The Author DINESH KUMAR KEER फॉलो Current Read एक उम्मीद की किरण By DINESH KUMAR KEER हिंदी कुछ भी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... उजाले की ओर –संस्मरण नमस्कार स्नेही मित्रो आशा है दीपावली का त्योहार सबके लिए रोश... नफ़रत-ए-इश्क - 6 अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के... My Wife is Student ? - 23 स्वाति क्लास में आकर जल्दी से हिमांशु सर के नोट्स लिखने लगती... मोमल : डायरी की गहराई - 36 पिछले भाग में हम ने देखा की फीलिक्स ने वो सारी बातें सुन ली... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे एक उम्मीद की किरण 420 1.6k 1.तेरे बिन मेरा मनजैसे बन में हिरनजैसे पगली पवनलागी तुमसे मन की लगनलगन लागी तुमसे मन की लगन2.वो खेल वो साथी वो झूले वो दौड़ के कहना आ छू लेहम आज तलक भी न भूले वो ख़्वाब सुहाना बचपन का3.तुम्हे याद करते करते जाएगी रैन सारीतुम ले गए हो अपने सँग नींद भी हमारी4.सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैंसो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैंसुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखेंसुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं5.देर से लहरों मैं कमल सम्भाले हुए मन काजीवन ताल मैं भटक रहा रे तेरा हँसाओ हँसनी ... मेरी हँसनी, कहाँ उड़ चली, मेरे अरमानो के पँख लगाके, कहाँ उड़ चली6.जलती बुझती यादों कि किरणों को सजाकर रोये हैवो चेहरा याद आया हम शमा जलाकर रोये हैतुझसे रिश्ता क्या छूटा हर गम से रिश्ता टूटा थाये आँसू है खुशी के आँसू जो तुमको पाकर रोये है7.शबनम से भीगे लब हैं, और सुर्खरू से रुख़सार,आवाज़ में खनक और, बदन महका हुआ सा है,जाने वालों ज़रा सम्हल के, उनके सामने जाना,मेरे महबूब के चेहरे से, नक़ाब सरका हुआ सा है।सुर्खरू - लालरुखसार - गाल, चेहरा8.वा के बिन मैं भई बावरीभूख प्यास सब खोईजा दिन ते परदेस गयोमैं एक रैन न सोईमेरे दिल को दर्द न जाने कोईमैं कबते देख रही हर ओरवन में नाचे मोर सखी रीवन में नाचे मोर9.ख़याल - ओ - ख़्वाब के सब रंग भर के देखते हैंहम उस की याद को तस्वीर कर के देखते हैंजहाँ जहाँ हैं ज़मीं पर क़दम - निशाँ उस केहर उस जगह को सितारे उतर के देखते हैं10.दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोलीबाहों में लहराये गंगा जमुना, देख के दुनिया डोलीगर्व से कहो हम भारतीय है11.दश्त ओ जुनूँ का सिलसिला मेरे लहू में आ गयाये किस जगह पे मैं तुम्हारी जुस्तुजू में आ गयाचारों तरफ़ ही तितलियों के रक़्स होने लग गएतू आ गया तो बाग़ सारा रंग - ओ - बू में आ गया12.गुलाब - रुत की देवियाँ नगर गुलाल कर गईंमैं सुर्ख़ - रू हुआ उसे भी लाल कर दिया गया13.उसे इक अजनबी खिड़की से झाँकाज़माने को नई खिड़की से झाँकावो पूरा चाँद था लेकिन हमेशागली में अध - खुली खिड़की से झाँका14.साँस लेता हुआ हर रंग नज़र आएगातुम किसी रोज़ मिरे रंग में आओ तो सही15.फीकी है हर चुनरीफीका हर बंधेजजो रूह को रंग दे वो सच्चा रँगरेज16.मेरे सामने से जो कोई रहगुज़र गुज़रे...ढूंढती हूँ अक्स तेरा जब कोई बशर गुज़रे...17.तेरे होंटों पे तबस्सुम की वो हल्की सी लकीरमेरे तख़्य्युल में रह रह के झलक उठती हैयूं अचानक तिरे आरिज़ का ख़याल आता हैजैसे ज़ुल्मत में कोई शमां भड़क उठती है18.हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देनाहसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना19.चिड़िया होती है लड़कियाँमगर पंख नहीं होते लड़कियों के,मायका भी होता है, ससुराल भी होता हैमगर घर नहीं होते लड़कियों के,मायका कहता है, ये बेटियां पराई हैंससुराल कहता है, ये दूसरे घर से आई हैंखुदा अब तू ही बताये बेटियां किस घर के लिए बनाई हैं? Download Our App