मुलाकात (तड़प बिछोह की) DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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मुलाकात (तड़प बिछोह की)

1.
ज़िंदगी की हर सुबह की पहली किरण हो तुम,
बीते लम्हों की हर याद का सहारा हो तुम।
दिल में बसी है तुम्हारी मिठास का ख्वाब,
मेरी हर खुशी का सच्चा इज़हार हो तुम।।

2.
इस दिल का एक कहा मानो एक काम कर दो,
एक बेनाम सी मोहब्बत मेरे नाम कर दो।
मेरे ऊपर एक छोटा सा एहसान कर दो,
एक सुबह को मिलो और शाम कर दो।।

3.
आरजू होनी चाहिए किसी को याद करने की,
लम्हे अपने आप मिल जाते है।
कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को,
याद वही आते है जो उड़ जाते है।।

4.
लिखने की चाहत फिर से ले आती है तेरे करीब...!
लफ़्ज़ों की तलाश ढूंढ लेती है पता तेरा...!!

5.
मुझे कागज़ क़लम दे दो ज़रा हालात लिखने दो
छिपे हैं दिल में जो मेरे वो सब जज़्बात लिखने दो

6.
मैंने कहीं कोई मन्नत का धागा नहीं बांधा है...
बस तुम्हारे हृदय की दहलीज पर अपना मन बांधा है...!

7.
मेरी जिंदगी का सबसे खुबसूरत
किरदार हो तुम...!
वो जो आखिरी में मिल जाता है न
हां वही वाला प्यार हो तुम...!!

8.
हम तुमको निगाहों में इस तरह छुपा लेंगे
हम तुमको निगाहों में इस तरह छुपा लेंगे
तुम चाहे बचो जितना हम तुमको चुरा लेंगे हो...

9.
गिले शिकवों का हिसाब लगाकर बैठे थे
वो झुमका पहन कर आये और हम सब भूल गए

10.
है इश्क तो फिर असर भी होगा,
जितना है इधर, उधर भी होगा...

11.
“रिश्तों को जेबों में नहीं दिलों में रखिए हुज़ूर,
वक़्त से शातिर कोई जेबकतरा नहीं होता...!"

12.
किसी के इजहार से #किनारा नही करते
जो बीत गया उसे सोचकर नही डरते
क्या पता कोई नायाब मोती मिल जाए
चुपचाप दिल में बसा लो इशारा नही करते

13.
जिद मोतियों की होती है
बिखर जाने की,
हम तो धागा हैं तुमको पिरो के रखेंगे,
अपनी मोहब्बत में...

14.
तुम्हारे ख्याल भर से
फिजा का यूँ रंगीन हो जाना ,
महज ये इत्तफाक नही है
सबूते इश्क है

15.
कोई सबूत नहीं है मेरे पास
तेरी मोहब्बत का ...!
बस तेरा नाम सुनते ही
धड़कने बढ़ जाती है...!!

16.
तमन्ना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ,
ये मौसम भी बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ।

17.
वो सुबह कैसी जिसमे, तुम्हारा नाम न हो मेरे सनम
बिना तुम्हारी पूजा किए, कभी मेरी शाम न हो
मेरे रोम रोम में बसी हो तुम मेरी आंखों में
वो पलके ही क्या मेरे सनम
जिसमे तुम्हारी याद आए और वो नम न हो

18.
एक लहर तेरे खयालों की
मेरे जिस्म को भीगो जाती है
एक बूंद तेरी याद की मुझे
इश्क के दरिया मे डूबो जाती है
तू कौन है पता नही पर तेरे होने की
खुशबू मुझे कुछ खास बना जाती है

19.
मुझसे बिछड़कर,
मेरी ही तलाश करना...
ऐ साहिब ये ठीक नही...!

20.
हमें तो आदत है सब से प्यार से बात करने की,
कोई उसे मोहब्बत समझे तो इसमें हमारा क्या कसूर...!

21.
निगाहें मिल जाती हैं तो
इश्क़ हो जाता है,
पलकें उठें तो
इज़हार हो जाता है।
ना जाने क्या नशा है
मोहब्बत में दोस्तों,
कोई अंजान भी
ज़िन्दगी का हक़दार
बन जाता।।

22.
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है,
प्रेम आहिस्ता सरकता है और उम्र भर टिकता है...

23.
उनका शौक़ हैं मोहब्बत के अल्फ़ाज़ पढ़ना...!
और मेरी तलब हैं उन्हें देखकर मोहब्बत लिखना...!!

24.
मोहब्बत की किताब में ऐ दिल, सारी तेरी ही आयतें हैं !
एक इश्क ही लिखा है अधूरा सा, बाकी सब तेरी ही शिकायतें हैं !!