1.
वो अनिवार्य थी
छोड़ी न गई
मैं विकल्प था
खाली छोड़ा गया
2.
अंदाजा मेरी मोहब्बत का सब लगा लेते है
जब तुम्हारा नाम सुन कर में मुस्कुरा देता हूं!
3.
बंद लिफाफे में रखी चिट्ठी सी है ये जिंदगी !!
पता नहीं अगले ही पल कौन सा पैगाम ले आये !!
4.
मैंने आयी हुई हंसी से कल
फिर तेरा हाल चाल पूछ लिया
5.
तुम्हारा इस कदर असर हुआ है मुझ पर
आजकल बिना वजह मुस्कुराने लगती हूं मै...
6.
समंदर जिगर में
फिर भी अतृप्त प्यास है...
क्यूँ तड़फ प्रेम की
अद्धभुत अहसास है...
7.
धमक कहीं हो लरज़ती हैं खिड़कियाँ मेरी
घटा कहीं हो टपकता है साएबान मेरा ।
8.
फुरसत में वक्त देना तो आसान है,
बात तो तब हैं...
जब उसे
खुद के लिए भी फुर्सत ना हो
और वो हमें वक्त दे...!
9.
उसे शब्दो मे लिखना, आसान नही
वो मेरा हिस्सा है, दास्तान नही,
10.
वनवास तो
ख़त्म हो
भी जाते हैं
पर कहाँ
ख़त्म होती हैं
अग्निपरीक्षायें...!!
11.
जल्दबाज हूँ लेकिन यकीन मानो
तुमारे ख्वाब बहुत तस्सली से देखती हूंँ मैं
12.
मैंने भी देखने की हद कर दी...
वो भी तस्वीर से निकल आया...!!
13.
स्त्रियों के मन में क्या चल रहा है
इस बात को देवता भी नहीं समझ सकते...
हम सब तो इंसान हैं।
14.
सुनो ना... इश्क़ जाहिर करुँ या...
बिखरी हुई ख़ुश्बू से पहचान लोगे...
15.
वक़्त चाहे कैसा भी हो तुम अपना ख्याल रखना
तुमसे बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं है मेरे लिए ...
16.
मोहब्बत करोगे तो जानोगे
किश्तों मे जीना किसे कहते है
17.
सदियों पुराने कृष्ण पर है आज की मीरा फिदा
बताओ जरा इश्क ने कब इज्जत की उम्र की।
18.
अधूरी सी कहानी दिल की, और पूरा प्यार तुम हो...
गीली पलकों की नमी, और बेरहम याद तुम हो...
19.
हसरत है कि उनको करीब से देखें
करीब हो तो आँखे उठायें नहीं जाती
20.
गणित पढ़ते - पढ़ते तो बरसों गुजर गए
तेरे आंखों में जो देखा तो पता चला सब शून्य है!
21.
नही जानती कितना प्यार करती हूं तुझे
बस रो देती हू तुझे याद करते करते
22.
आँखों में नींद है ज़रा सी ...
और ज़ेहन में तुम हो बहुत से ...!
23.
मैंने पाई बस एक तेरी ही गली
जहाँ मेरी ख्वाहिशें मुझे मुस्कुराती मिलीं।
24.
मन की व्यथा
आपकी सोच से अधिक
आप से प्रेम करती हूँ...!
25.
मुद्दतों बाद उठाए थे पुराने काग़ज़ !!
साथ तेरे मिरी तस्वीर निकल आई है !!
26.
रंग और नूर से रंगीन कायनात सारी है
पर मेरी ज़िंदगी का रंग तो मुस्कान तुम्हारी हैं...
27.
तुम तख्तनशी होकर भी फिरते हो परेशां
हम ख़ाकनशी होकर सदा हंस के जिए हैं
28.
संसार की...
सारी घड़ियों से परे...
दो लोगों के बीच...
ठहरा हुआ वक्त ही "प्रेम" है...
29.
इक उम्र अपने बेटों को उंगली थमाई फिर
बूढ़े बाप ने एक दुकान से लाठी खरीद ली
30.
गुलाब की खुशबू भी फीकी लगती है,
कौन सी खूशबू मुझमें बसा गए हो तुम,
जिंदगी है क्या तेरी चाहत के सिवा,
ये कैसा ख्वाब हमें दिखा गए हो तुम।
31.
फुलों से ज्यादा सुगंधित है तेरी यादें
जिसकी सुगंध नित्य दिन बढ़ती जाती है
जो ना कभी मुरझाती है और ना टूट कर बिखरती है
बिखेरती है सदा खुशबू मेरे इर्द - गिर्द
जैसे कि तुम्हारी सदैव, संग मेरे उपस्थिति हो
32.
कोई मेरा अपना है
पराया सा. . . . . . .