सनम मुझे तो हो गया है तुझसे इश्क़ मेरा इलाज़ क्या है...
12.
कभी देखा है पर्वत सा तुम्हे तनते हुए,
और कभी टूट कर बिखरते हुए देखा है
कभी देखा है गरजते हुए बादल से तुम्हे,
और कभी सावन सा बरसते हुए देखा है
देखा है मोहब्बत से सराबोर तुम्हे और,
कभी नफरत का सैलाब लिए देखा है
हमने तुम्हे हर रंग हर रूप में है देखा
मौसम की हर छांव हर धूप में देखा है
फिर भी कई बार बड़े अजनबी से लगते हो,
लगता है कि जैसे पहली बार तुम्हे देखा है।
13.
लफ्ज़ों की चाशनी है अपनी जगह मगर...
वफ़ा के बगैर मोहब्बत फिजूल है...!!
14.
गुजरती रहती है लम्हे दर लम्हे,
ज़िन्दगी यूं तो,
तुम्हारा ज़िक्र कर के वक़्त को,
थामा है कई बार...
15.
इश्क के बाजार में हुस्न और उम्र की जरूरत नहीं होती,
दिल जिस पर आ जाए, वही सबसे हसीन होता है...
16.
अभी तो सिर्फ...
चंद लफ्जों में...!!
समेटा है तुम्हें...
अभी तो मेरी...
किताबों मै तेरा...
जिक्र होना बाकी है...!!
17.
हमने भी रखा है इश्क का व्रत
खोलेंगे तो बस तेरे ही दीदार से
18.
जहां अपनी मुहब्बत का सदा आबाद रखना तुम
जिसे अपना कहो उसका हृदय दिलशाद रखना तुम
19.
यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहा,
कि तेरे करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल में !
20.
एक उम्र गुज़र जाती है दर्द को अल्फ़ाज़ देने में...!
महबूब गवां देने से कोई शायर नही बन जाता.…!!
21.
तुम्हें एहसास नही तुम क्या हो मेरे लिए,
पहले प्यार, फिर आदत, और अब जिंदगी !
22.
उम्र भर की सारी ग़ज़लें एक इंसान पे वारेंगे...
बूढ़े होकर धीमें लहजे में तेरा नाम पुकारेंगे...
23.
फिक्र की रात इबादत भला कौन करें
तुमसे मिलने की चाहत भला कौन करें
देखूं तुमको तो ख्वाब से क्यों लगते हो
बुत को छूकर शरारत भला कौन करें
अब तो गजलों से ही काम चलता है
लिखूं खत तो हिफाजत भला कौन करें
मुझको तारीखों से ना मिलती मोहलत है
चाहते हैं रिहाई जमानत भला कौन करें
24.
बेपरवाह इश्क के, बस इतने ही फ़साने हैं...
ताल्लुक नहीं रखते जो, हम उनके ही दीवाने हैं...