मोहब्बत (एक खुबसूरत एहसास) DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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मोहब्बत (एक खुबसूरत एहसास)

1.
कोहरे की धुंध में
कहीं तुम्हारी यादें खो तो नहीं गयी हैं
मैं मौसम बदलने की प्रतिक्षा कर रहा हूँ।

बाट जोह रहा हूँ
कि कब धूप निकले और तुम अपनी
वही पुरानी चमक बरकरार रखते हुए
मेरे पास दौड़ी चली आओ।

तुम्हारी एक झलक मिले तो फिर
प्यार का नया मौसम शुरू हो।

2.
ओस की बूंद से
खूबसूरत लम्हें
आए थे ज़िन्दगी में
आ गए और
यादें अनगिनत देकर
चले गए पलभर में
जब भी याद आते हैं
वो शबनमी लम्हें
मीठी सी चुभन दिल को
हमारे हो जाती हैं...
हमारे एहसास की बातें
कोई और क्या जान पाएगा...

3.
होती होगीं...
हजारों लोगों की लाखों ख्वाहिशें
और
लाखों ख्वाहिशों की करोड़ों ख्वाहिशें
पर
मेरी सिर्फ एक ही ख्वाहिश है
और वो हो तुम
तेरे साथ जिंदगी बिताने की ख्वाहिश।
मेरी खुशी ...
मेरा सुकून...
मेरी चेहरे की मुस्कान
सिर्फ तुम हो...
सिर्फ तुम

4.
यूँ लग रहा है
कि तुम
आस - पास ही कही हो
वो तुम ही हो ना ...?
जो दूर होकर भी मेरे पास हो
मुमकिन है कि तुम्हे
इस बात की खबर ही ना हो
कोई माने - ना - माने पर
हकीकत यही है कि
तुम तक ही है मेरे
ख़्वाबों का बसेरा
तुम बिन अब कोई न मेरा
बिन तेरे अब मेरा
कोई वजुद ही नही है...

5.
उदास दिल उलझी ज़िन्दगी
और थके हुए हम
जो गुज़री है हमपर
आखिर कहे भी तो किससे हम
अपनों से रंजिशे किया नहीं करते
गैरों को हम ये हक दिया नहीं करते
निचोड़कर खून दिल से
कर गयी बेजान ये ज़िन्दगी हमें
खत्म हो जाए अब ये यहीं बस
इंतज़ार में बैठे हुए हम हैं

6.
झूठा था ख्वाब रूठा था सपना
ऐसा था ख्वाब दिल दिए अपना ...!

सज सवर आती जस चांद का टुकड़ा
हार बैठा उनपे बेकरारी का सपना ...!

दिलकश अदाएं नजाकत का चिलमन
चिलमन से इशारे हुआ कातिल सपना ...!

7.
वो जो पल मेरे
गुज़रे थे तुम्हारे साथ
काश
वो ज़िन्दगी का
आख़िरी पन्ना होता
जिंदगी में शून्य सी
तुम्हारी रिक्तता न ठहरती
न कोई गम
न कोई दिल में दर्द रहता
समा गए होते
उस काल के गाल में
फिर से नई जिंदगी
लेकर आते
तुम संग पूरी की पूरी
बिताने के लिए...

8.
छाया था घना कोहरा
जिंदगी में
गुमसुम सी गुजर रहा था वक्त
न कोई आस
न कोई प्यास
पर अतृप्त सी जिंदगी में
हुआ एक करिश्मा
अकस्मात हौले से
हुआ तेरा आगमन
खिल उठे मन की बगिया के
सारे सुमन
महक उठा सारा उपवन
यूं ही बिखेरती रहना
सुगंध अपनी
खुद भी महकना
हमें भी महकाए रखना...

9.
ये एक दिन की बात नहीं हमारा राब्ता है सदियों पुराना

ज़िन्दगी के आख़िरी लम्हों तक देखेंगे हम रास्ता तुम्हारा

10.
कुछ दर्द हैं यादों के
जो अब सहा नहीं जाता,

गम ही गम भर गये हैं ज़िंदगी में
जो अब बहाया नहीं जाता,

कई बातें उलझी हैं अतीत के
जो अब किसी से कहा नहीं जाता,

इतने ज़ख़्मी हो गये हैं हालात मेरे
कि अब कुछ समझ नहीं आता !

11.
मुझे पता है
बनकर रह जाओगी
एक अधूरी ख्वाहिश
पर ये दिल है की मानता नहीं
कहने को बहुत कुछ है
मगर चुप हूं
मिलने की तडप है
मगर चुप हूं
पता है मेरी इच्छाओं को बढाकर
तुम पीछे हट जाओगी
मुझे जलाकर...

12.
महकती शाम तेरी यादों को उतार लायी है
जैसे खुशबु तेरे इश्क़ की साथ लाई है...

तेरी मुहब्बत मे बिखरा पड़ा है वज़ूद मेरा
जैसे हर अहसास तेरा मेरे अल्फाज़ों
मे उतार लाई है...

सफ़र इश्क़ का बेतरतीब सा उलझा हुआ है
हज़ारों ज़वाब हैं फ़िर भी सवाल लाई है...