शोहरत का घमंड - 73 shama parveen द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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शोहरत का घमंड - 73

ऋतु की बाते सुन कर अबीर बोलता है, "ऋतु सुबह सुबह इतना गन्दा मजाक मत करो मुझ से"।

तब ऋतु बोलती है, "भाई मै कोई मजाक नही कर रही हू, मैं सच बोल रही हूं आपकी कसम"।

ये सुनते ही अबीर के पैरो तले जमीन खिसक जाती है और वो बोलता है, "तुम्हें ये किसने कहा"।

तब ऋतु बोलती है, "मुझे ये बात मम्मा ने बताई अभी अभी तो मैं सीधा आलिया की मम्मी के पास गई तो उन्होंने मुझे ये बताया "।

तब अबीर बोलता है, "मगर इस तरह अचानक क्यो ???????

तब ऋतु बोलती है, "आलिया के बॉस ने उसे घर दिलवाया है और ये बात आलिया को भी नही पता है "।

तब अबीर बोलता है, "मगर ऐसा कैसे हो सकता है कि आलिया को ही ना पता हो की वो घर खाली कर रहे हैं, मुझे तो ये उसके बॉस की कोई चाल लग रही है, रुको मैं अभी आलिया को कॉल करके सब कुछ बता देता हूं "।

तब ऋतु बोलती है, "भाई ये क्या बोल रहे हो, आंटी ने आलिया को कुछ भी बताने से मना किया है और तुम तो आलिया की जानते ही हो की वो कैसी है, अगर उसने कुछ भी ड्रामा किया तो आंटी हमारे बारे में ही गलत सोचेंगी "।

तब अबीर बोलता है, "तो तुम क्या चाहती हो की मै आलिया को यू ही जाने दू "।

तब ऋतु बोलती है, "देखो आलिया की मम्मी बहुत ही खुश है और अगर आलिया ने कुछ ड्रामा किया तो आंटी हमारे बारे में ही गलत सोचेंगी, इसलिए अभी जो हो रहा है होने दो "।

उसके बाद ऋतु वहा से चली जाती है।

आलिया की मम्मी घर खाली करवा रही होती है।

आलिया ऑफिस में काम कर रही होती है और अरुण आर्यन को कॉल करता है और बोलता है, "भाई मुबारक हो आलिया का घर खाली हो रहा है और वो अब वहा पर जा रही है जहां पर तू चाहता है "।

तब आर्यन बोलता है, "मुझे नही पता है कि मै इतना लकी कैसे हू, मैं जो जो चाह रहा हूं वही वही हो रहा है, मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है "।

तब अरुण बोलता है, "कर ले भाई यकीन, क्योंकि अब वही होगा जो तू चाहेगा "।

दोपहर होती हैं.............

मीनू और ईशा स्कूल से आ जाती है और देखती है कि घर खाली हो रहा होता है। तब ईशा बोलती है, "मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है कि हम नए घर में जा रहे हैं और वो भी बड़े वाले"।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "चलो अब बाते मत करो और चुप चाप नहा धोकर खाना खा लो, और उसके बाद काम पर लग जाओ "।

तब बुआ जी बोलती है, "पता नहीं कोन सा भूत चढ़ गया इन पर की बेटी की शादी करने की बजाय नया घर ले रहे हैं, लोग तो रूखी सूखी खा कर झोपड़ी में रह कर गुजारा करते हैं और बेटी के दहेज के लिए पैसा इकट्ठा करते हैं, मगर इन्हे तो कोई फिक्र ही नही है बेटी की शादी की "।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "बेटी का होना कोई पाप नही होता है, और मेरी बेटी पढ़ी लिखी लड़की है और वो अपने पैरो पर खडी हो रही है और मुझे अपनी बेटी के लिए दुल्हा खरीदने की कोई जरूरत नहीं है.............