प्यार हुआ चुपके से - भाग 6 Kavita Verma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 6

रति की आंख से उसके मंगलसूत्र पर जैसे ही आंसू की एक बूंद टपकी। वो चौक कर अपने अतीत से बाहर आ गई। उसने अपने मंगलसूत्र को चूमा और बोली- मैं जानती हूं शिव कि आप अपना किया कोई वादा नही तोड़ते। खास तौर से वो वादे जो आपने मुझसे किए हो इसलिए आपको अपने किए वादे निभाने के लिए लौटना होगा। हमारे बच्चे के लिऐ लौटना होगा आपको शिव...शक्ति को उसके किए गुनाहों की सजा दिलवाने के लिए लौटना होगा आपको...... आप शक्ति को यू उसके इरादों में कामयाब नही होने दे सकते। उसे जीतने नही दे सकते...... मां के विश्वास को यू टूटने नही दे सकते आप....इसलिए प्लीज़ लौट आइए शिव।

"रति मैं यही हूं तुम्हारे पास.....हमेशा,"- हॉस्पिटल के बेड पर बेहोश पड़ा शिव बेहोशी की हालत में बड़बड़ाया। उसकी आवाज वही खड़ी एक नर्स के कानों में पड़ी जो दूसरे पेशेंट को देख रही थी। वो तुरंत उसके पास आई तभी शिव फिर से बोला- मैं तुम्हें छोड़कर कही नही जाऊंगा रति। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।

"इसे होश आ रहा है। डॉक्टर को बुलाकर लाती हूं "- नर्स इतना कहकर वहां से चली गई और कुछ देर बाद डॉक्टर को लेकर वापस लौटी। डॉक्टर आते ही तुरन्त शिव की नब्ज़ चेक करने लगे। पास खड़ी नर्स, शिव की ओर देखकर बोली- ये पेशेंट किसी रति का नाम ले रहा था डॉक्टर साहब। मुझे लगता है कि अगर हम उन्हें इनके पास ले आए तो शायद इन्हें होश आ जाए।

"अगर हमें ये पता होता नर्स कि ये कौन है तो अब तक हम इनकी रति को इनके पास ला चुके होते पर अफ़सोस कि हमें इनके बारे में कुछ नही पता। ये कहां से बहकर आया है, कोई नही जानता। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के साथ-साथ गुजरात में भी बहती है इसलिए इसका वजूद पता लगाना इतना आसान नहीं है पर इंस्पेक्टर साहब जल्द ही इनके बारे में पता कर लेंगे। तब तक हमें इन्हें होश में लाने की कोशिश करते रहना होगा।"- डॉक्टर साहब, शिव की आंखें चेक करते हुए बोले।

नर्स ने तुरंत उन्हें एक इंजेक्शन रेडी करके दिया तो वो शिव को इंजेक्शन लगाने लगे। इधर गौरी के हाथ रति के डॉक्यूमेंट्स की फाइल लग गई थी। रति के सारे डॉक्यूमेंट्स उस फाइल में चेक करने के बाद, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उसने दरवाज़े की ओर देखा और बोली- फाइल तो मिल गई पर इसे यहां से लेकर कैसे जाऊं? पायल चाची की नज़रों से बचकर इस फाइल को यहां से ले जाना। मेरे लिऐ थोड़ा मुश्किल होगा।

गौरी अपने होंठो को अपने दांतों के नीचे दबाकर सोच में पड़ गई। तभी उसे कुछ सूझा और वो दौड़ती हुई दरवाज़े के पास आई। उसने दरवाज़े से बाहर झांका तो नीचे लिविंग रूम में पायल रिसीवर हाथों में पकड़े किसी से फोन पर बात कर रही थी। गौरी ने सुकून की सांस ली और वो तेज़ी से रूम में वापस आईं। उसने फाइल में से सारे डॉक्यूमेंटस निकालकर टेबल पर रखे। फिर अपने बैग में से एक रुमाल निकालकर उसने सारे डॉक्यूमेंटस फोल्ड करके उसमें बांध लिए।

फिर वो दौड़ती हुई खिड़की के पास आई। उसने नज़रे घुमाकर बाहर देखा और फिर अपना रुमाल नीचे खड़ी अपनी कार के पास फेंक दिया। कुछ गिरने की आवाज सुनकर अपनी कार की ओर बढ़ रहे शक्ति के कदम रुक गए। उसने तुरंत गौरी की कार की ओर देखा पर उसे कुछ नज़र नही आया पर उसे देखकर ऊपर खिड़की पर खड़ी गौरी की आंखे फटी की फटी रह गई।

तभी शक्ति ने अपनी आंखों पर लगा चश्मा निकाला और ऊपर शिव के कमरे की खिड़की की ओर देखा। उसके देखते ही गौरी तुरंत खिड़की से हट गई और दीवार से सटकर खड़ी हो गई। शक्ति को जब खिड़की पर कोई नज़र नही आया तो वो अपनी कार में बैठकर वहां से चला गया। उसकी गाड़ी के जाने की आवाज सुनकर गौरी ने आंखें बंद करके सुकून की सांस ली।

"क्या हुआ गौरी? इतनी घबराई हुई सी क्यों लग रही हो?"- पायल ने पूछा। उसकी आवाज सुनकर गौरी ने तुरंत अपनी आंखे खोल ली। पायल उसके पास आकर बोली - क्या हुआ? सब ठीक तो है ना?

"हां चाची सब ठीक है"- गौरी मुस्कुराते हुए बोली और उसने टेबल पर रखा अपना बैग उठाकर कन्धे पर टांगा। पायल उसे हैरानी से देखते हुए उसके पास आई। उसने उसके खाली हाथो को देखकर पूछा- तुम तो यहां अपनी कोई फाइल लेने आईं थी ना गौरी? पर खाली हाथ जा रही हो,क्यों? और तुमने अपनी घबराहट की वजह भी अब तक नहीं बताई?

गौरी मासूमियत से बोली- चाची,रति की अलमारी में बहुत सारे कॉकरोज है और मुझे कॉकरोज से बहुत डर लगता है इसलिए मैं अपनी फाइल उसकी अलमारी से नही निकाल पाई। प्लीज़ आप मेरी मदद कर दीजिए ना,

कॉकरोज का नाम सुनते ही पायल की आंखें बड़ी-बड़ी हो गई। वो अलमारी की ओर देखकर बोली- पिछले तीन महीनों में इस कमरे में किरण भाभी और मां के अलावा कोई नही आया इसलिए शायद कॉकरोज हो गए है। मैं नौकरों से कहकर अभी सफाई करवा देती हूं।

इतना कहकर पायल तेज़ी से वहां से चली गई। उसके जाते ही गौरी को हंसी आने लगी। वो हंसते हुए रूम से बाहर जा ही रही थी कि तभी उसकी नज़र, टेबल पर रखी शिव की तस्वीर पर पड़ी। जिसे देखकर उसकी हंसी रुक गईं और उसके चेहरे पर उदासी सी छा गई। उसने तस्वीर टेबल से उठाई और उसे बहुत प्यार से देखने लगी पर जैसे ही उसने तस्वीर को छुआ तो उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।

उसने खुद को संभाला और तस्वीर फिर से टेबल पर रखकर वहां से चली गई। वो शिव के रूम से बाहर आकर कुछ दूर ही चली ही थी कि तभी उसकी नजर शिव की मां के कमरे पर पड़ी। उसके कदम अपने आप रुक गए और वो किरण के कमरे की ओर बढ़ने लगी।

उसने दरवाजे से झांककर देखा तो किरण हाथों में शिव की तस्वीर लिऐ बेसुध सी बैठी थी। गौरी उनके पास जाने के लिऐ आगे बढ़ी ही थी कि अचानक उसे रति के डॉक्यूमेंट्स का ख्याल आया और वो पलटकर दौड़ती हुई सीढ़ियों से नीचे आई।

"आपकी फाइल मिल गई बेटा,"- तुलसी के इतना पूछते ही गौरी के कदम के रुक गए। वो तुलसी के पास आई और उनके गले लगकर बोली- जी दादी,मिल गई। अब मैं चलती हूं.....फिर आऊंगी आपसे मिलने....

तुलसी गौरी के गाल को छूकर मुस्कुराने की कोशिश करते हुए बोली- आती रहा कीजिए बेटा....आप इस घर में आयेगी तो हमें लगेगा कि हमारे बच्चे आज भी हमारे साथ है।

उनकी बाते सुनकर गौरी भी भावुक हो गई। उसने खुद को संभाला और फिर से तुलसी के गले लगकर बोली- जरुर आऊंगी दादी...आप अपना ख्याल रखिएगा।

तुलसी ने आहिस्ता से हां में अपनी गर्दन हिला दी तो गौरी वहां से चली गई। उसके जाते ही तुलसी ने ऊपर किरण के कमरे की ओर देखा और ऊपर जाने लगी। इधर गौरी ने अपनी गाड़ी के पास आते ही रुमाल में बंधे डॉक्यूमेंट्स उठाए और जल्दी से गाड़ी में बैठकर चली गई।

वो गाड़ी ड्राइव करते हुए मन ही मन बोली- डॉक्यूमेंटस तो मिल गए..... अब मुझे रति के फोन का इंतज़ार करना होगा और उस तक ये डॉक्यूमेंटस पहुंचा कर उसकी थोड़ी मदद करनी होगी। ना जाने वो एक अंजान जगह पर कैसे सरवाइव कर रही होगी? मुझे खुद उससे मिलना होगा और उसे मिलकर बताना होगा कि यहां के हालात क्या है।

उसे भी तो पता चले कि शक्ति ....कपूर ग्रुप ऑफ कंपनीज का चेयरमैन बनने जा रहा है। मुझे रति से बात करके शक्ति को चेयरमैन बनने से रोकना होगा पर मुझे एक बात समझ नही आ रही। पापा ने मुझे बताया क्यों नही, कि शक्ति ऑफिस में क्या खेल खेल रहा है? सबसे पहले तो मुझे पापा से ही बात करनी होगी। इतना कहकर गौरी ने अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी।

रात के दस बजने को थे और रति बेड पर लेटी करवटें बदल रही थी। उसने सोने की बहुत कोशिश की पर जब उसे नींद नही आई। तो वो उठकर खिड़की के पास आकर बैठ गई। खिड़की से आ रही सर्द हवा उसे छूने लगी। ठंड का मौसम आने को था इसलिए उसे हवा में ठंडक साफ महसूस हो रही थी पर वो एकटक आसमान में पूरे खिले चांद को देखे जा रही थी।

चांद को देखकर उसे एक बार फिर से शिव की याद आने लगी। चांद में शिव के चेहरे को देखने की कोशिश करते हुऐ। उसने अपनी आंखें बन्द कर ली और एक बार फिर शिव के साथ बिताए लम्हों को जीने लगी। वो हरे रंग की साड़ी पहने स्विमिंग पुल के पास बैठी मुस्कुराते हुए चांद को निहार रही थी और पास ही एक टेबल पर रखे टेप रिकॉर्डर में धीमी-धीमी आवाज में गाना बज रहा था-

हर कसम से बड़ी है कसम प्यार की
हर कसम से बड़ी है कसम प्यार की
मर के भी इस कसम को ना तोड़ेंगे हम

हर कसम से बड़ी है कसम प्यार की
मर के भी इस कसम को ना तोड़ेंगे हम
छोड़ देंगे ज़माने की सारी ख़ुशी
छोड़ देंगे ज़माने की सारी ख़ुशी
साथ तेरा कभी भी ना छोड़ेंगे हम

रति गाने में खोई हुई थी कि तभी अचानक किसी ने आकर स्विमिंग पुल में छलांग लगा दी। रति घबराकर चौंक गई क्योंकि ढेर सारा पानी उसके ऊपर आ गिरा था। जिसकी वजह से वो पूरी तरह से भीग चुकी थी। उसने गुस्से में पानी में देखा तो स्विमिंग पुल में शिव था।

"ये क्या किया आपने शिव? मुझे पूरा गीला कर दिया और वो भी दिसंबर की ठंड में"- रति गुस्से में बोली। रति के ऐसे तेवर देखकर शिव के चेहरे पर तीखी से मुस्कुराहट आ गई। वो पानी में तैरते हुए बोला- पानी में भीगने का असली मजा तो ठंड के मौसम में ही आता है रति,

"अच्छा?? तो आप मजे लीजिए ना?? मुझे क्यों भिगोया आपने??"- रति ने उठकर अपने कपड़े साफ करते हुए पूछा। शिव के चेहरे की मुस्कुराहट और बढ़ गई। वो तैरते हुए उसके पास आया और अपना हाथ रति की ओर बढ़ाकर बोला- अच्छा चलो,अब गुस्सा छोड़ो और मेरा हाथ पकड़कर पानी से बाहर आने में मेरी मदद करो।

रति ने मुंह बनाकर हाथों की घड़ी बांध ली और मुंह फेरकर खड़ी हो गई।

"चलो हाथ पकड़ो मेरा, वरना मुझे जुकाम हो जायेगा और फिर तुम्हें ही सारी रात परेशान होना पड़ेगा। चलो हाथ दो"- शिव हाथ बढ़ाकर फिर से बोला। रति ने उसकी ओर देखा और फिर मुंह बनाकर उसका हाथ पकड़ लिया पर शिव ने उसका हाथ थामते ही उसे भी अपने साथ पानी में खींच लिया।

"शिव"- रति जोर से चीखी। शिव उसे देखकर मुस्कुराने लगा। तभी रति उसे पकड़ते हुए बोली- शिव मुझे बहुत ठंड लग रही है। शिव ने उसे अपनी बांहों में भरा और अपने करीब लाकर बोला- अभी भी ठंड लग रही है?

रति उसे एकटक देखने लगी और शिव उसे....कुछ देर बाद रति ने शर्म से अपनी नज़रे झुका ली और उससे दूर जाने लगी पर शिव फिर से उसे अपने करीब ले आया। रति ने अपने आसपास देखा और खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली- शिव छोड़िए मुझे...अगर घर में किसी ने ऐसे हमें स्विमिंग पुल में साथ देख लिया तो सब मुझसे नाराज़ हो जाएंगे।

"फॉर योर काइंड इनफ्रोमेशन मिसेज शिव कपूर....आज घर में मेरे तुम्हारे और आसमान में चमक रहे चांद के अलावा कोई नहीं है इसलिए आप इस खूबसूरत शाम को बर्बाद नही कर सकती है। समझी आप?"- इतना कहकर शिव, रति को अपने और करीब ले आया। दोनों एक-दूसरे की आंखों में देखने लगे। शिव ने आहिस्ता से हाथ बढ़ाकर उसके चेहरे पर आ रहे भीगे बालों को हटाया और बहुत प्यार से अपनी उंगलियों से उसके चेहरे को छुआ तो रति भी उसे बहुत प्यार से देखने लगी।

शिव उसके होंठों पर किस करने के लिए आगे बढ़ा तो रति ने अपनी आंखें बंद कर ली। उसके आंखें बन्द करते ही शिव ने मुस्कुराते हुऐ उसके चेहरे को देखा और फिर आहिस्ता से उससे दूर हो गया। रति कुछ देर आंखें बंद किए पानी में ऐसे ही खड़ी रही पर फिर उसने अपनी आंखें खोल ली तो उसे शिव कही नजर नही आया। उसने पलटकर देखा तो शिव उसके पीछे अपने हाथों की घड़ी बांधे उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। रति को उस पर बहुत गुस्सा आया।

"शिव बहुत मज़ा आता है ना,आपको ये सब करके? अब मैं आपसे बात ही नही करूंगी।"- रति इतना कहकर गुस्से में पानी से बाहर जाने लगी तभी शिव ने फिर से उसकी बांह पकड़ी और उसे झटके से खींचकर अपने करीब ले आया। रति के भीगे हुए बाल फिर से उसके चेहरे को छूने लगे। शिव ने उसके चेहरे पर आ रहे बालों को हटाया और आसमान में चांद की ओर देखकर बोला- मुझे आज पहली बार इस बात का एहसास हुआ है रति कि मेरे पास,आसमान में चमक रहे उस चांद से भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत चांद है।

रति ने मुस्कुराते हुए उसके गले में अपनी बांहे डाली और बोली- और मुझे भी आज ही पता चला है कि मिस्टर शिव कपूर को ये सब भी आता है।

रति के इतना कहते ही शिव हल्के से मुस्करा दिया। उसकी मुस्कुराहट देखकर रति को हंसी आ गई। शिव ने भी हंसते हुऐ उसे अपनी बांहों में भर लिया तभी टैप रिकॉर्डर में गाना चेंज हो गया-

चांदनी रात है, तू मेरे साथ है
चांदनी रात है, तू मेरे साथ है
कुछ हवा सर्द है, दिल में भी दर्द है
कुछ हवा सर्द है, दिल में भी दर्द है
दर्द बेदर्द है, लब पे कोई बात है

शिव ने रति को अपनी बांहों में उठाया और स्विमिंग पुल से बाहर आने लगा। दोनों गाना सुनते हुए एक-दूसरे की आंखों में खोए हुए थे। शिव ने रति को वही स्विमिंग पुल के पास फर्श पर लेटाया और उसकी आंखो में देखने लगा। वो फिर से रति को किस करने लगा पर रति मुस्कुराते हुए पलट गई और लुढ़कते हुए उसे दूर हो गई। वो उठकर टैप रिकॉर्डर में बज रहे गाने पर उस फिल्म की हिरोइन की तरह स्विमिंग पुल के पास थिरकने लगी। शिव भी मुस्कुराते हुऐ उसे देख रहा था और फिर उसने उसे अपनी बांहों में लिया और उसके साथ थिरकने लगा।

ख़्वाबों ख्यालों में खो गयी हूँ
जागी हैं आँखें मैं सो गयी हूँ
हो ख़्वाबों ख्यालों में खो गयी हूँ
जागी हैं आँखें मैं सो गयी हूँ
बिन तेरे हम-नशि नींद आती नहीं
बिन तेरे हम-नशि नींद आती नहीं
हाल क्या होगा हमारा ये तो शुरुआत है

चांदनी रात है, तू मेरे साथ है
हो चांदनी रात है, तू मेरे साथ है
कुछ हवा सर्द है, दिल में भी दर्द है
कुछ हवा सर्द है, दिल में भी दर्द है
दर्द बेदर्द है, लब पे कोई बात है
चांदनी रात है, हम तेरे साथ है
चांदनी रात है, हम तेरे साथ है

दोनों डांस करते हुऐ एक-दूसरे में खोए हुए थे कि तभी स्विमिंग पुल के पास आते ही रति का पैर फिसला और वो शिव के साथ फिर से स्विमिंग पुल में जा गिरी। जैसे ही दोनों पानी में गिरे तो खिड़की के पास बैठी रति की चौंककर आंखे खुल गई। उसने अपने चारों ओर देखा पर शिव कही नही था। शिव की यादें उसकी आंखों में आसूं ले आई थी।

लेखिका
कविता वर्मा