सतरंगी तितली DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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सतरंगी तितली

सतरंगी तितली

कार्तिक स्कूली जात रहलन। रस्ते में एक ठे प्लास्टिक के बोतल पड़ल रहल। ओके गोड़े से मारत जाए लगन। ओनकर बहिन काजल ओन्हे खीचन के कहनी, "हाली- हाली चला तोहरे कारण रोज स्कूली मे देर होवेला।" कार्तिक स्कूलीया में कक्षा दूइ में पढ़न अउर ओनकर बहिन काजल कक्षा पाँच में पढ़ेनी।
कार्तिक हर चीज के बारे में जानल चाहेन। तितलियन से उनके बहुत लगाव हव। जहाँ तितली देखलन ओकरे पीछे-पीछे दौड़े लागेन।
आज स्कूलीया में जहाँ फूलवा लगल ह, उहाँ एकगो सतरंगी तितली एहर बीच रोज देखाले। कार्तिक क कुल ध्यान उही तितलिये पर रहेला।
बहिन जी कक्षा में पढ़ावत हइन, पर कार्तिक क ध्यान उही तितलियन में हउवे। कार्तिक उ तीतलीइन के देखे में खोवल हउवें। मैडम जी जोर से बोलनी, "कार्तिक! तोहार ध्यान केहर हव।"
झट से कार्तिक श्यामपट्ट पर लिखल शब्द उतारे लगन। बिचवा-विचवा में मैंडम जी क नजर बचाके तितलियों के देख लेत रहलन।
घन्टी बजल बहिन जी कक्षा से जाये लगनी, कार्तिक उनके लगे जाय के पानी पीये क छुट्टी मँगन। अउर छुट्टी पउते पहुँच गइन फूल क क्यारी के लग्गे उ सतरंगी तितलिया पकड़े।
धडाम....... इका भइल कार्तिक तितली पकड़े जइसे कूदन तितली उड़ गइल। क्यारी के इटवा से अरुझी के कार्तिक गिर गइन, फूल क डरियो टूट गइल। ओहर से सर जी आवत रहन झट से कार्तिक के उठइन कार्तिक क हाथ छिला गइल रहल। ओपर दवाई लगउन और कार्तिक क दीदी के बला के सहेजलन।
स्कूली क छुट्टी हो गइल कार्तिक अपने दीदी काजल के संगे घरे जात रहन। फिर देखन के उहे सतरंगी तितलिया फूलवा पर बइठल बा। वही के विषयीपर सोचत घर पहुँचन।
माई राति के सुतावत के ओनकर चोट देख के समझावे लगनी,"बाबू! तु काहे एतना शरारत करेला।" कार्तिक के फिर तीतलीयन क प्याद आवे लगल ओके सोचत सूत गइन।
अचानक कार्तिक के बड़ी धीरे- धीरे केह बोलावे लगल-, "कार्तिक!.....ए कार्तिक! कार्तिक! देखत हउन ओनके उह सतरंगी तितली बोलावत। ह उ बहुत बड़ लगत ह। तु हमनी के संग खेलबा त आवा।" कार्तिक कुछ समझतन ओकरे पहिले ओनकर हाथ पकड़े के तितलीया एक फूल के बागिया में उड़ गइल, उहाँ बड़ा-बड़ा फूल क पौधा, फूल और तितली रहनी। तितली एक-दूसरे के हाथ पकड़ के गोल गोल घूमत रहनी।
कार्तिक के अचानक फूलवा के डरिया पर एगो चमकत चीज कार्तिक के देखाइल, सतरंगी तितली इ का ह कार्तिक पूछन,
"इ तितली! क अंडा कह सकेला, वैसे एके प्यूपा कहल जाला।" तबसे एगो डारी पर हरियर क किरोना नियर रेगत देखायल। "अरे इ का ह? इ हम तितली के बचपन का रूप हैं! ए के इल्ली कहाला, इही से बढ़कर किशिम-किशिम क तितली हो जानी।"
कार्तिक सतरंगी के संगे आगे बढ़न त उहे स्कूलिया क उ फूलवा उह टूटल डरिया देखाइल। डरिया पर एगो प्यूपा अउर एगो मरल इल्ली पर चपकल रहल । कार्तिक बहुत ध्यान से ओके देखले लगन।
सतरंगी तितली दुखी होइके बोलनी, "देखा? आज तोहरे कारन एगो तितली क जीवन खतम हो गयल और चुप हो गइन। फिर बोलनी अगर तू लोगन अइसन करवा त हमहन क संसार खतम हो जाइ। तब कइसे तितली देखबा?"
कार्तिक घबरा गइन बोललन ना। "सतरंगी तितली अब अइसन न करब।" कार्तिक जोर-जोर से चिल्लाये लगन।
ओनकर माई उनके झकझोर के जगउनी का भयल बचवा सपना देखत रहला का, कार्तिक चौउक के अपने चारो ओर देखेंखे लग न।
सवेर हो गयल रहल। कार्तिक अपने चारों ओर देखे लगन। तितली के बात उनके याद हो गयल रहल और तितली का जन्म कैसे होला? उहो जान गयल रहलन।

संस्कार सन्देश :-
कहानी से बच्चन के तितलीइन के जीवन चक्र के बारे जानकारी होई । आस-पास क पक्षियन क सुरक्षा के भावना का विकास होई।