तुम बिन जाऊं कहां DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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तुम बिन जाऊं कहां

1.
किस - किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ

2.
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है

3.
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

4.
मेरे दिल ओ दिमाग़ पे छाए हुए हो तुम
ज़र्रे को आफ़्ताब बनाए हुए हो तुम

5.
मुझ को अक्सर उदास करती है
एक तस्वीर मुस्कुराती हुई

6.
ख़ामुशी तेरी मिरी जान लिए लेती है
अपनी तस्वीर से बाहर तुझे आना होगा

7.
ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता
मैं तुझ से जुदा हो के भी तन्हा नहीं होता

8.
मोहब्बत को समझना है तो नासेह ख़ुद मोहब्बत कर
किनारे से कभी अंदाज़ा - ए - तूफ़ाँ नहीं होता

9.
बड़ा अजीब है अफ़साना - ए - मुहब्बत भी
ज़बाँ से क्या ये निगाहों से भी कहा न गया

10.
रुख़ -ए - आरज़ू पर हिजाब - ए - मोहब्बत
खिला और इस से शबाब - ए - मोहब्बत

11.
इशारों के ऐसे तामझाम करते हैं
तुम्हारी आंखे हर रोज़ कत्ल - ए - आम करते हैं

12.
नहीं - नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं
तुझे भी भूल गए हम तिरी ख़ुशी के लिए

13.
तेरे रुखसार से हटते हुवे आंचल की कसम
मैने इक चांद को बादल से निकलते देखा

14.
निगाहें इस क़दर क़ातिल कि उफ़ - उफ़
अदाएँ इस क़दर प्यारी कि तौबा

15.
सभी अंदाज़ - ए - हुस्न प्यारे हैं
हम मगर सादगी के मारे हैं

16.
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है

17.
चराग़ महफिल बन , चराग़ राह गुज़र न बन
एक ज़ुलेखा का इंतखाब कर, हर एक का यूसुफ न बन...

18.
इतनी मेहनत से बिगाड़ा है ख़ुद को
जाइए आप किसी और को सीधा कीजिए

19.
एक तरफ़ तिरे हुस्न की हैरत एक तरफ़ दुनिया
और दुनिया में देर तलक ठहरा नहीं जा सकता

20.
हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे" अब्दुल
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर

21.
झुकी - झुकी सी नज़र बे - क़रार है कि नहीं
दबा - दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

22.
आँखें ख़ुदा ने दी हैं तो देखेंगे हुस्न - ए - यार
कब तक नक़ाब रुख़ से उठाई न जाएगी

23.
हुस्न - ए - सूरत चंद रोज़ हुस्न - ए - सीरत मुस्तक़िल
इस से ख़ुश होते हैं लोग उस से ख़ुश होते हैं दिल

24.
हुस्न ये है कि दिलरुबा हो तुम
ऐब ये है कि बेवफ़ा हो तुम

25.
चाँद में कैसे नज़र आए तिरी सूरत मुझे
आँधियों से आसमाँ का रंग मैला हो गया

26.
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे

27.
न तुम्हें होश रहे और न मुझे होश रहे
इस क़दर टूट के चाहो मुझे पागल कर दो

28.
जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा
तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा

29.
ये इनायतें ग़ज़ब की ये बला की मेहरबानी
मिरी ख़ैरियत भी पूछी किसी और की ज़बानी

30.
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे

31.
पता नहीं ये तमन्ना - ए - क़ुर्ब कब जागी
मुझे तो सिर्फ़ उसे सोचने की आदत थी

32.
मैं ने बस इतना ही लिखा आई - लौ - यू और फिर
उस ने आगे कर दिया था गाल इंटरनेट पर