प्यार के पंछी DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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प्यार के पंछी

1.
मेरा प्यार ...
रोज ब रोज
बढ़ता ही
जा रहा है ...

उसे मालूम
है जबकि ...
तुम मेरी हो
नही सकती ...

फिर भी ...
हर हद को
पार कर ...
बेहद हो
रहा है ...

जैसे मेरे ...
सांसों की डोर
तुमसे बंधी हो ...

और ये ..
तुम बिन
टूट जाएगी ...
धड़कन
थम जाएगी ...

फिर भी ...
बेइंतेहा प्यार
किए जा रहा ...

2.
क्यूंकि, तुम मेरी सोच मे हो ...
कोई और तुम्हे सोचे गंवारा नही ...

क्यूंकि, मैं तुम्हे चाहता हूं ...
कोई और तुम्हे चाहे गंवारा नही ...

क्यूंकि, तुम मेरी आईना हो ...
कोई और तुम्हे देखे गंवारा नही ...

क्यूंकि, तुम मेरी दुआओं में हो ...
कोई और तुम्हे मांगे ये गंवारा नही ...

3.
यू सरे आम भरी महफिल में
तुम मुझे आवाज न देना
बंधा हु तुम्हारे प्रेम बंधन में
बस खामोशी से देखते रहना

न करना किसी से मेरी बाते
न करना हर रोज मुलाकाते
में ही तुमको हर पर याद कर लूंगा
ख्यालों तुमसे तुम्हारी बातें कर लूंगा

4.
मन की मंजूषा,
मे
चाहत के...
कुछ हीरे बजते हैं!

तन्हाई मे सुनना,
इनको
ये जरा...
धीरे - धीरे बजते हैं!

तुम्हें देख कर उठे,
मचल
कुछ सपने...
यों दो आंखों मे!

ज्यों पूजा के समय,
कहीं
खड़ताल...
मँजीरे बजते हैं!

5.
बिछड़ना तो कोई भी नही चाहता,
लेकिन जब बिन मौसम पतझर का आता है
हरेभरे वृक्ष पर भी सन्नाटा छा जाता है।

खो देने के बाद ही अहसास होता है,
जब हर मौसम उदासियों का मौसम नज़र आता है।

अब हर तरफ ख़ामोशी का सन्नाटा है
खुशियां खामोशियों में गुम होकर
अपने आज को ही अब भुला बैठा है।

6.
इक सपना कभी
संजोया,
जो सांसों...
को सौरभ देता है!

हौले से नाम लिया
तुमने,
बस वही...
संबोधन सुख सच्चा है!

इस धरती से उस
अम्बर मे,
हर तरफ
प्रिये तुम ही तुम हो!

विश्वास तुम्हारा
साथ रहे,
सदा, बस...
इतनी "लक्ष्य" की इच्छा है!

7.
जब सूखे ठूंठ की तरह
सजीवता खो रहा हो मेरा जीवन,
और उदासियों की दीमक
जर्जर कर रहीं हो मेरी आत्मा!

तब,
तुम उगना
रंग बिरंगी फूलों की बेल बन,
और लिपट कर मुझसे
ढक देना मेरा सूनापन!

जैसे भूल कर अपना आस्तित्व
लिपट जाती है,
किसी ठूंठ से कोई बेल पूरी तरह!

8.
कुछ गहरा सा लिखना था
इश्क से ज्यादा क्या लिखूँ?

कुछ सदियों सा लिखना था
तुम्हारी यादों से ज्यादा क्या लिखूँ?

कुछ अपना सा लिखना था
तेरे सपनों से ज्यादा क्या लिखूँ?

कुछ अहसास सा लिखना था
तेरी मुस्कान से ज्यादा क्या लिखूँ?

सुनो
अब जिन्दगी लिखनी है
तुमसे ज्यादा क्या लिखू?

9.
एक और दर्द सिने,
में छूपाये बैठा हूं,

ए मेरे मोहब्बत तुझे पाने,
की ज़िद कीए बैठा हूं,

ये कच्चा धागा,
नहीं है प्रेम का,

ये सांसों से दिल,
का रिश्ता है,

आकर सिमट जाओ तुम,
दिलों दिमाग में इस तरह,

हा तुझे पाने की ज़िद
कीये बैठा हूं।

10.
जिसे मैं चाहूं उसे
मेरा होना ही होगा ...!

मैं नही कभी
प्यार मांगूंगा ...

उसे मुझे प्यार
करना ही होगा ...!

इतनी शिद्दत से
मैं उसे चाहूंगा ...
की मेरे बाद भी
उसकी नजर बस
मुझे ढूंढेगी ...

पर मैं इस जहां
में नही होऊंगा ...!

11.
हँसते चेहरे के पीछे दर्द गहरे लिए
जी रहा हूँ खुद को सबसे छुपाए बताऊँ कैसे,

इस दर्द का मर्म न कोई जान सका
ना पूछा कभी किसी ने ना कोई समझ सका,

आदत बन गयी मुखौटे लगा हरदम मुस्कुराने की
बढ़ते - बढ़ते हँसती आँखों का घाव गहराता गया !!