बड़े अजनबी से लगते हो DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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बड़े अजनबी से लगते हो

1.
मेरी रूह तरसती है
तेरी खुसबू के लिए

कहीं और जो महको
तो बुरा लगता है

2.
फूल रस्मों की खातिर न लाइये...

फूल खिल जायेंगे बस आप आ जाईये...

3.
बहुत हुई ये तारीफ़े.. तुम छोड़ो अब
पहले इतना बताओ

क्या दिल की धड़कन मेरा नाम लेती ?
सुना सको तो सुनाओ..

4.
अफ़सोस ये नही है के, मेरे नही हो तुम,

मलाल बस यही है, कह रहे नही हो तुम।

5.
हमें वो हमीं से जुदा कर गया
बड़ा ज़ुल्म इस मेहरबानी में था

6.
तुम पूछ लो खैरियत अगर
इशारों इशारों में

गजब का हो जाएगा
वो नज़ारा हज़ार नज़ारों में...!!

7.
फासले बहुत है हमारे दरमियान,

पर इतना भी नहीं की
नजर बंद करू
और वो नजर न आये।

8.
उन्हें शक है कि हम उनके लिए जान नहीं दे सकते,

पर हमें ये डर है कि वो रोएंगे हमें आजमाने के बाद ...

9.
लाजिमी है तुम्हारा मगरूर होना...

आखिर दीदार की ख्वाहिश...
हमनें जो की है... ¡¡

10.
एक बार देख लूँ जी भर कर तुम्हे...

तो इन आंखों की कर्जदार हो जाऊँ...
उम्र भर के लिए...!

11.
अब तो यादें तेरी बातें भी तेरी मिज़ाज़-ए-हाल क्या है l

सनम मुझे तो हो गया है तुझसे इश्क़ मेरा इलाज़ क्या है...

12.
कभी देखा है पर्वत सा तुम्हे तनते हुए,
और कभी टूट कर बिखरते हुए देखा है
कभी देखा है गरजते हुए बादल से तुम्हे,
और कभी सावन सा बरसते हुए देखा है

देखा है मोहब्बत से सराबोर तुम्हे और,
कभी नफरत का सैलाब लिए देखा है
हमने तुम्हे हर रंग हर रूप में है देखा
मौसम की हर छांव हर धूप में देखा है

फिर भी कई बार बड़े अजनबी से लगते हो,
लगता है कि जैसे पहली बार तुम्हे देखा है।

13.
लफ्ज़ों की चाशनी है अपनी जगह मगर...
वफ़ा के बगैर मोहब्बत फिजूल है...!!

14.
गुजरती रहती है लम्हे दर लम्हे,
ज़िन्दगी यूं तो,
तुम्हारा ज़िक्र कर के वक़्त को,
थामा है कई बार...

15.
इश्क के बाजार में हुस्न और उम्र की जरूरत नहीं होती,

दिल जिस पर आ जाए, वही सबसे हसीन होता है...

16.
अभी तो सिर्फ...
चंद लफ्जों में...!!
समेटा है तुम्हें...

अभी तो मेरी...
किताबों मै तेरा...
जिक्र होना बाकी है...!!

17.
हमने भी रखा है इश्क का व्रत

खोलेंगे तो बस तेरे ही दीदार से

18.
जहां अपनी मुहब्बत का सदा आबाद रखना तुम

जिसे अपना कहो उसका हृदय दिलशाद रखना तुम

19.
यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहा,

कि तेरे करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल में !

20.
एक उम्र गुज़र जाती है दर्द को अल्फ़ाज़ देने में...!

महबूब गवां देने से कोई शायर नही बन जाता.…!!

21.
तुम्हें एहसास नही तुम क्या हो मेरे लिए,

पहले प्यार, फिर आदत, और अब जिंदगी !

22.
उम्र भर की सारी ग़ज़लें एक इंसान पे वारेंगे...

बूढ़े होकर धीमें लहजे में तेरा नाम पुकारेंगे...

23.
फिक्र की रात इबादत भला कौन करें
तुमसे मिलने की चाहत भला कौन करें

देखूं तुमको तो ख्वाब से क्यों लगते हो
बुत को छूकर शरारत भला कौन करें

अब तो गजलों से ही काम चलता है
लिखूं खत तो हिफाजत भला कौन करें

मुझको तारीखों से ना मिलती मोहलत है
चाहते हैं रिहाई जमानत भला कौन करें

24.
बेपरवाह इश्क के, बस इतने ही फ़साने हैं...

ताल्लुक नहीं रखते जो, हम उनके ही दीवाने हैं...