हमदर्दियाँ DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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हमदर्दियाँ

1.
पहचान नहीं करनी पड़ती, घटिया लोगों की
वक्त आने पर ये खुद अपनी पहचान करवा देते है ।।

2.
दूरियों में ही परखे जाते है रिश्ते
वरना "आंखों" के सामने तो सभी वफादार होते है।।

3.
हमदर्दियाँ फिजूल है दिल टूटने के बाद...
वो खैरात दे रहे है हमें लूटने के बाद...

4.
वाजिब है तुम्हारा मुझे ना समझ पाना
मैं अल्फाजों और एहसासों से आगे की बात हूं!!

5.
जीवन में वही असफल होते हैं,
जो सोचते तो बहुत कुछ हैं,
लेकिन करते कुछ भी नहीं।

6.
वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए,
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें...

7.
मोहब्बत की भी
अजीब कहानी है,
जहर पिया मीरा ने,
फिर भी राधा ही दिल की रानी हैं।

8.
अंदर से तो कब के मर चुके है हम,
लोगो को सबूतो की जरूरत है...!!

9.
"उदास है दिल कुछ बातों से,
कैसे खेल लेते है लोग जज्बातों से...!!"

10.
कभी - कभी शब्द नहीं होते, तकलीफ बताने को
बस दिल करता, कही सुनसान में खो जाए

11.
मोहब्बत ही ऐसा खेल है...
जो सिख जाता है वह हार जाता है...

12.
अकेलापन वादियों में नहीं शहरों में पलता है।
खालीपन तन्हाई तक नहीं, महफ़िलों तक खलता है!

13.
ओस की बूंदे है, आंख में नमी है, ना उपर आसमां है ना नीचे जमीन है ये कैसा मोड है जिन्‍दगी का जो लोग खास है उन्ही की कमी हैं

14.
फूल और दिल दोनों एक से है,
तकलीफ दो तो मुरझा जाते है,

15.
ना जाने कितने ही लोग अकेले होने के डर से
गलत लोगो के साथ बंधे रहते हैं,

16.
अहसास सच्चे हों वही काफी है
यकीन तो लोग सच पर भी नहीं करते है

17.
बड़े बेताब थे वो हमसे मोहब्बत करने​ को,
जब हमने कर ली तो उनके शौक बदल गए...

18.
कभी - कभी गम इतना अपना लगता है,
कि
हर कोई पराया लगने लगता है...

19.
बड़े महंगे पड़े सब रिश्ते!
अपना अपना कहकर ज़िन्दगी तबाह कर गए!

20.
रूह को भी मरने की जरूरत है,
दर्द इस क़दर बढ़ गया है...

21.
बड़ा तड़पा है दिल,
तब जाकर संभला है दिल...

22.
असलियत देख कर शरीफों की...
मुझे गुनाहगार होने पे गुरुर आता है...

23.
औरत चाहना और औरत को चाहना,
दोनों में जरुरत और मोहब्बत का फर्क होता है...

24.
ज़ालिम होने के लिए थोड़ा और हुनर तराशिये,
यूँ फ़ौरन जवाब देना तो दिल का नर्म होना हुआ...

25.
*आत्मसम्मान पर लगी ठेस इंसान का...*
*वर्तमान और भविष्य दोनों बदल देती हैं ।।*

26.
पता नहीं प्यार का नाम प्यार किसने रख दिया
बेजजती रखना चाहिए था क्योंकि प्यार में सिर्फ बेज्जती मिलती है प्यार तो कभी मिलता ही नहीं

27.
ख़ामोशी खा गई जज़्बात मेरे,
शोर पूछता रहा माज़रा क्या है...

28.
तुम्हारे वास्ते रखे हैं हमने दो तोहफे...
दिल इबादत के लिए और जान इंतेहा के लिये...

29.
मेरी खामोशियों का लिहाज़ कीजिये,
लफ़्ज़ आप से बर्दाश्त नही होंगें...

30.
एक साथ चार कंधे देखकर जहन में आया,
एक ही काफी था गर जीते जी मिला होता।

31.
जिंदगी के बारे में बस… इतना ही लिख पाया हूँ,
बहुत मजबूत रिश्ते थे, बहुत कमजोर लोगों से...

32.
जिसने सारी जिंदगी खुद को जला कर लोगों को रोशनी दी...
उसी को ही लोग मेंटल कह्ते हैं...

33.
लगी है शर्त मेरी आज फिर ज़माने से।
रोक सकता है मुझे कौन मुस्कुराने से।।

34.
कुछ पन्ने क्या फटे...!!
जिन्दगी की किताब के...!!
ज़माने ने समझा हमारा दौर ही बदल गया...!!