1.
मुझ को अक्सर उदास करती है
एक तस्वीर मुस्कुराती हुई
2.
आइना देख के कहते हैं सँवरने वाले
आज बे - मौत मरेंगे मिरे मरने वाले
3.
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
4.
मेरे सभी बेमिसाल फ़ॉलोअर्स को हमारी फ़ॉलो - वर्सरी की बहुत - बहुत शुभकामनाएँ...
मेरा साथ देने के लिए धन्यवाद!
5.
किस तवक़्क़ो पे किसी को देखें
कोई तुम से भी हसीं क्या होगा
6.
खूबसूरती न सूरत में है न लिबास में,
निगाहे जिसे चाहे उसे हसीन कर दे ।
7.
इतना भी मत रूठा करो हमसे
हम आपकी किस्मत में वैसे भी नहीं हैं
8.
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का
9.
उसे पसंद हैं गर्दन झुकाए हुए लोग
मेंरा क़ुसूर है कि मै सर उठा के चलता हूँ
10.
हुस्न उस का उसी मक़ाम पे है
ये मुसाफ़िर सफ़र नहीं करता
11.
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते
12.
दिल - ए - नादान तुझ को क्या कहूँ तू
उसी की फिर तमन्ना कर रहा है
13.
हम टूटे हुए दिल को जोड़ने में मशहूर थे
जब अपना दिल टूटा तो हुनर ही भूल गए
14.
तितली से दोस्ती न गुलाबों का शौक है...
मेरी तरह उसे भी शायरी का शौक है...
15.
कोहिनूर से भी क़ीमती समझा था तुझे ...!
मगर कोयले से भी काली, करतूते थीं तेरी ..!!
16.
सूरज और पिता की गर्मी बर्दाश्त करना सीखिए
जब यह डूब जाते हैं तो हर तरफ अंधेरा हो जाता हैं
17.
कभी आँखों पे कभी सर पे बिठाए रखना...
ज़िंदगी तल्ख़ सही दिल से लगाए रखना...
18.
कहते हो _ के सबके मुताबिक़ हो जाओ ...!
यानी कभी मोमिन तो कभी मुनाफिक हो जाओ ...?
19.
ये तो सियासत ने खींच दी है लकीरे वरना
तेरी आस्था से मेरा झगड़ा कब था।
20.
जिस तरह गुजर जाती है हर रात सुबह आने के बाद,
ए जान तुम भी यूँ ही मान जाओ ना रुठ जाने के बाद ...!
21.
पुरानी कलम को एक नया मोड़ दिया है |
मैंने तुम पर लिखना छोड़ दिया है ||
22.
हँसकर कबुल क्या कर ली
सजायें मेने ...!
आपने तो दस्तूर ही बना लिया
हर इलजाम मुझ पर लगाने
का ...!!
23.
बाबूजी कहते है कि
एहतियात पछतावे से बेहतर है,
हर हाथ मिलाने वाला दोस्त नहीं होता!!
24.
डर सा लग रहा है की कुछ बुरा न हो
लोग बहुत करीब आते जा रहे है मेरे
25.
कभी तो समझो खामोश लब और झुकी नजरों को मेरी,
अब हर शाम तुम्हें, तुमसे ही मांगे हम... ये जरूरी तो नहीं ...!
26.
तेरे पाँउ में छनकने लगा है दिल मेरा,
मेरे सीने में धड़कने लगी पायल तेरी...
27.
यार माँ के शाने बहुत ज़रूरी हैं
हम लोग तकियों पर रो नही सकते...
28.
खिलाने और पिलाने की रस्म ख़ुद ही निभाते हैं
ख़ुदा का शुक्र है _ हमने कोई बाबू नहीं रखा
29.
मेरी दहलीज पर आ रूकी है हवा ए मोहब्बत,
मेहमान नवाजी का शौक भी है उजड़ जाने का खौफ भी!
30.
वो लफ्ज़ कहा से लाऊँ, जो तेरे दिल को मोम कर दे,
मेरा वजूद पिघल रहा है, तेरी बेरुखी से ...!
31.
पल्लू ओढ़कर निकले थे वो आज घर से,
पहली दफा देखा धूप में चांद को जलते हुए।
32.
तन्हाई में बैठकर दो ही काम आसान है
एक इबादत करना दूसरा महबूब को याद करना