अनजान दर्द DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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अनजान दर्द

1.
ज़िंदगी सँवारने के लिये
तो सारी ज़िन्दगी पड़ी है
चलो वो लम्हा सँवार लेते है
जहाँ आज ज़िंदगी खड़ी है

2.
रूह की सुंदरता का अहसास,
आंखो से नही दिल से कीजिये...!

3.
अकड़ उन लोगों
के लिए रखिए,
जो आपकी नम्रता को
नौटंकी बताते हैं।

4.
शब्दो मे लिखना आसान नही
वो मेरा हिस्सा है दास्तान नही,

5.
जब कोई पुरुष किसी स्त्री से प्यार करता है
तो अपनी थोड़ी सी ख़ुशी ही देता है
लेकिन जब कोई स्त्री प्यार करती है
तो सबकुछ न्योछावर कर देती है।

6.
ज़िंदगी यूँही बहुत कम है मोहब्बत के लिए
रूठ कर वक़्त गँवाने की ज़रूरत क्या है

7.
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको
यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है

8.
रिश्ते जितने सुनहरे होते हैं,
दर्द भी उतने ही गहरे होते हैं...

9.
माना ट्रेंन मुशफिर को प्यार नही देती
पर मंजिल आने पर उन्हे जरूर उतार देती हैं

10.
स्त्री को मोहब्बत कर ने में देर लगती है
क्यूंकि वो वफा को पहले और मोहब्बत को बाद में रखती है

11.
एक स्त्री और पुरुष की सच्ची मित्रता
किसी शक की मोहताज नही होती...

12.
ये भ्रम था की सारा बाग़ अपना है
पर तूफान के बाद पता चला...
की सूखे पत्तों पे भी हक…
बेरहम हवाओ का था

13.
साथ तो ज़िंदगी भी छोड़ देती है...
फिर इंसान क्या चीज है...

14.
मैने सीखा नही मिन्नतें करना...
जो खफा हो, वो ज़िंदगी से दफा हो...

15.
उदास लम्हों में न जाने क्यों...
बेवफा लोग बहुत याद आते है...!!

16.
खूबसूरत होना ज़रूरी नही है,
किसी के लिए ज़रूरी होना खूबसूरत है...!

17.
"दिमाग"से बनाये हुए "रिश्ते"
बाजार तक चलते है, और
"दिल" से बनाये "रिश्ते"
आखरी सांस तक

18.
शीशा और पत्थर संग संग रहे तो बात नही घबराने की...
शर्त इतनी है कि बस दोनों ज़िद ना करे टकराने की...

19.
बहुत जरूरी है पैसा कमाना क्योंकि...
आजकल दिल नही औकात देखता है जमाना...

20.
बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो।
टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से,
टूट जाए पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो॥

21.
तकलीफों को भुलाया जा सकता है...
तकलीफ देने वाले को नही...!!

22.
मुझे वहाँ से पढ़िए...
जहाँ से मैं खामोश हूँ...

23.
मोहल्ले की मोहब्बत का अजीब फ़साना है चार
घर की दूरी है और बीच में सारा ज़माना है...

24.
कहती है ये दुनिया खुशनसीब हमें,
मगर इस नसीब की दास्तां किसे सुनाए।

25.
मैं ख़ास तो नहीं
सम्पूर्णता का लिबास पहने हुए...
अधूरापन हूं...

26.
"मुझे पसंद है मेरा अकेलापन
जिसका एक - एक कतरा तुझसे भरा है"

27.
मुझको पसन्द है,
पढ़ना अक्सर खुद को ही...
एक किताब है जो,
मुझमें ही कहीं सफ़र करती है...

28.
संघर्ष की रात भले ही लंबी और अंधेरी हो
लेकिन सफलता की प्रकाशित सुबह आती जरूर है...!!

29.
प्रेम का अर्थ किसी को पाना नही...
बल्कि किसी में खो जाना है...

30.
नज़रों में इज्ज़त और बोलने में
लिहाज़ न हो तो वो रिश्ते टूट जाते है,

31.
बादशाहों के फेंके सिक्के ना लिए,
मैंने खैरात भी माँगी है तो खुद्दारी से...

32.
पाप शरीर नहीं करता विचार करते हैं
और गंगा विचारों को नहीं शरीर को धोती है

33.
तुम न साथ होते, हम किसे भला खोते
हर ग़म अज़ीज़ है अब इस तन्हाई का

34.
बेशक ख्वाहिश चांद की रखो,
मगर कुबूल उसके दाग़ भी करे,

35.
बदलते तो सभी है
कुछ अच्छे वक्त पर
तो कुछ बुरे वक्त पर