कुछ बातें (दिल को सुकून) DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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कुछ बातें (दिल को सुकून)

1.
उसके चेहरे को तुमने ठीक से देखा ही नहीं
पांच झीलों के बराबर तो फक्त आंखें हैं

2.
मैंने कहीं कोई मन्नत का धागा नहीं बांधा है...
बस तुम्हारे हृदय की दहलीज पर अपना मन बांधा है...

3.
सुनो जाना
तुम्हें पसंद लब्ज मेरे
मेरे लब्जों को तुम,

4.
अगर मैं रूठ जाऊं तो उसकी साँसे रुकने सी लगती है,
पसंदीदा स्त्री पुरुषों के लिए ऑक्सीजन सी होती है...!

5.
इश्क में नामकरण का मज़ा भी अलग है
वो जिस नाम से भी बुलायें अच्छा लगता है...!

6.
छोटी - छोटी बातें ही मायने रखती है
बड़े - बड़े वादे नहीं...

7.
वो ख़्वाब हो जो पूरा ना हो सका
फिर भी मुझे वही तेरा ख्वाब चाहिए

8.
फिजाएँ गवाह है मेरे इश़्क की
चारों दिशा इस झंकार से झंकृत हो रही हैं

9.
उसे बोलो न - वो बेपरवाह ही रहे
हम बिना दस्तक के आये थे,
बिना आहट के चले जायेंगे...
10.
युं तो रौनके गुलज़ार थी महफिल उस रोज़ हसीन चेहरों से
जाने कैसे उस पर्दानशी की मासूमियत पर हमारी धड़कनें आ गई

11.
है इश्क तो फिर असर भी होगा,
जितना है इधर, उधर भी होगा ...

12.
इश्क़ नाज़ुक - मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता

13.
मुझे तुमसे नहीं
तुम्हारे मोह से मुक्त होना है...
ताकि मैं तुमसे...,
और अधिक प्रेम कर सकूँ...
बिना किसी उम्मीद के
बिना किसी शिकायतों के...

14.
तुम्हीं गवाह, तुम्हीं वकील, जज भी तुम्हीं हो...
इश्क़ की सजा दो ऐसी कि उम्र गुज़र जाए साथ

15.
आँखों का रंग ढूँढा हैं हीरे तलाश कर
दिल में सजायेंगे ये रंग यूँ ही उम्र भर
मुश्किल से ज़िंदगी के, रंग हाथ आये हैं,
आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं

16.
सुनो साहिबा
उसने पूछा...
सात जन्म तक साथ दोगे न मेरा
हम ने कहा मियाद तुम तय करो,
हम सिर्फ मोहब्बत करेंगे...

17.
एक "जुगनू" बहुत "प्यासा" था, अंधेरा "पी" गया
एक "नदी" इतना "रोई" कि "समंदर" हो गई,

18.
मेरी हर दुआ में उसका नाम होना...
शायद काफी है, इसे इश्क कहना...

19.
जो, भाग्य में है वो तो! मिलेगा ही...
लेकिन, जो हृदय में है उसका क्या...?

20.
एक तुम हो
जो हर किसी की नज़र में हो
एक मैं हूं जिसकी
हर नज़र में सिर्फ तुम हो

21.
भरी रहे अभी आँखों में उस के नाम की नींद
वो ख़्वाब है तो यूँ ही देखने से गुज़रेगा,

22.
बताना मत किसी को कि मैं तुम्हारे लिए रोया था
लोगो में ये अफ़वाह है की मैं आज तक रोया नहीं

23.
प्रेम का एक छोर होता है दूसरा कहीं नहीं होता
प्रेम प्रारम्भ होता है मगर समाप्त कभी नहीं होता

24.
मैं अपनी वसीयत में तुम्हारे लिए...
अपना प्रेम लिख कर जाउंगी...

25.
खुसुर - फुसुर लम्हें करते हैं बीते कल की बातें
पुर्ज़ा - पुर्ज़ा दिन बिखरे हैं, रेशा - रेशा रातें...!!

26.
जो, भाग्य में है वो तो! मिलेगा ही...
लेकिन, जो हृदय में है उसका क्या...?

27.
"रोशन है तेरे दम से मेरे इश्क़ का जहां"
"जो बात तुझमें है वो किसी और में कहां"

28.
हर रोज तुझे लिखते हैं थोड़ा - थोड़ा,
ना जाने क्यों, फिर भी रह जाता है तू अधूरा।

29.
कुछ बातें,
दिल को सुकून देती है...
तेरा जिक्र
उन सबमें सबसे पहले आता है...!

30.
जिनके स्पर्श से स्वयम से प्रेम हो जाये
तुम उसी स्पर्श की पराकाष्ठा हो...