इश्क (एक प्यारा सा एहसास) DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क (एक प्यारा सा एहसास)

1.
जख्म है कि दिखते नहीं
मगर ये मत समझना कि दुखते नहीं

तेरे बिना जीये जा रहे है
माफ करदो वो गुनाह
जो हम किए जा रहे है
उम्मीद है दिलबर तू आएगी
इस लिए साँस लिए जा रहे है...

2.
क्या करोगी अब
मेरे पास आकर

खो दिया तुमने मुझको
बार - बार आजमा कर...!

बोला था तुम्हे मत जाओ
यूं तन्हा छोड़ कर

क्या मिला तुम्हे
मेरा दिल दुखा कर....!!

3.
ये बात हमारे इश्क़ की
किसी को न बताना तुम

लग जाती है नज़र ज़माने की
अपनी सखियों से बचाना तुम

कितना गहरा है ये रिश्ता
इसकी खबर बस हमें रहे

देख लो अगर आईना अकेले में
तो खुद से भी छुपाना तुम ।

4.
उसे याद करना उसे लिखना फिर उसे मिटाना...!
ये कैसा इश्क़ है जो कभी पूरा ना हुआ...!!

5.
कभी हुआ करता था
महकता चमन जीवन मेरा
आज विलुप्त सारी खुशियाँ
यादें मिटती नहीं
विलुप्त हैं मन ही में
आसर काफी गहरा उन दिनों का
भरते नहीं ज़ख़्म भी मेरे
उन पर पहरा उन दिनों का हैं
देखकर कोई महकता चमन
हरा हो जाते हैं
इस दिल के ज़ख़्म...

6.
मेरे प्रेम की बस
इतनी सी हैं कहानी
लकीरें मेरे हाथों की
जा मिली लकीरों से उनकी
जीवन हैं वही
ज़िन्दगानी भी वही
बिन उनके अधूरी
हर खुशी मेरी
मौसम चाहे जो हो
उनके साथ होने से
जीवन में
बहार छायी रहती
मौसम बहार का
दूर होता नहीं
कभी हमसे

7.
प्यार के रास्ते भले ही हो
कच्चे पक्के
इरादे दिल के पक्के हो
बोली हो सच्ची
अधरों पर मधुर - मधुर
मुस्कान हो
रिश्ता निभाने की दिल में
हो चाहत
तो हर रिश्ता
शिद्दत से निभाया जाता हैं
इन्तेहा इन्तज़ार की चाहे हो जाए
रिश्ता मुक्कमल होकर रहता हैं...

8.
तेरी गलियाँ आज भी वैसे ही
घर, मकान, पेड़, पौधे वैसे ही
बस एक कमी है ...
जब गुजरता तेरे गलियाँ से
बस तूं नही है ...
रह जाता अनदेखे
जब तुम खिड़कियों से झांकती
चुपके चुपके परदे को हिलती
यही कमी है ...
चले आओ फिर जैसे जहां थी
आऊंगा तूं आ जा बस ...!

9.
खूबसूरत पल जो साथ गुजारे यादें वो बनी
न जाने कब उम्र कर जाए धोखा
ज़िन्दगी के साथ उन यादों को लेकर
अलविदा कर जायेंगे
तेरे ख़्यालों में बसे
खुद को भी कभी न लौटने को...

10.
मुझ में खुशबु बसी उसी की है
जैसे ये जिन्दगी उसी की है
वो कहीं आस - पास है मौजूद
हूबहू ये हंसी उसी की है
खुद हम अपना दिल दुखा रहे हैं
इसमे लेकिन खुशी उसी की है
कोई कमी नहीं है मुझमें
लेकिन कमी बस उसी की है ...

11.
बहुत और बेशुमार कर लिया है
एक बेवफ़ा से प्यार कर लिया है

उम्र गुजरेगी अब खुद को तलाशने में
इतना उसका इंतज़ार कर लिया है

जानें कैसे भरेंगे ये ज़ख्म मालूम नहीं
रूह पे उसकी यादों को सवार कर लिया है

मैं ज़िंदगी भर रहूँगा अब तन्हा ही
खुद को दर्द का जो ख़रीदार कर लिया है

12.
हम भी देखेंगे
तेरी वफ़ा कौन सी है
मरता है सारा ज़माना जिस पर
अदा वो कौन सी है
या तो ठुकरा दे या
अपना बना ले
दोनों में बता
तेरी रज़ा कौन सी है
ये रास्ते सारे ही सारे
जाते तेरी तरफ ही हैं
सुझा वो राह तू ही
जो तुझ तक जाए
डगर वो कौन सी है...

13.
क्या मोहब्बत इसी को कहते है,
याद आता है बेइंतेहा कोई,

14.
कुछ पागल हुए कुछ खामोश हुए कुछ जान से जाते रहे...
ये इश्क करने वाले बस दर्द ही कमाते रहे...