प्यार हुआ चुपके से - भाग 15 Kavita Verma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 15

गौरी के घर उसके बर्थडे की पार्टी शुरु हो चुकी थी। पार्टी घर के लॉन में ही थी इसलिए सारा अरेंजमेंट भी वही किया गया था। सारे मेहमान, यहां-तहां खड़े बातें करने में लगे हुए थे। शिव के पापा अधिराज और गौरी के पापा अरुण भी बिज़नेस को आगे बढ़ाने को लेकर किसी से बातें कर रहे थे।

आशिकी फिल्म अभी-अभी रिलीज़ हुई थी इसलिए हर तरफ़ उसके गानों की गूंज थी। यही वजह थी कि गौरी की बर्थडे पार्टी में भी उसी फिल्म के गाने बज रहे थे।

"बस एक सनम चाहिए, आशिकी के लिए,"

फिलहाल यही गाना प्ले हो रहा था। पार्टी में ज़्यादातर यंगस्टर उसी फिल्म को लेकर चर्चा कर रहे थे। वही शिव भी पार्टी की अरेंजमेंट चेक करने में लगा हुआ था पर गौरी की नज़रे तो सिर्फ रति को तलाश रही थी।

उसे तो सिर्फ उसके आने का ही इंतज़ार था। गौरी ने काले रंग का बहुत ही खूबसूरत सा इवनिंग गाउन पहना हुआ था। उसने हेयर स्टाइल भी वैसी ही बनाई हुई थी। जैसी उस दौर की हीरोइने बनाया करती थी। उसने आगे की तरफ़ बालों में पफ बनाया हुआ था। बाकी सारे बालों को कर्ली किया हुआ था। अपने खूबसूरत मेकअप और खूबसूरत से आउटफिट की वजह से उसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा हुआ था।

"गौरी, बेटा और कितना इंतज़ार करवाएगी आप? चलकर केक काटिए। मेहमान इंतज़ार कर रहे है"- तुलसी उसके कन्धे पर हाथ रखकर बोली। गौरी ने मुस्कुराते हुए पीछे से हाथ बढ़ाया और तुलसी की बांह पर रखकर बोली- दादी,बस थोड़ी देर और...वो क्या है ना,मेरी एक खास सहेली अब तक नही आई है। मैं बस उसी के आने का इंतज़ार कर रही हूं।

"आपकी ऐसी कौन सी खास सहेली है बेटा, जिसके बिना आप केक नही काटना चाहती?"- तुलसी ने पूछा। गौरी मुस्कुराते हुए उनके साथ दो कदम चलकर बोली- है एक सहेली दादी....रति नाम है उसका, बहुत प्यारी है। मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती है। आप उससे मिलेगी ना, तो बहुत खुश होगी।

"अच्छा,फिर तो मैं भी तुम्हारी सहेली से मिलना चाहूंगी"- तभी किरण वहां आकर बोली। गौरी के चेहरे की मुस्कुराहट और बढ़ गई वो फट से बोली l- ज़रूर आंटी, वो बस आती ही होगी।

तुलसी और किरण एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगी। गौरी फिर से मुंह बनाकर मेन गेट की ओर देखते हुए मन ही मन बोली- कहां रह गई रति? प्लीज़ जल्दी आजा,

तभी अचानक उसकी नज़र गेट पर आकर रूकी एक लाल रंग की लूना पर पड़ी। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वो तेज़ी से गेट की ओर बढ़ने लगी पर तभी उसके एक फ्रैंड और कुछ रिश्तेदारों ने उसे बीच में ही घेर लिया।

रति लूना से उतरते ही अपने पापा से बोली- अब आपको यहां रुकने की कोई ज़रूरत नही है पापा। दिन भर ऑफिस में काम करते है आप, थक गए होंगे। आप घर जाकर आराम करिए, मैं जल्दी वापस आ जाऊंगी। गौरी मुझे खुद घर छोड़ देगी।

उसके पापा रामप्रसादजी ने बहुत प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और बोले- ठीक है बेटा, पर जल्दी घर वापस आ जाना। तेरी मां वैसे भी तेरे रात में घर से निकलने के खिलाफ़ थी। तेरी खुशी की खातिर मैनें बहुत मुश्किल से उसे मनाया है इसलिए दस बजे तक घर वापस आ जाना, वर्ना वो तेरा कल से कॉलेज जाना भी बंद करवा देगी।

रति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और उसने सिर हिला दिया।

"गौरी के कहने पर मैंने भी तुझे इजाज़त दी है बेटा इसलिए रात में अकेली आने के बारे में सोचना भी मत। गौरी के साथ ही आना। ठीक है?"- रामप्रसादजी की बातें सुनकर। रति फिर से मुस्कुरा दी और बोली- जी पापा,उसके साथ ही आऊंगी। आप जाइए वर्ना मम्मी मेरा गुस्सा आप पर निकालेगी।

रामप्रसादजी को हंसी आ गई। उन्होंने तुरंत अपनी लूना इस्टार्ट की और वहां से चले गए। रति ने सुकून की सांस ली और मेनगेट की ओर पलटी। पलटते ही उसने देखा कि लॉन में एक बहुत बड़ी पार्टी चल रही थी। लॉन की सजावट और बंगले के बाहर खड़ी बड़ी-बड़ी गाड़ियां देखकर उसे थोड़ी सी घबराहट होने लगी थी।

उसने नीले रंग की शिफॉन साड़ी पहनी हुई थी। जिसमें सफेद रंग के बड़े-बड़े गुलाब के फूल बने हुए थे। साड़ी का पल्ला उसके बाएं कन्धे से होते हुए नीचे ज़मीन को छू रहा था। हाथों में सफेद रंग की चूड़ियां और माथे पर लगी नीले रंग की प्लेन बिंदी, उसके गौरे रंग पर उभर कर नज़र आ रही थी। उसके लंबे खुले हुए बाल उसकी कमर पर लहरा रहे थे। जिसकी वजह से वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। उसने अपने हाथों में एक बड़ा सा फूलों का बुके पकड़ा हुआ था। वो अपनी घबराई हुई नज़रों से गेट पर हो रही सजावट को देख रही थी।

तभी बंगले के छोटे गेट से शिव खाने के अरेंजमेंट के बारे में एक लड़के से बात करते हुए वहां आकर बोला- अब फटाफट जाओ और आइसक्रीम लेकर आओ। मैनें होटल वालों से बात कर ली है। हमारा ऑर्डर रेडी है.... जाओ जल्दी लेकर आओ।

उस लड़के ने सिर हिला दिया और अपनी स्कूटर लेकर वहां से चला गया। उसके जाते ही शिव अंदर जाने के लिए पलटा ही था कि तभी उसकी नज़र रति पर पड़ी और वो उसे देखकर सब कुछ भूल गया।

इतनी बड़ी पार्टी देखकर रति का दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था। वो ख़ुद से बोली- अगर मुझे पता होता कि गौरी की बर्थडे पार्टी इतनी बड़ी होगी तो मैं यहां कभी नही आती। इतने बड़े-बड़े लोगों के बीच तो मैं ठीक से सांस भी नही ले सकूंगी। अब क्या करूं? अकेली वापस घर भी तो नही जा सकती।

वो अपने होठों को दांतों में दबाकर सोच में पड़ गई पर फिर उसने आँखें बंद करके हिम्मत जुटाई और थोड़ी सी घबराई हुई सी...थोड़ी सी शरमाई हुई सी.... आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ने लगी। वो इतनी खूबसूरत लग रही थी कि शिव एकटक उसे ही देखे जा रहा था पर रति की नज़रे, पार्टी में शामिल हुए लोगों पर ही थी। जिनके कपड़े देखकर ही बहुत महंगे लग रहे थे।

उसने अपनी साड़ी की ओर देखा और सोच में पड़ गई पर शिव उसे देखकर समझ गया कि उसे इतनी बड़ी पार्टी देखकर शायद घबराहट हो रही है और वो इंबेरेस फील कर रही है पर शिव उसे देखकर बस मुस्कुराये जा रहा था।

रति हिम्मत जुटा कर आगे बढ़ने लगी पर वो आगे बढ़ते हुए इतनी घबरा रही थी कि घबराहट में उसकी सैंडिल उसकी ही साड़ी में उलझ गई और वो गिरने लगी। पर तभी, शिव ने आकर उसे पकड़ लिया। रति ने तुरंत नज़रे उठाकर देखा तो उसकी आंखों के सामने काले रंग के सूट-बूट में शिव खड़ा हुआ था।

उसने शर्म से अपनी नज़रे झुका ली। शिव उसकी झुकी हुई पलकों की ओर देखकर बोला- संभलकर,अभी गिर जाती आप..

रति बिना उसकी ओर देखे खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाने लगी। शिव ने मुस्कुराते हुए उसे छोड़ दिया। रति ने आहिस्ता से दो कदम पीछे लिए और अपनी झुकी हुई पलकें उठाकर शिव की ओर देखा जो उसे ही देख रहा था। उसने झेंपकर फिर से अपनी नज़रें झुकाई और अपने चेहरे पर आ रहे बालों को हटाते हुए आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ने लगी। वो तिरछी नज़रो से शिव को देखते हुए उसकी बगल से निकलकर अंदर जाने लगी। शिव चुपचाप खड़ा उसे अंदर जाते देख रहा था।

गौरी जैसे ही मेहमानों से फ्री हुई तो वो तेज़ी से रति की ओर बढ़ी, जो उसकी ओर ही चली आ रही थी। रति की नज़रे भी जैसे ही उस पर पड़ी। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और उसका डर भी थोड़ा कम हो गया। उसने आगे बढ़कर गौरी को अपने गले से लगाया और बोली- जन्मदिन बहुत-बहुत मुबारको गौरी,

"थैंक्यू,"- गौरी मुस्कुराते हुए बोली। रति ने उसे बुके दिया और बोली- ये तेरे लिए भगवान करे कि तू इन फूलों की तरह हमेशा मुस्कुराती रहे।

ये सुनकर गौरी के चेहरे की मुस्कुराहट और बढ़ गई पर फिर वो मुंह बनाकर बोली- कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूं....कितनी देर कर दी तूने... सब कब से मुझसे केक काटने के लिए कह रहे है। पर मैं हूं कि सिर्फ तेरा इंतज़ार कर रही थी।

रति ने मासूमियत से अपने दोनों कान पकड़ लिए। ये देखकर गौरी को हंसी आ गई। रति भी मुस्कुरा दी। तभी गौरी ने उसे पकड़ा और आगे बढ़ते हुए बोली- चल, अब चलकर केक काटते है। मुझे बहुत भूख लगी है।

"हां, वैसे तू इन कपड़ों में बिल्कुल किसी राजकुमारी की तरह लग रही है"- रति बोली तो गौरी ने पलटकर जवाब दिया- हां, पर अगर मैं राजकुमारी लग रही हूं तो तू भी आज चांदनी वाली श्रीदेवी लग रही है।

दोनों बातें करते हुए उस टेबल के पास आई। जहां गौरी के बर्थडे का केक रखा हुआ था। गौरी ने टेबल के पास आते ही अपने डैड की ओर देखा जो अधिराज से बात कर रहे थे।

"पापा, शिव....दादी आइए केक काटते है"- गौरी की आवाज कानों में पड़ते ही सब उसकी ओर बढ़ने लगे पर किरण की नज़रे जैसे ही रति पर पड़ी तो वो भी एकटक उसे देखने लगी। उसकी सादगी देखकर वो मन ही मन बोली- ये लड़की तो हूबहू वैसी ही है जैसी लड़की मेरा शिव चाहता है। शिव की नज़रे भी रति से हट ही नहीं रही थी। वो बस उसे ही निहार रहा था। रति की नज़रें भी उससे टकराई पर शिव को खुद को घूरते देख वो झेंप गई और उसने अपनी नज़रे झुका ली।

गौरी ने मुस्कुराते हुए कैंडल्स बुझाकर केक काटा तो चारों ओर तालियों की गूंज सुनाई देने लगी। उसने सबसे पहले अपने पापा को और फिर शिव की दादी को केक खिलाया फिर गौरी ने पलटकर रति की ओर देखा और फिर उसे भी अपने हाथों से केक खिलाया। रति के साथ शिव के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गईं।

"हैप्पी बर्थडे गौरी"- रति भी उसे केक खिलाकर बोली। गौरी के चेहरे की मुस्कुराहट और बढ़ गई और उसने उसे गले से लगा लिया। तभी उसकी नज़र शिव पर पड़ी और वो बहुत प्यार से उसे देखने लगी। उसने एक प्लेट में केक निकाला और शिव की ओर देखते हुए उसकी ओर बढ़ने लगी।

उसने शिव के पास आकर उसे भी केक खिलाया। शिव ने भी उसकी आंखों में देखते हुए उसकी प्लेट से केक लिया और अपना हाथ उसके होंठों की ओर बढ़ाने लगा। गौरी बहुत प्यार से उसे देख रही थी। रति भी सबसे नज़रे चुराकर उन्हें ही देखकर मुस्कुरा रही थी। पर तभी, शिव ने केक गौरी के होंठों तक लाकर उसके गाल पर लगा दिया। गौरी का मुंह खुल गया। उसने प्लेट पास ही टेबल पर रखी और शिव के पीछे दौड़ने लगी पर शिव वहां से भाग खड़ा हुआ। दोनों लॉन में दौड़ लगाने लगे। ये देखकर सबको हंसी आ रही थी।

तभी शक्ति ने वहां आकर बिना शिव का चेहरा देखे उसे पीछे से पकड़ लिया और गौरी से बोला- ये ले गौरी मैनें तेरे मुजरिम को पकड़ लिया। ये सुनकर गौरी को हंसी आ गई और वो हंसते हुए बोली - शक्ति, पहले मेरे मुजरिम की शक्ल तो देख लो। तुम्हें भी तो पता चले कि तुमने किसे पकड़ा है।

शक्ति दो पल के लिए सोच में पड़ गया पर शिव मुस्कुराने लगा। तभी शक्ति ने झटके से उसे अपनी ओर घुमाया। अपने सामने अपने भाई को देखकर खुशी से उसका मुंह खुल गया।

"शिवववव,"- उसने चीखते हुए शिव को अपने गले से लगा लिया। शिव ने भी उसे बांहों में भरकर अपनी आंखें बन्द कर ली। दोनों भाईयों को साथ देखकर उनका सारा परिवार बहुत खुश था। सिवाय पायल के।

"तू कब आया? और किसी ने मुझे बताया क्यों नही कि तू वापस आ गया है?"- शक्ति अपने घरवालों की ओर देखकर बोला। उसके डैड उसके पास आए और उसके कन्धे पर हाथ रखकर बोले- कैसे बताते तुम्हें? तुम तो इंदौर में थे ही नहीं......और अभी तक, ऐसे किसी फोन का इज़ात भी नही हुआ है। जिसे हम चौबीस घंटे अपनी जेब में रख सके और ज़रूरत पड़ने पर जिससे चाहे बात कर सके।

ये सुनकर शक्ति ने शिव के गले में हाथ डाला और बोला- कोई बात नही पापा। माफ किया मैंने आप सबको ...आज मेरा भाई वापस आ गया है इसलिए आज मैं बहुत खुश हूं।

"तो फिर हो जाए"- तभी शिव ने अपना हाथ बढ़ाकर पूछा। शक्ति ने मुस्कुराते हुए उसका हाथ थामा और बोला- चल,

दोनों वहां से जाने ही लगे थे कि तभी गौरी ने पीछे से दोनों की कॉलर पकड़ ली और गुस्से में बोली- शायद तुम दोनों ये भूल गए हो कि आज मेरा बर्थ डे है। तुम्हारी ये बाईक रेस सुबह लगा लेना। पहले मुझे जन्मदिन की बधाई तो दो।

"ओह हां, आय एम सॉरी"- शक्ति ने इतना कहकर गौरी को अपने गले से लगाया और बोला- हैप्पी बर्थडे गौरी, तुम जियो हजारों साल और साल के दिन हो पचास हजार,

गौरी मुस्कुराते हुए बोली- थैंक्यू....पर सिर्फ गुड विसेस से काम नही चलेगा। तुम्हें मुझे बर्थडे गिफ्ट भी देना होगा। शक्ति मुंह बनाकर बोला- ओह, वो तो मैं भूल ही गया।

गौरी ने बच्चों की तरह मुंह फुला लिया और पलटकर खड़ी हो गई। एक तरफ़ खड़ी रति उन सबको देखकर मुस्कुरा रही थी। गौरी का चेहरा देखकर शक्ति ने वही कुछ दूरी पर खड़े एक नौकर को इशारा किया तो उस नौकर ने सिर हिलाया और एक बड़ा सा पैकेट लाकर उसे दिया। शक्ति ने उसके हाथों से पैकेट लिया और गौरी की ओर बढ़ा दिया - तेरा गिफ्ट,

गौरी का मुंह खुल गया और वो खुशी से उछल पड़ी- थैंक्यू शक्ति, अब तुम दोनों भाई अगर साथ में मेरी पार्टी में आ ही चुके हो तो चलकर पार्टी में थोड़ा रंग जमाओ वर्ना सबको मेरी पार्टी बोरिंग लगेगी। ओ भईया, कोई अच्छा सा गाना लगा दो।

पास खड़े लड़के ने तुरंत आशिकी के गानों की कैसेट निकाली और दिल मूवी की कैसेट लगा दी। शिव ने मुस्कुराते हुए शक्ति को इशारा किया तो उसने भी सिर हिला किया। तभी गाना बज उठा -

खम्बे जैसी खडी है,
लड़की है या छड़ी है,

शिव और शक्ति दोनों ने ही आमिर खान की तरह थिरकना शुरू कर दिया और गौरी को भी अपने साथ खींच लिया। गौरी भी उनके साथ डांस करने लगी। वो तीनों पूरे लॉन में डांस कर रहे थे। ओमी और टीना भी उनका साथ देने लगे पर किरण की नज़रे अभी भी रति पर ही टिकी हुई थी। वो उसके पास आकर खड़ी हो गई ताकि उससे बात कर सके। रति ने भी उनकी ओर देखा और मुस्कुरा दी और फिर से शिव, शक्ति और गौरी को डांस करते देखने लगी।

तभी डांस कर रही गौरी की नज़र उस पर पड़ी और वो डांस करते-करते रुक गई। वो दौड़कर रति के पास आई और बोली- चल रति, तू भी हमारे साथ डांस कर।

"नही गौरी प्लीज़"- रति तुरंत उसका हाथ पकड़कर बोली। गौरी ने फिर से बच्चो की तरह मुंह बनाया और बोली- प्लीज़ मेरी खातिर...प्लीज़,

"नही गौरी"- रति अपने आसपास खड़े लोगों की ओर देखकर बोली तभी शक्ति की नज़र भी उस पर पड़ी और उसे देखते ही वो डांस करना ही भूल गया और एकटक उसे देखने लगा पर फिर उसने अपने आसपास खड़े लोगों की ओर देखा और मुस्कुरा दिया।

लेखिका
कविता वर्मा