इश्क़ होना ही था - 31 Kanha ni Meera द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ होना ही था - 31

** ओम नमः शिवाय **


** इश्क़ होना ही था part- 31 **

अभी तक हमने देखा की अक्षत और शिव दोनों मिताली के पास आते है और उसे बात करने के बाद जा ही रहे थे पर दिया उन दोनों को खाना खाने के बाद ही जाने को कहती है...

जब वो दोनों नहीं मानते तो दिया उन दोनों का हाथ पकड़ कर उन्हें किचन में ले जाती है...

"चलो खाना खा लो और फिर बताओ क्या हुआ है...?"

दिया पहले खाना निकाल कर देती है और फिर बोलती है...

वो दोनों पहले एक दूसरे को देखते है फिर दिया को....

"तुम्हारे चेहरे ही बता रहे है कोई तो बात है..."

दिया बोलती है...

"हमें डॉक्टर ने अभी ही ये बोला है की नितिन को बचाना थोड़ा मुश्किल है और अभी तक उसे होस नहीं आया है..."

शिव बोलता है...

ये सुन कर दिया भी चुप हो जाती है और वो दोनों थोड़ा बहोत खाके हॉस्पिटल जाने के लिए निकल जाते है...

*****

सुभे अक्षत और शिव दोनों बैठे थे और उन दोनों के चहेरे पर ही थकावट दिख रही थी...

"बेटा तुम दोनों जाओ और घर जाके थोड़ा आराम करके बाद आओ..."

मोहन भाई बोलते है...

दो दिनों से लगातार शिव और अक्षत हॉस्पिटल में ही थे और इसी वजह से सुभे ही मोहन भाई ने उन दोनों को घर भेज देते है...

अक्षत और शिव सो ही रहे थे तभी अक्षत के फोन की रिंग बजती है...

शिव जिसकी आंख खुलती है तो वो अक्षत को परेशान नहीं करना चाहता था और इसकी वजह से वो फोन में देखता है, तो मोहन भाई का फोन था और वो फोन उठा लेता है...

रिंग की वजह से अक्षत की भी आंख खुल गयी थी और वो शिव को ही देख रहा था बात करते हुए...

जैसे ही शिव फोन रखता है अक्षत सवालिया नज़रो से उसे ही देख रहा था...

शिव की आँखों से आँशु आने लगते है और ये देख कर अक्षत जल्दी से खड़ा हो जाता है....

"क्या हुआ शिव..."

अक्षत बोलता है....

"वो...."

शिव बस इतना ही बोल पाता है और अक्षत के गले लग जाता है...

अक्षत जो कुछ बुरा होने के अदेसे से अपनी आखे बंध करता है...

"शिव बता क्या हुआ है...."

अक्षत बोलता है....

भाई ...जीजू...

उन्हें होश आ गया...

पर..."

शिव बोलता है....

"पर...?"

ये सुन कर अक्षत खुश हो जाता है और बोलता है...

शिव बड़ी मुश्किल से सारी बाते बताता है और ये सुन कर अक्षत भी खुदको बड़ी मुश्किल से सभालता है...

"तू चल मेरे साथ...

हमें अभी ही हॉस्पिटल बुलाया है..."

शिव इतना भी बहोत मुश्किल से बोलता है...

"हां चल जल्दी..."

अक्षत बोलता है और वो दोनों उसी तरह ही हॉस्पिटल जाने के लिए निकल जाते है...

दीपाली बहन उन दोनों को इतनी जल्दी जाते देख कर अवाज लगाती है, पर वो दोनों कुछ सुने बिना ही वहा से जल्दी निकल जाते है...

"हे भगवन रक्षा करना मेरे बच्चो की..."

दीपाली बहन अपने हाथ जोड़ कर बोलते है...

*****

यहॉ हॉस्पिटल में शिव और अक्षत दोनों पहोच जाते है और सीधा ही वो दोनों मोहन भाई के पास जाते है...

"क्या हुआ है...?"

अक्षत बोलता है....

"नितिन को होश तो थोड़ी पहले ही होश आ गया है और उनका एक रिपोर्ट करने के लिए एक डॉक्टर आये है...

उसके बाद ही पता चलेगा की नितिन के पास कितना समय है..."

मोहन भाई बोलते है...

वहा नितिन के पप्पा भी आ जाते है और वो अभी अभी डॉक्टर से ही मिल कर आते है...

"वो रिपोर्ट आ गए है..."

नितिन की पप्पा दिलीप भाई बोलते है...

"क्या आयी रिपोर्ट...?"

जल्दी से शिव बोलता है...

"सिर्फ 12 घंटे है उसके पास..."

दिलीप भाई बोलते है और जमीन पर बेथ जाते है...

उनकी ये हालत देख कर जल्दी से शिव और अक्षत उन्हें सभालते है....

"में जोशना को कैसे बताउगा की हमारा बेटा हमें बहोत जल्दी ही छोड़ कर जाने वाला है..."

दिलीप भाई बोलते है....

बड़ी मुश्किल से दिलीप भाई को सभालते है और नितिन की मम्मी जोशना बहन को घर से बुला लेते है...

"आप मिताली को भी ले आओ..."

दिलीप भाई बोलते है...

"तुम वहा रहो में जाता हु और घर से मिताली को ले कर आता हु..."

अक्षत बोलता है और वहा से घर जाने के लिए निकल जाता है....

सारे रास्ते अक्षत बस यही सोच रहा था की किस तरह वो मिताली को सारी बाते बताएगा...

अक्षत जो घर के दरवाजे पे खड़ा था और बेल बजाने जा ही रहा था तभी दरवाजा खुलता है...

"अरे अक्षत अच्छा हुया तुम आ गए...

वो दीपाली मासी ने बोला था की...."

दिया दरवाजा खोलती है और अक्षत के चेहरे पर अभी उसने नहीं देखा था पर जब उसकी नज़र उसके चेहरे पर जाती है तो बोलते बोलते रुक जाती है...

" अक्षत क्या हुआ...?"

दिया इतना बोलती है तभी अक्षत उसके गले लग जाता है...

वो समज नहीं पाती की क्या हुआ है और वो अक्षत से कुछ पूछने जाही रही थी तभी....

" नितिन के पास अब ज्यादा समय नहीं है..."

अक्षत बोलता है और उसकी आँखों से आँशु आने लगते है...

"ये क्या कह रहे हो तुम...?"
दिया बोलती है....

"हां नितिन जीजू के पास अब सिर्फ 12 धंटे ही बचे है..."

अक्षत बोलता है...

दिया ये सुनते ही अपनी आँखे कस के बंध कर देती है और उसके आँखों से भी आँशु आ जाते है...

"मेने कल ही मिताली को प्रॉमिस किया था और में उस प्रॉमिस को नहीं निभा पाया.."

अक्षत बोलता है...

"अक्षत तुम खुदको सभालो...

हमें अभी मिताली को भी सभालना है...."

दिया बोलती है और मिताली का नाम सुन कर जाने कहा से अक्षत में हिम्मत आ गयी और वो दिया से दूर होता है अपने आँशु पोछ लेता है...

"मिताली कहा है...?

मुझे उसे अपने साथ नितिन के पास ले जाना है..."

अक्षत बोलता है...

दिया उस रूम में इसारा करती है और वो दोनों उस तरफ जाने लगते है...


"जब मिताली को पता लगेगा की नितिन के पास अब ज्यादा समय नहीं है तो...?"

"ये चारो कैसे सभालेगे मिताली को...?"

इश्क़ होना ही था ....

अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...

इश्क़ होना ही था का part -32 आपके सामने 24 february को आ जायेगा ...

इस कहानी में जुड़ने के लिए आप सभी का सुक्रिया...