ कर चली गई जो शायद मुझे समझाती l इसी कारण मेरा स्वभाव ऐसा हो गया था l


इसीलिए मेने ऐसा काम किया जो एक टीचर स्टूडेंट के रिलेशन को शर्मनाक बना देती है l मुझे इसका जिक्र करते हुए भी बहुत शर्म और लज्जा आ रही है कि मेरे आंखें आंसुओं से भर गई हैl क्या में ही था जिसने  ऐसा काम किया ? क्यों किया ? और ऐसे व्यक्ति के साथ किया जिसने मेरे पूरे जीवन को एक नया रास्ता दिखाया पर आपने ही सिखाया है ना सर, की जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए होता है l अगर में नहीं करता तो आप शायद ही मेरे जीवन में इस तरह आते ऐसे दोस्त की तरह, आपने मेरे अंधकार और नर्क भरे जीवन को प्रकाश की राह दिखाई l


     मुझे बताते हुए भी शर्म आती  है जो करने में उस वक्त हिचकीचाहट भी नहीं हुई थी l मेने आपकी बेटी नताशा को बांधकर बेड पर सुलाया था और आपको ऐसी धमकी दी थी कि अगर आप रेजिग्नेशन लेटर नहीं दोगे तो मैं इसका रेप कर दूंगा l मुझे यह बताने में भी इतनी शर्म आती है पर तब में इंसान नही हैवान था की वह किया था l अभी मुझे लगता है कि  मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं l अगर आप यह पत्र नताशा मेम के सामने पढ़ रहे हो तो मेरी तरफ से उसे माफी मांगना और पर माफी शायद मुमकिन ही नही है इसलिए सज़ा ही दे दो मेम l इस बात के लिए बहुत ही शर्मिंदा हूं कि मैं आप जैसे महान व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार किया l


     मुझे याद है सर मेने आपकी सामने कबुल किया था कि मैं एक बार अपनी वासना से एक मेरे से 2 साल छोटी जो मेरी बहन जैसी है उनकी नहाने का वीडियो बनाया था मुझे लिखने में बहुत ही लज्जा आ रही है कि मैं ऐसा किया था क्योंकि आप मेरे गुरु है इसलिए आपको तो सब कुछ पता है उसे वक्त आपने समझाया था कि यह सब कुछ एक गर्ल के लिए महिला के लिए कितना मुश्किल होता है कि यह सब करते तो पुरुष है बल्कि और उसकी सजा सबसे ज्यादा उसे महिलाओं को मिलती है समाज परिवार यहां तक कि वह खुद भी उसी को इसकी जिम्मेदार बताते हैं और वह मानसिक शारीरिक पीड़ा से गुजरती है तुमने जाना कि मैं बहुत बड़ी गलतियां की है आपने मुझे सही मालूम का सम्मान करना सिखाया है किस तरह से अपनी लड़कियों को बहन की तरह से देखना अपने सिखाया 


   सर , उसके बाद मुझे लगा था कि आप चले जाएंगे जैसे सभी टीचर्स चले गए थे पर आप कुछ अलग ही मिट्टी के बने थे l आप मेरे पास आए यहां तक कि मुझे संभाल कर मुझे अपनी सही राह दिखाई अगर आपकी तरह कोई और होता तो बस ऐसे ही चला जाता l आपको आते देख मेने सोचा की आप भी मेरी तरह बदला लेने आए पर आप तो गुरु थे बदला नहीं लेते पर बदल जरूर देते हो l वह सब टीचर थे और आप गुरु l आपकी हर एक बात में आज अपने स्टूडेंट को सिखाता  हूं l आपने कहा था कि हमारी अंदर दो शक्तियां होती है देवी शक्तियां और आसुरी शक्तियां l आसुरी बनने के लिए हमें प्रयत्न नहीं करना पड़ता पर देवी बनने के लिए हमें प्रयत्न करना पड़ता lअच्छे बनने के लिए संघर्ष करना पड़ता है , बुरा बनने के लिए नहीं मुझे याद है कि आपने कहा था कि अपनी जो भी नेगेटिव पावर है वह जो भी हमारी कमज़ोरियां है वह हमें प्रदर्शित नहीं करनी चाहिए l जैसे कि मेरा गुस्सा होना आपने यह भी जान लिया कि मैं इतना हैवान क्यों था क्योंकि मुझे बचपन से ही जो भी करने की इच्छा हुई वह मुझे करने को मिल जाता l जो मुझे चाहिए था वह मुझे मिल गया पर अब नहीं मिलता l ज़िंदगी मेरे हिसाब से नहीं चलती इसलिए मेरा वर्तन गुस्से में बदल गया l बचपन में मेरी मां चली गई क्यों चली गई कुछ पता नहीं और पापा  काम में बिजी रहते और मेरा जो मन में आया करता गया l स्कूल में भी मेरे पापा ट्रस्टी थे  इसलिए स्कूल का कोई नया या पुराना स्टाफ मुझे डांट नहीं पाया और इसीलिए मेरे मनमानी चलती गई और मैं यहां तक पहुंच गया था पर आपने मुझे समझाया कि जो मुझे चाहिए मान–सम्मान l वह मुझे इस तरह से नहीं बल्कि एक अच्छी एजुकेशन के द्वारा , कोई अच्छी पोस्ट के द्वारा ,  आपकी तरह टीचर बनकर मिलेंगे l मैंने आपकी बात मानकर आज यहां टीचर में बन गया l


    जब मैंने सुना कि आप अमेरिका से वापस आ गए हैं तब  मैं भी  सब लोगों की तरह आपके घर पर आने की सोचा और मैं आया भी था l जब हमारे स्कूल के सभी बच्चे , स्टाफ आप सबको मिलने के लिए आए थे  तब मैं आपसे नजर नहीं मिला पाया क्योंकि मैं आपका ना हीं फेवरिट स्टूडेंट था और ना ही आप मेरे फेवरिट टीचर थे l मैं अपने बुरे कर्म के कारण आपसे नज़रे मिला पाया नही पाया l मैं वापस घर  लौट आया l मेरे पास शब्द नहीं थे मेरे पास सिर्फ और सिर्फ आंसू ही थे उसे वक्त l इसलिए यह पत्र लिख रहा हूं आपको  

सच में आप तो एक टीचर नहीं बल्कि जो संस्कृत में गुरु कहा जाता है वही है क्योंकि आपने मेरी अंधकार भरी जिंदगी को एक प्रकाश से ज़गमगा दिया l टीचर तो तब होते जब सबकी तरह मेरी इस करतूत की वजह से चले गए होते पर जब आपने मुझे इतना अच्छा जीवन का मार्ग दिखलाया इसलिए आप गुरु कहलाए l


    आपको मैं आपको धन्यवाद तो नहीं कहूंगा क्योंकि मैंने जो भी किया है उसके लिए तो मुझे सिर्फ और सिर्फ  माफी ही मांगनी चाहिए और तब भी आप नहीं हो सकता मैं यही सोचता हूं कि आपकी बेटी के साथ आपका फेवरेट स्टूडेंट के साथ इस तरह से मेरा व्यवहार होने के बावजूद भी आप किस तरह से कैसे मेरे पास आए और मुझसे इतने अच्छे से बात की,  अच्छे से रखा,  मैं आज भी नहीं समझ पाया कि आप किस मिट्टी के बने थे l आपने ऐसा क्यों किया?


       सर, इस पत्र के साथ में अपने ढेर सारे आंसू और बहुत सारा प्यार भेज रहा हूं उम्मीद करता हूं कि आप मुझे माफ करेंगे l मुझे अपने दोस्त से अपना स्टूडेंट यानी शिष्य बनाएंगे l आप मेरे टीचर नहीं बल्कि गुरु है l


आपका

विशाल


 एक और पत्र


     बेटा तुम मुझे मिलने आए  नही मुझे बहुत बुरा लगा l हर जगह तुमने बस यही पूछा आपने ऐसा कैसे किया क्यों किया इसके जवाब में बस में यही कहना चाहूंगा क्योंकि मैं एक टीचर था और तुम मेरे स्टूडेंट हालांकि मैं तुम्हें ऐसे ट्रीट नहीं किया और तुमने मुझे किया फिर भी हम दोनों हमेशा टीचर स्टूडेंट ही रहेंगे l तुमने मुझे गुरु की उपमा दी इतना मेरे लिए बहुत ही काफी है l मुझे खुशी है कि मेरे कुछ प्रयन्त रंग लाए l तुमने अपनी काली जिंदगी से एक प्रकाश  भरी जिंदगी,  खुशियों से भरी जिंदगी को अपना लिया l मुझे खुशी है इस बात की कि मैं एक भविष्य को बर्बाद होने से बचा पाया l अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी होती तो आज एक बेहतरीन शिक्षक के बजाय एक हत्यारा , रेपिस्ट , चोर और स्मगलर के रूप में तुम होते l याद है तुम्हें पहले ही बार आया था तब तूने मुझसे कहा था कि टीचर की क्या औकात है l दो साल पढाकर तुम चले जाओगे या हम चले जाएंगे तो आज पता चला कि एक टीचर की क्या औकात होती है ?


        तुम्हारी जो भी करतूत तुमने बचपन में की मे उसे भूल चुका हूं l तुम्हारा भविष्य अच्छा हो इसीलिए मैंने सारे प्रयत्न किए थे और तुम भी अब एक अच्छी जिंदगी जियो l अपनी सारी बातें भूलकर एक  अध्याय को शुरू करो और हां यहां पर आना मत भूलना l तुम्हारी राह देख रहा हूं l


तुम्हारा

गुरु