एहसास (दिल से दिल तक) DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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एहसास (दिल से दिल तक)

1.
एक पल के लिए ही सही
नज़र तो मिला...
भर लूं तुझे निगाहों में

एक पल करीब आओ
जी भर देखें तुझे
भर लें बेचैन बाहों में...

आ जाएगी जान निर्जीव तन में भी
छू ले तू किसी बहाने से...

ठहर तो जा एक पल
ए जिंदगी कि

चली जाए ना जां कहीं
तेरे यूं चले जाने से...

2.
मृगतृष्णा से कुछ रिश्ते
पता ही नहीं चलता
झूठे हैं या हैं सच्चे!
आंखों पर रहती हरदम
भ्रम की चादर धुंधली धुंधली
भ्रम ना टूटे तो
पता ही नहीं चलता
दिल में मैल और चादर उजली!
बीतते वक्त के साथ
हालात जब बदलते हैं
हाथों में लिया हाथ
तब खामोशी से छूटते हैं
बिना बात के भी तब
अपने रूठते हैं

3.
हम दोनों के दरमियाँ
रात दिवाली की है
मगर किस्मत में अँधेरा है
ना चाहते थे गम के बादल
ना आया सवेरा है
जुदा हमारा होना
यूँ लिखा लकीरो में था मगर
इस में कसूर
अए सनम
ना तेरा ना मेरा हैं…

4.
भावनाएं जुड़ गईं हैं तुमसे अजनबी
लगाव की पीड़ा आंखों में लाती नमी।
कभी जो मिल गए अचानक राहों में
लग कर गले रो पड़ेंगे सिमटे हुए बांहों में।
पूछते रहना तुम फिर हर घड़ी
"कुछ तो बता, क्या बात हैं" ऐ अजनबी!
चाह कर भी सच न कह पाएंगे
पोंछ कर ख़ुद के दामन से आंसु मुस्कुराएंगे।

5.
तुमको सांसों की तरह
महसूस किया है हमने
तुमको बचपन की तरह
भरपूर जिया है हमने
हर सांस में पिरोया है
तुम्हारी यादों को हमने
हमने धड़कन की तरह
मन बांध लिया है तुमसे
अये दिल तू ही बता
सोचकर हमको
तुझसे दूर जाऊं तो जाऊं कैसे
दिल तो मेरा है मगर
इसमें धड़कनें तुम्हारी है...

6.
तेरे बाद
खुद को बहुत संभाला
मन को बहुत समझाया
धीरज धराया
इधर उधर मन को लगाया
मन ने मुझे
बहुत भटकाया
कहीं चैन न आया
खुद का ही सुकून गंवाया
कुछ भी हाथ न आया
दूर तुझसे क्या हुए
ना खुद से बल्कि
हो गए सारी दुनियां से दूर
हुए इतना मजबूर
फिर फिर से तेरी यादों के पास
लॉकर आया

7.
तुझे बिछड़ जाने पर
तेरे बाद भी
इश्क़ का दस्तूर
निभाया हमने
पूरी कायनात में
तेरे सिवा
कुछ और ना
नज़र आया हमें
सारे जज़्बात
सारा वक्त हरदम
तेरे साथ ही
बिताया हमने
तेरी सलामती के लिए
दिन रात दुआओं के लिए
हाथ उठाया हमने...

8.
रोशनी भी होगी
होंगे चिराग भी
आवाज़ भी होगी
होंगे साज़ भी
चांद भी होगा
होंगे तारे गवाह भी
पर ना होगी तेरी परछाई
ना तेरी आहट
ना तेरा साथ
ना तेरी मोहक मुस्कान
तू शामिल है
उस वजह में
जिसके बिना
बहुत सूनी होगी
बिन तेरे दिवाली
ना मिली गर तुम तो
कैसे मिलेगी
राहत मेरे दिल को...

9.
मेरे पास
तुम्हे कहने के लिए
कुछ नही है
सिवाय प्यार के
फिर भी
एक चाह है मेरे अंतर्मन में
एक दिन
मैं तुम्हे सब कुछ कहकर
निःशब्द हो जाऊं
तुम बन जाओ
मेरे मन की आवाज
मेरी जिंदगी का साज़
मेरी जिंदगी का गीत
होंठों से नहीं मगर
किए बिना कोई आवाज
दिल में
दिल से
तुझको मैं गुनगुनाऊं

10.
मैं प्रतीक्षा करूंगा तुम्हारी...
हड्डियों के गल जाने तक...
धमनियों के शुष्क हो जाने तक...
-रक्त कणिकाओं के जम जाने तक...
ह्रदय के अन्तिम स्पंदन तक...
तुम आओगी न-?

11.
तू मेरे हाथो की लकीरों में तो
नहीं लिखी थी
मुझे तो तू आंखों की
नमी में मिली
मिली भी तो ऐसे कि
हर वक़्त मुझको
तेरा ही बना रहता है खुमार
बना रहता तेरा ही सुरुर
हर वक़्त तेरा ही छाया रहता बुखार ...

12.
जब छोड़ दिया है तो अब मेरा ज़िक्र मत कर,

मैं जिस हाल में हूं ठीक हूं तू फ़िक्र मत कर,

अब छोड़ दे तन्हा तू मुझे मेरे हाल पर,

तू देकर दर्द अब हमदर्द बनने की कोशिश मत कर