अंजान रुदाली Suresh R. Karve द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अंजान रुदाली

अंजान रुदाली

मेरी मौत के मातम में कोई अनजान आके खूप रोये तो परेशान मत होना

समझना, होगी कोई चाहने वाली दिवानी जो नही चाहती थी कभी मुझे खोना

आयेगी तो उसे थोड़ीदेर बैठने देना, कुछ मत उससे तुम पूछना, बस दो आंसू बहाके चली जायेगी

तुमे उसे नही पेहेचानोगी; पूछोगी वोह कौन है, तो बेचारी शायद बुरा मान जायेगी

कह देना जानती हो तुम उसे, बताया था उसके बारे में मैंने कुछ तुम्हे

सुन के अच्छा लगेगा उसे, शायद बयां करदे, साथ बिताये कुछ लम्हे

एक बात बताऊँ, मिला तो मैं भी कभी नही उससे जीते हुवे

बस खयालों में आयी होगी वो शाम को कभी जाम पीते हुवे

सुरेश कर्वे

किस्मत का धनि

०६ नवंबर २०१४