अनचाहा बन्धन (नफरत से मोहब्बत तक) DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा बन्धन (नफरत से मोहब्बत तक)

1.
तुम आये तो मेरे इश्क मे
अब बरकत होने लगी है

चुपचाप रहता था दिल मेरा
अब हरकत होने लगी है

2.
ज़रूरी तो नही...
सब कुछ हासिल हो ही जाये,

कुछ लोग ना मिल कर भी...
दिल में आखिरी सांस तक धड़कते है,

3.
बाकी है मुझ में
तू कहीं...
आज मगर मैं हूँ कहीं
और तुम ना जाने और कहीं...
वो दिन बिछड़े थे हम...
वो लम्हें जब लड़ाई थीं हुई...
आज अलग है हम - तुम...
तुम हो गये हो गुम...
और मैं हैरानी में गुमसुम...

4.
शायद मिलना हमारा
तकदीर में लिखा ही नहीं
इसलिए तुम ने कभी बताया नहीं
और हम ने कभी जताया नहीं।

5.
यहां खंजर वाले तो मुफ्त मे बदनाम होते हैं...!

ये हसीनों का शहर है अदाओं से कत्लेआम होते है...!!

6.
किस - किस ख्याल को दिल से

जुदा करूं -

मेरे हर इक ख्याल में बस

तेरा और तेरा ख्याल है

7.
जो रहते है दिलो में !
वो रिश्ते जुदा नहीं होते !!

कुछ ऐसे भी अल्फ़ाज़ होते है
जो लफ़्ज़ों में बयां नहीं होते

8.
गर जिंदगी ... मुशायरा होती ...
और तू होता कलाम मेरा ...

लफ्ज़ - लफ्ज़ ... होता नज़्म मेरा ...
गजलों में छुपा होता ... नाम मेरा ...

9.
मोहब्बत तो बस एक एहसास है

जिससे हो जाए बस फिर वही खास है

10.
अखियों को रहने दे
अखियों के आसपास -

दूर से
दिल की
बुझती रहे प्यास -

11.
"क्या फ़र्क पड़ता है कि ... कौन तुम्हें पढता है,

तुम्हारी गहराइयों की हर ख़बर तो तुझ में, डूबने वाला ही रख सकता है"

12.
तुमसे मिलने की तम्मन्ना और तेरा ख़याल

उलझा - उलझा सा मैं अज़ीब सा है हाल

13.
कहते हैं... हाथों की... लकीरें अधूरी हाे तो...
- किस्मत में -
माेहब्बत नहीं हाेती...

पर सच तो ये हैं कि... हाथाें में हाे काेई प्यारा हाथ...
- तो लकीराें की भी -
जरूरत नहीं हाेती...

14.
जो खामोशी न समझे
उससे प्यार क्या करना और
जो समझ ले उससे
इजहार क्या करना !

15.
प्यार को कब तक छुपाएं हम
कब तक कहें तेरे दर पर
बस यूँ ही आये हम
कैसे कहें नहीं रोक पाते खुद को

संग तेरे जो निभाई थी प्रीत
उसे कैसे भूल जाएं हम

तूने तो बदल ली राहें अपनी
राहें अपनी चाह कर भी
बदल न पाए हम

16.
ये कौन सा खुमार है,
तू आदतों में शुमार है

यूं तो खुद के नहीं हम,
पर तू मुझमें बेशुमार है

17.
मै दौड़ - दौड़ के खुद को पकड़ के लाता हूँ

तुम्हारे इश्क ने बच्चा बना दिया है मुझे

18.
मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं...
तेरी सूरत के सिवा...
मुझे कुछ याद नहीं...
मैं गुलाब हूं तेरे गुलशन का...
तेरी शिबाए...
मुझ पर किसी का हक नहीं...

19.
कुछ इस तरह सलीके से मुहब्बत का इज़हार किया
देकर गुलाब बरसों तक इक हां का इंतज़ार किया

20.
इक शाम दो चांद
इक फलक इक जमी पर ।

21.
तुमको देखूं या तुमसे बात करू,
कश्मकश में हूं, कैसे शुरुआत करू...!

22.
मंजूर है मुझे ...
तेरी यादों के साथ
ता'उम्र तन्हा रहना

मगर ग़वारा नहीं
इश्क़ की राह में
किसी औऱ को हमसफ़र चुन'ना...!!

23.
हर शख़्स निगाहों में प्यार लिए रहता है
हर वक़्त ख़्यालों में ख़ुमार लिए रहता है,

जब ख़ुद को हारता है
बे-दर्द दुनिया में दिल में जख़्मों का बाज़ार लिए रहता हैं।

24.
दिल के राज को हमदम अभी दिल मे ही रहने दो
प्रेम के सागर को बिन शोर किए चुपचाप बहने दो
जिन बातों का है अर्थ नही क्युं व्यर्थ कहें हम तुम
शब्द को खो जाने दो आज केवल मौन को कहने दो