जरा ये धुप ढ़ल जाए DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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जरा ये धुप ढ़ल जाए

1.
वो इतनी दूर रहने वाला शख्स
टकराया भी तो सीधा दिल से !

2.
अगर वो पूछ ले हमसे, तुम्हे किस बात का गम है
तो फिर किस बात का गम है, अगर वो पूछ लें हमसे!

3.
जरा ये धुप ढ़ल जाए, तो हाल पूछेंगे,
यहाँ कुछ साये, खुद को खुदा बताते है...

4.
बुरे वक्त में भी जो तुमसे जुदा ना हो
उसे गौर से देखना कहीं खुदा न हो!

5.
सुना है लग गई है आग बेवफाओं की बस्ती में,
ज़रा पता तो करो मेरा महबूब किस हाल में है।

6.
ये किस ने मुझ को बस में कर लिया है
इशारों पर मैं किस के चल रहा हूँ

7.
हर रोते हुए शख़्स को जाने क्यूँ
जी करता है सीने से लगाने का

8.
अकेलापन कहता है, महबूब बनाया जाए
जिम्मेदारियां कहती हैं, वक्त बर्बाद होगा ।

9.
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए

10.
औकात नही थी जमाने में मेरी कीमत लगा सके
कमबख्त इश्क में क्या गिरे मुफ़्त में नीलाम हो गए

11.
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं

12.
आज बहुत मेहरबान हो क्या चाहते हो,
पाना चाहते हो या किसी को जलाना चाहते हो...

13.
शुक्र करो हमने छोड़ दिया तुमको
लोग तो अक्सर नागिन को मार दिया करते है

14.
ख़ामुशी अच्छी नहीं इंकार होना चाहिए
ये तमाशा अब सर - ए - बाज़ार होना चाहिए

15.
हँसती हुई आँखों से सवालात की बारिश
जलते हुए होंटों में जवाबात का आलम

16.
वो शोख़ लड़की हसीन चेहरा कमाल बातें
सुना है उस का किसी से रिश्ता लगा हुआ है

17.
बिखरी ज़ुल्फ़ों ने सिखाई मौसमों को शाइ'री
झुकती आँखों ने बताया मय - कशी क्या चीज़ है

18.
कुछ खेल नहीं है इश्क़ करना
ये ज़िंदगी भर का रत - जगा है

19.
ये जो सर नीचे किए बैठे हैं
जान कितनों की लिए बैठे है

20.
मोहब्बत का तुम से असर क्या कहूँ
नज़र मिल गई दिल धड़कने लगा

21.
बस वो पूंछ ले एक बार, कैसे हो
घर में रखी सारी दवाइयां फेंक दूंगा

22.
झुकी - झुकी सी नज़र बे - क़रार है कि नहीं
दबा - दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

23.
निगाहें इस क़दर क़ातिल कि उफ़ - उफ़
अदाएँ इस क़दर प्यारी कि तौबा

24.
क्यों हया ख़ुद पे रो रही है 'साहब'
क्या किसी बे - हया को देखा है

25.
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या

26.
ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला
मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ

27.
इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के

28.
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ - कहाँ
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ - कहाँ

29.
हमें मत सताओ जफ़ाओं से अपनी
हसीनो ये तुम से करम चाहते हैं

30.
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है

31.
थोड़ा - थोड़ा करके,
बहुत ज्यादा प्यार हो गया है तुमसे

32.
बेवफा इतना एहशान कर दे,
कम से कम इश्क़ की लाज रख ले
दो कदम चलके कांधा तो दे - दे
तेरे आशिक की मैय्यत उठी है

33.
हम ख़ून की क़िस्तें तो कई दे चुके लेकिन
ऐ ख़ाक - ए - वतन क़र्ज़ अदा क्यूँ नहीं होता

34.
बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या