1. अब पछताये होता का, जब चिड़िया चुग गयी खेत
विशाल और विकास कक्षा पांचवीं में पढ़ते थे । दोनों अच्छे मित्र थे । विकास अपने काम को समय पर पूरा करता था, इसलिए अपने शिक्षकों का भी प्रिय था । विशाल की एक बहुत बुरी आदत थी, हर काम को कल पर टाल देने की । कोई भी काम हो, कहता - "कल कर लूँगा ।" अक्सर इस आदत की वजह से घर और स्कूल में डाँट भी खानी पड़ती । गुरु जी बहुत बार समझा चुके थे, पर विशाल नहीं सुधर रहा था ।
एक दिन विशाल और उसका मित्र विकास स्कूल जा रहे थे । रास्ते में एक खेत देखा, जिसमें गेहूँ की बालियाँ लहलहा रही थीं, लेकिन पूरे खेत में बहुत सारी चिड़ियाँ आराम से बैठकर गेहूँ के दाने खा रही थी । विकास ने विशाल से कहा - "देखो विकास ! ये हमारे पड़ोसी रतन काका का खेत है । उनके घर वाले कब से कह रहे हैं कि खेत की रख वाली के लिए किसी रख वाले को रखें या स्वयं जाकर खेत देख लें, लेकिन रतन काका रोज आज - कल कह कर खेत जाने को टालते रहते हैं । उनके खेत की फसल खूब मजे लेकर चिड़िया खाये जा रही हैं । आखिर कोई दूसरा कब तक रख वाली करे ?"
विशाल ने एक क्षण को ठहर कर उस खेत को देखा और फिर स्कूल चला गया । छुट्टी होने पर सीधा रतन काका के पास गया और बोला - "काका ! आपके लहलहाते खेत की फसल चिड़ियों ने खाकर बर्बाद कर दी । चलकर अपना खेत देखिये ।"
रतन काका लपकते हुए खेत की ओर भागे, लेकिन वहाँ पहुंँचने पर केवल पछतावा ही कर सके । उनको देखकर विशाल ने कहा, "अब पछताये होता का, जब चिड़िया चुग गयी खेत ।" उसने मन ही मन तय किया कि वह अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देगा और समय बर्बाद नहीं करेगा, क्योंकि समय बीत जाने के बाद सिवाय पछतावे के कुछ नहीं हो सकता है । इसलिए प्रत्येक काम को समय पर करना चाहिए ।
संस्कार सन्देश :-
नियत समय की आदत डालो,
काम समय पर ही निपटाओ ।
नहीं मिलेगा समय दोबारा,
व्यर्थ इसे मत कभी गँवाओ ।।
2.
जमाने को क्यों बताऊं
क्या हो तुम मेरे लिए
तुम्हें खामोशी से चाहना
अच्छा लगता है
हम मिलेंगे जरूर
कोरे वादों और
सांत्वना भर से
मन नहीं भरता
दिल की धड़कन और
सांस की लय
टूटने लगती है
संभालूं कितना भी
दिल को अपने
मन नहीं धरता धीरज
बनी रहती बहुत बेचैनी सी ...
3.
कहती थी साजन की सजनी
बनूंगी एक दिन ...!
सोलह श्रंगार मेहंदी हाथों में लगाकर
सजूंगी एक दिन ...!
खामोशी से चली गई वो रुखसत होकर
सजना के घर ...!
दिल टूट गया मेरा ... कहने लगी मुझे
वक्त मिला तो
तुमसे मिलूंगी जरूर एक ...!
4.
मेरे दिल की मजबूरी को
कोई इल्ज़ाम न दे
यादों की शाख से
मुझे जोड़ कर रखना
बेशक गैर समझ
तू मेरा नाम न ले
वहम है तेरा की
भुला दिया तुझे
इक सांस ऐसी नहीं
जो तेरा नाम न ले ...
5.
तुम्हे ज़हां ख़ुशी मिले वहाँ रहो अब तेरे इंतज़ार से
ना जाने क़्युँ अब परेशान हूँ मैं
मेरे दिल ओं दिवार मे कोई दरवाज़ा नही है
जब याद आऊ चली आना तेरे इश्क़ का तलबगार हूँ मैं