1.
बिना उम्मीद के प्रेम करो एक दूसरे से जनाब...!
क्या पता एक दिन इश्क़ मुक्कमल हो जाए...!!
2.
यूँ तो उल्फत के तकाज़े बहुत,
एक वो ज़ालिम बहुत,
एक हम ज़िद्दी बहुत...
3.
जुल्फें हैं आज बगावत पर मेरी
तुम्हारे हाथों से संवरने की जिद्द है इन की
4.
मेरी ऋतुएं निर्भर है तुम पर ही ...
तुम्हारे साथ ही है जीवन बसंत मेरा ...
5.
एक इल्जाम तेरे भी सर लग जाए...!
तू नजर भर के देख ले और मुझे तेरी नजर लग जाए...!!
6.
जमाने भर की रुसवाईयाँ और बेचैन रातें...!
ऐ दिल कुछ तो बता दे ये माजरा क्या है...!!
7.
“कितनी बेचैनियाँ है
ज़हन में तुझे लेकर,
पर तुझ सा सुकून भी कहीं
और नहीं मिलता...!”
8.
इश्क मे चेहरे हसीन हो ही जाते है...!
बावले है वो जो आईने पे गौर फरमाते है...!!
9.
कोई काँटा न हो गुलाबों में
ऐसा मुमकिन है सिर्फ़ ख़्वाबों में...।
दिल को कैसे क़रार आता है,
ये लिखा ही नहीं किताबों में...।।
10.
खुशबू का बाजार है
हम को याद रखियेगा
मोहब्बत से अपनी हमे
आबाद रखियेगा
आदत ना लगाना कभी
सुकून - ए - शाद की
तुम हमे अपने हसीन
खयालों में गुलाब सा रखियेगा...
11.
गिरफ़्त अच्छी नहीं
फड़फड़ाते रिश्तों की !
वक़्त रहते आज़ाद करना
भी इश्क़ है !!
12.
इश्क़ की अलग फितरत... अलग रीत है,
जैसे गज़ल ग़ालिब की और गाते जगजीत है
13.
मुझे वो शे'र कहने है
जिन में दिल धड़कते हो
मैं नकली फूल आंगन में
कभी भी बो नहीं सकती ...
14.
मैं तेरी आरज़ू की नुमाइश क्यों करूँ,
मैं तेरे ख़्यालों की पैमाइश क्यों करूँ।
जब शमा जल रही है - इन्तिज़ार की -
मैं ज़िन्दगी में ग़ैर की ख़्वाहिश क्यों करूँ।
15.
दिल तो टूटना ही था
चाय वाले जो... इश्क़
कॉफी वालो से जो कर बैठे
16.
ना अनजान बनिए, किसी को बरबाद करके
चोरी चैन की करेंगे, आपको भी नींद ना आएगी...
17.
ना सुबह के सुकूँ मे ना रात के चैन मे
मै चाहती हूँ...!
मैं रहूँ तुम्हारे साथ हर तपती दोपहर मे...!!
18.
उसने पूछा कि विरासत में क्या चाहिए
हमने कहाँ दिल की हर धड़कन !!
19.
अब किसी गैर का कब्ज़ा है उनकी बाहों पर,
यानी बेघर हैं हम अपना मकान होते हुए,
20.
अच्छा हुआ तुम किसी और के हो गए ।
चलो खत्म हुई फिक्र तुम्हें अपना बनाने की !!
21.
मुहब्बत खुदा की नेमत है,
मगर मुहब्बत तुम से जुदा है !
मुहब्बत एक इल्तिजा है,
पाक दामन हो तो, भी बेवफ़ा है ।
22.
मौत की तारीफ़ अब नहीं करेंगे हम ।
तड़पता हुआ देखना है तुम्हें गैर के लिए !!
23.
"मेरे मन - मृग में,
उनके प्यार की कस्तूरी है,
इसकी सुगंध में भटकते हुए,
हो गई मेरी ख़ुद से ख़ुद की दूरी है..."
24.
हमारी बेताबी का जिक्र ना कर,
आंखों की नमी अभी गयी नहीं...
मौसम है बदल ही जायेगें,
वक्त सा कोई शिला नहीं...
प्यार का नशा तो कुछ बेमानी है,
कौन सा ऐसा नशा है जो उतरा नहीं...
अजब सी बेरुखी छाई थी उनके मिजाज में,
जैसे मेरी चाहतों से रुबरु वो कभी हुआ ही नहीं...
लाख वो दूर रहें...
कभी वो दिल से दूर हुआ ही नहीं...!
25.
बड़ी नादानी से पूछा उसने
क्या अच्छा लगता है...!
हमने भी धीऱे से कह दिया
एक झलक आपकी...!!