किस्मत की डोरी से बंधे दिल DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत की डोरी से बंधे दिल

1.
किसी के रंग में रंगने से अच्छा है,
अपनी पसंद के रंगों का ख्याल रखो,
बेरंग ना हो जाओ बस यूँ ही किसी की ख़ातिर,
तुम अपनी पसंद ना पसंद से प्यार रखो...

2.
वो शख्स बड़ा ही दिलदार था,
दिल तोड़ कर,
बेहद ही आबाद था,

मुसाफ़िर बना कर,
रास्ते में गुम हो जाना आदत थी उसकी,
और हमें लगा मिल गया था जो,
वो माहताब था,

चाशनी सी बातों पे,
दिल मक्खी सा हो गया,
बातें बनाने में,
वो तो बस कमाल था...

3.
अपनी हर बात जुदा रखते हैं,
एहसासों की नगरी में रहते हैं,
हर एहसास जवां रखते हैं,
प्यार से मिलोगे तो,
मुस्कुरा कर हम भी मिलेंगे,
फितरत के काले लोगों को,
ज़रा दायरे से दूर रखते हैं...

4.
बहुत दूर चलना पड़ता है,
मंज़िल को पास लाने के लिए,

आग में तपना पड़ता है,
ख़ुद को सोना बनाने के लिए,

कुछ हसरतें जवान रखनी पड़ती हैं,
दूर आसमां तक जाने के लिए,

खिड़कियों से झांकते लोगों को क्या पता,
अरमानों को दफ़न किया है,
ज़िंदगी में कुछ बन जाने के लिए...

5.
शायद जो कहा हुआ समझ ना आया...
लिखा हुआ पहुँच जाए तुम तक...

6.
किसी दूसरे का हिस्सा तुम्हारे पास कभी आयेगा भी,
तो तुम्हें अत्रिप्त कर के चला जायेगा...

7.
फलसफा तो बस ये रहा,
जिसने भी अपनों के लिए सब त्यागा,
वो अंत में अकेला ही खड़ा मिला...

8.
कभी खुद से मिले हो?
अगर नहीं!!
तो जाओ मिलो, बातें करो,
और समझो की खुद की,
उम्मीदें क्या है,
ख्वाइशें क्या हैं,
चाहतें क्या हैं,
क्या है वो,
जो सिर्फ़ और सिर्फ़,
तुम्हें खुशी देता है,
क्या कभी ऐसे खुद से मिले हो?

9.
मेरे क़दम तुम तक पहुंचे भी,
और वापस भी मुड़ चले,

दोनों की मजबूरी थी,

तुम आगे चल दिए,
और हम भी लौट चले...

10.
तुम क्या मिले,
पाषाण सा जीवन
आषाढ़ सा हो गया,
अच्छे अच्छे पलों का,
ये मोहताज सा हो गया,
यूँ तो ये बीत रहा था अपनी गति से,
तुम्हारे आने से,
इच्छानुसार गतिमान सा हो गया...

11.
ज़िंदगी लगती लंबी है,
मगर होती छोटी है,
ये खिलखिला के हंसती भी है,
ये मायूस होकर रोती भी है....

12.
चलो एक जहाँ बसाते हैं,
जहाँ अश्कों को नहीं बुलाते हैं,
मुस्कुराहटों से चेहरे सजाते हैं,
झूठे फरेबियों से अब हाँथ, छुड़ाते हैं,
चलो कुछ सपने सच कर आते हैं
हंसते हैं, गाते हैं, बस वही गुम हो जाते हैं

13.
हर तरफ़ देखा, कोहरा ही दिखा,
सूरज बन कर आ जाओ तुम,
कोहरे की नीरस सफेद चादर हटाओ तुम,
चमक जाए किरणों सा जीवन,
एहसासों की कुछ ऐसी किरणें फैलाओ तुम,
सुना है ब्रहमांड में सूरज बहुत हैं,
मेरे अपने सूरज बन जाओ तुम...

14.
अक्सर देखा है कि,
तुम बहारों की तलाश में रहते हो,
रहते हो फूलों की आस में,
तुम बस हरियाली की फिराक में रहते हो,
कभी देखा नहीं तुमने,
कि किसी बगिया के पत्ते पीले पड़ गए हैं,
तुम तो बस अपने ही हिसाब में रहते हो,
पतझड़ को महसूस तुम क्या करोगे,
तुम तो बस बहारों की तलाश में रहते हो...

15.
अपने पराए के फेर में,
खुद को बेगाना कर दिया,
जिसको अपना मान बैठे थे,
उसी ने कहानी को,
अफसाना कर दिया...

16.
वो देखो समय जा रहा है,
तुम्हे हर पल कुछ सिखा रहा है,
तुम सोचते हो की वक्त बीत रहा है,
मगर बीत रहे हो तुम,
वक्त का पहिया तो बस,
चलता ही जा रहा है...