कुछ रंग प्यार का (एक मोहब्बत ऐसी भी) DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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कुछ रंग प्यार का (एक मोहब्बत ऐसी भी)

1.
आंखों में आज भी रहती नमी है,
साथ सब हैं मगर
भीड़ में भी तुम्हारी कमी है।

चेहरे पर मुस्कुराहट दिखती है
माथे की सिलवटों में
दिखती कहानी तेरी है।

वक्त गुजरता रहा भले लेकिन
यादें आज भी मेरी वहीं थमीं हैं।

अब तो रूह भी कहती है
जिस्म तो है मगर
धड़कनों में तुम्हारी कमी है।

2.
कभी मिलेंगे
कहीं मिलेंगे

नही खबर
कहां मिलेंगे

जहां रब की मर्जी होगी
वहां जाकर हम मिलेंगे

शायद इस जहां में नही
किसी और जहां में मिलेंगे

पर जब भी हम
मिलेंगे एक दूसरे से

एक दूसरे के लिए ..
किसी तोहफे से कम नही होंगे हम !

3.
कहाँ लिख पाया कोई कवि
दिन भर कविताएं

क्या गा पाया कोई गायक
पूरा दिन गीत

फूल भी तो नहीं बिखेर पाता
पूरे दिन सुगंध

पक्षी भी निश्चित अवधि
तक उडान भरते हैं

किन्तु हाँ

अकेला मैं ही हूँ प्रिये
प्रेम मे डूब समस्त
दिन तुम्हें
सोचता हूं

4.
तेज हवाओं ने पेडों,
के पत्ते,
सभी झिंझोड दिए...!

और ! नदी ने घाटों,
के रिश्ते,
चुप्पी से जोड़ दिए...!

मेरे गीत ना कह पाए,
के कितना,
तुम्हें हम चाहते हैं!

बस, कुमकुम के निशाँ,
तेरी आत्मा,
की चौखट पे छोड़ दिए...!

5.
कभी ठहरो मेरे पास
मेरी तन्हाई का हमसाया बनो

देखो मुझे तारो को गिनते हुए
चाँद से बाते करते
सबसे छिपकर रोते हुए

मेरी आँखो मे मिल जायेगा
एक वीरान दुनिया का पता
उदास दिलों का घर
और मिलेगा तुम्हे मेरे दुखो का कमरा

कभी आओ
हाथों मे प्यार का गुलाब लिए और
खोल दो वह कमरा

कर सकोगी इतना?

6.
भटक रहा मृग वो,
यहां - वहां...
जिसके
घट मे कस्तूरी है!

खुद से तुम तक,
पहुंच सकूं...
सुख
से इतनी से दूरी है!

समझौतों से दुनिया,
तो ये मिल...
जाती,
पर तुम ही कहो!

तुम्हें भूल कर जीना,
हो तो प्रिये~
जीना
कहाँ जरूरी है!

7.
सुनो साहिबा...

ये दहकता हुआ हुस्न ये अदाएं
ये मुस्कुराहट और ये मस्त निगाहें

आप नक़ाब ओढ़ लीजिये
कहीं हम उजड़ ना जाएँ…

8.
प्रीत की निभाऊं
वो रीत हो
तुम ही मेरी
मनमीत हो
सजे प्रणय की
धड़कनों का
एक मात्र तुम ही
तो गीत हो
कैसे बताऊं ये कि
समाई हो तुम
हर सांस में
तुम बसी हो
दिल में मेरे
हो हर एक
आभास में
उम्मीद का
दिया हो
तुम अंधेरी रात में...

9.
ये ज़मीं,
ये आसमाँ गवाही देंगे कल की

बताएंगे तुम्हें,
हमने तुम्हें याद नहीं किया किस पल

को गवाही देंगे कल की

ये जमीं, ये आसमां

10.
बेसब्र
बेसबब
बेहद
अलहदा है
मेरा इश्क ए अंदाज ...

तेरे
लबों पर
टपकूंगा ...
आहिस्ता से
दिल में
उतर जाऊंगा ...

सिंचूंगा
अपने प्रेम से
तुम्हारी अतृप्त भूमि ...

प्रस्फुटित
होंगी फिर
तुम्हारे उर में
प्रेम के कोमल नवांकुर ...

11.
मेरी कौन हो तुम ?

एहसास हो तुम उस प्रेम का,
जो उपजता है पहली बार,
नाजुक से ह्रदय में...

स्पर्श हो तुम उस स्नेह का,
जो महसूस होता है,
किसी अपने के कंधे पर,
सिर रखने में...

प्रतीक्षा हो तुम उस मिलन रात की,
जो दुल्हन सजाती है
अपने स्वप्नों में, अपने ह्रदय में...

12.
मेरे लिए क्या गलत है
क्या सही है
तुम खुद ही सोच लिया करो
मैं नाउम्मीद हूँ फिर भी
मेरे लिए सपने
तुम ही बन लिया करो
मैं तुम्हारी आँखों का
इशारा तक समझ लेता हूँ
कभी कभी तुम भी
मेरी खामोशियाँ सुन लिया करो
आओ मिलकर
नई शुरुवात करें
जब कभी हार हो मेरी
उसे जीत में बदल दिया करो

13.
न इनसे न उनसे पूछा दिल ने जो चाहा
हर पहलू में तुहि बसे बस दिल से चाहा ...!!

असर खूब रही पसंद दिल में होले से आया
उनके पहलू में बीत रहा पहर मन से चाहा ...!!

समर्पण की भाव अर्पण सब कर आया
जिसे चुना हर बार उनसे मिलने को चाहा ...!!