खत लिखने की ख्वाहिश DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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खत लिखने की ख्वाहिश

1.
खत लिखने की ख्वाहिश थी मेरी ।
ना कलम ने साथ दिया ना शब्दों ने शमां बांधा ।

2.
कभी फुरसत में अपनी कमियों पर गौर करना
दूसरों का आईना बनने की ख्वाहिश मिट जाएगी

3.
फ़ैसला लिखा हुआ रखा है पहले से खिलाफ़।
आप क्या खाक अदालत में सफाई देंगे।।

4.
सच्चा व्यक्ति ना ही आस्तिक होता है ना नास्तिक,
बल्कि सच्चा व्यक्ति हर समय वास्तविक होता है।

5.
यह जिंदगी है कई रंग दिखाएगी
कभी हसाए कभी रुलाई कि यदि
खामोशी से सह जाओगे तो तू निखर जाओगे
यदि भावनाओ में बह गए तो बिखर जाओगे।
जो आसानी से मिल जाए
वह हमेशा साथ नहीं रहता
और जो हमेशा साथ रहता है
वह आसानी से नहीं मिलता।

6.
इतिहास के हर पन्ने पर लिखा है,
दोस्ती कभी बड़ी नही होती,
बल्कि दोस्ती निभाने वाले हमेशा बड़े होते है।

7.
कामयाब इंसान खुश
रहे ना रहे,
खुश रहने वाला इंसान कामयाब
जरूर हो जाता हैं

8.
अहँकार की
बस एक ख़राबी हैं...!

ये कभी आपको
महसूस ही
नहीं होने देता के
आप ग़लत हैं...

9.
बहुत तेज़ दिमाग चाहिए,

गलतियाँ निकालने के लिए लेकिन

एक सुंदर दिल होना चाहिए

गलतियाँ कबूल करने के लिए॥

10.
लिखी नहीं मुद्दत से कोई नज्म कलम ने,
डर है कोई न बेंच दे मेरे ग़म बाज़ार में।।

11.
ऐ... मौसम...
चाहे तू जितना भी बदल ले
इंसान से ज्यादा बदलने का हुनर
तेरे पास नहीं है...!

12.
ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा
ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा

अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना तेरा
सब ने जाना जो पता एक ने जाना तेरा

तू जो ऐ ज़ुल्फ़ परेशान रहा करती है
किस के उजड़े हुए दिल में है ठिकाना तेरा

आरज़ू ही न रही सुबह की मुझको
शामे गुरब त है अजब वक़्त सुहाना तेरा

ये समझकर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा है
काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा

ऐ दिले शेफ़्ता में आग लगाने वाले
रंग लाया है ये लाखे का जमाना तेरा

तू ख़ुदा तो नहीं ऐ नासहे नादाँ मेरा
क्या ख़ता की जो कहा मैंने न माना तेरा

रंज क्या वस्ले अदू का जो तअल्लुक़ ही नहीं
मुझको वल्लाह हँसाता है रुलाना तेरा

तर्के आदत से मुझे नींद नहीं आने की
कहीं नीचा न हो ऐ गौर सिरहाना तेरा

मैं जो कहता हूँ उठाए हैं बहुत रंजेफ़िराक़
वो ये कहते हैं बड़ा दिल है तवाना तेरा

बज़्मे दुश्मन से तुझे कौन उठा सकता है
इक क़यामत का उठाना है उठाना तेरा

अपनी आँखों में अभी कून्द गई बिजली- सी
हम न समझे के ये आना है या जाना तेरा

यूँ वो क्या आएगा फ़र्ते नज़ाकत से यहाँ
सख्त दुश्वार है धोके में भी आना तेरा

दाग़ को यूँ वो मिटाते हैं, ये फ़रमाते हैं
तू बदल डाल, हुआ नाम पुराना तेरा

13.
इस अदा से वो जफ़ा करते हैं
कोई जाने कि वफ़ा करते हैं

हमको छोड़ोगे तो पछताओगे
हँसने वालों से हँसा करते हैं

ये बताता नहीं कोई मुझको
दिल जो आ जाए तो क्या करते हैं

हुस्न का हक़ नहीं रहता बाक़ी
हर अदा में वो अदा करते हैं

किस क़दर हैं तेरी आँखे बेबाक
इन से फ़ित्ने भी हया करते हैं

इस लिए दिल को लगा रक्खा है
इस में दिल को लगा रक्खा है

'दाग़' तू देख तो क्या होता है
जब्र पर जब्र किया करते हैं