साजन (इक सच्चा साथी) DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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साजन (इक सच्चा साथी)

1.
कैसे उसको भूल पाएंगे
कैसे ख़ुद से हम निभाएंगे

माना मुश्किल है यूँ जीना पर
याद वो हर दम ही आएंगे

खोल दी हैं खिड़कियां मैंने
देर कितना वो लगाएंगे

एक अरसे से हूँ तन्हा मैं
और कितना वो सताएंगे

थक चुकी हैं आँखें मेरी ये
कितना मुझको वो रुलाएंगे

2.
बेरंग सी दुनिया है,

फिर भी जिंदगी रंगीन है,
कुछ पन्ने कोरे ही सही,
कुछ पल जिंदगी के बहुत
हसीन है,
मांगा तो कुछ नही,
कोई आएगा कभी तो एक उमीद है।

3.
आखिर तुम हो क्या?

लबों,की मुस्कान,
या, मीठे दर्द की पहचान,

बंधनों से आजादी,
या, प्रेम का बंधन,

दिल के किताब, में
रखा एक गुलाब,
या, मेरी सुनी रातों का,
एक हसीं ख्वाब,

मेरी आंखों की नींद,
या, मेरी मुस्कान
______________

मेरा प्यार या,
मेरा वहम,

आखिर तुम हो क्या?

4.
ये ईश्क है जनाब
आएगा एक दिन
अचानक से जिंदगी मैं

फिर ताउम्र रहेगा दिल मैं
कभी सुकून बनकर..
कभी दर्द बनकर...

और कभी बहेगा
आखों से अश्क बनकर ...!

5.
जब खामोशी मैं भी मेरी आवाज होगी

तन्हाई मैं सिर्फ
मेरी याद होगी

बस सपनो मैं ही मुझसे मुलाकात होगी

अभी नहीं समझोगी
तुम मेरी अहमियत

तुम्हे मेरी कमी मेरे जाने के बाद होगी ...!

6.
वहां तक साथ देना जहां तक चाह हो
तुमसे जुदा न हो पाऊं सदा दिल के पास हो ...!

हमसफर मेरे राह के सफर में साथ दो
दुनियां के सारे खुशियां धड़कनों के पास हो ...!!

7.
प्रेम से नाराज़ नहीं हूँ मै
बस तरीका बदल लिया है प्रेम का

चुपचाप खामोश बिना बात बिना साथ
बिना कहे बिना सुने बिना देखे बिना सोचे

हर बार तुम्हारे दृष्टिकोण से प्रेम को देखकर
प्रेम से नफरत के उस छोर वापसी की है मैंने

अब ना कुछ शिकायत ना रस्म ना रवायत
ना झूठे वादे ना कस्में ना कोई शिकायत

हां बदल लिया है नज़रिया मैंने प्रेम का
अब साथ नहीं सिर्फ प्रेम होगा प्रेम का

8.
निभा रहे थे रिश्ते
कभी मन से तो कभी बेमन से

फिर हुआ यूं कि
एक दिन हम भी थक गए ...!

9.
तुम्हे याद
करते हुए

रोज एक दिन
नहीं...

रोज़ एक उम्र
बिताता हूं मैं ...!

10.
जब दर्द हद से बढ़ जाएगा... तब
आवाज की खामोशी
आंखों में उतर जाएगी

कान तो शायद
आवाज सुन भी न पाए

पर मेरा दावा है
आवाज की खामोशी... कहीं
दिल में उतर जाएगी

आवाज को खामोश करना
मुमकिन है यहां...

पर आवाज की ख़ामोशी
मन की भीतर बहुत शोर मचाएगी...

11.
तुझमे मैं हूँ, मुझमें है तू
तुझसे मैं हूँ, मुझसे है तू,
मैं खयाल तेरा, मेरा ख्वाब है तू,
तेरे दिल में मैं मेरी, धड़कन में है तू,
तेरे हर पल में मैं, मेरी हर साँस में है तू,
तेरे हर किस्से में मैं... मेरी हर बात में है तू।

12.
उम्र भर ये ख़ुमारी रहेगी
रात हम पे ये तारी रहेगी

छोड़ दी है मोहब्बत मगर ये
आंख अब यूँ हीं ख़ारी रहेगी

मैं करूँ क्या गिला अब किसी से
जंग ख़ुद से ये जारी रहेगी

हमसे है वो ख़फ़ा फिर भी
उनसे क़ायम ये यारी रहेगी

13.
बेशक तुम मुझे भला बुरा कहो
ये तुम्हारा नज़रिया होगा

ये तुम्हारे दिल की नफरत होगी
जिसे तुमने जिंदगी भर जिया होगा

बदल सकता नहीं तेरे नज़रिए को कभी
सोचता हूं तूने जिंदगी मै किसी से
प्यार किया होगा ...!

14.
कितना कठिन है
डुबना उन आखों के समंदर मैं...

जब पता हो,
उस दिल की गहराई मैं
अपने लिए मोहब्बत है ही नहीं ...!